कानपुर. अगर विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग में शामिल होना है तो सबसे पहले मैपिंग कराएं. जब मैं कानपुर विश्वविद्यालय आया तो मैंने यहां की बुकलेट देखी. पता लगा कि एक-एक विभाग की मैपिंग की जा चुकी है. इसी तरह बाकी विश्वविद्यालयों को भी रैंकिंग में शामिल होने से पहले यह कराना होगा. इसके बाद दूसरा काम है एनालिसिस (विश्लेषण). यह देखना होगा कि सबसे ऊपर कौन सी यूनिवर्सिटी है और सबसे नीचे कौन. उनके विभिन्न पैरामीटर पर मिले अंकों से खुद का मिलान करें और इसी हिसाब से आगे की तैयारी करें.
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो.संजीत सिंह ने शिक्षा मंथन 2023 के व्याख्यान सत्र में एनआईआरएफ रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने बताया कि डाटा मैपिंग व ब्रांडिंग पर सबसे ज्यादा काम करें. छोटा काम हो या बड़ा उसे सब तक पहुंचाना बहुत जरूरी है, तभी लोग हमारे काम को जान पाएंगे. सोशल मीडिया के माध्यम से आप अपने कामों की और कालेज विश्वविद्यालय की ब्रांडिंग कर सकते हैं. फिर शॉर्ट एनालिसिस करें. अपनी छोटी-छोटी कमजोरियों को समझे. इसके बाद उन्हें चुनौती के साथ स्वीकार करें और उस पर काम करें. हम यह मानते हैं कि जो संस्थान विश्व रैंकिंग में आ रहे हैं, उन्हें बड़ी आसानी से नैक से ग्रेड मिल जाता है. इसलिए पहले रैंकिंग को अपडेट करना होगा.
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देश में कोई भी विश्वविद्यालय स्वयं का कोर्स डवलप नहीं करता है. सबसे पहले इस काम को शुरू करना चाहिए. हमको उपक्रम को बढ़ाना है. प्रो. सिंह ने रिसर्च के लिए स्कोपस व वेब आफ साइंस का डेटा देखने के लिए कहा. पेटेंट की संख्या बढ़ाने के साथ ही संस्थान को एप्लीकेंट के तौर पर पंजीयन कराने की सलाह दी. उन्होंने बताया कि कई बार शिक्षक पेटेंट के पंजीयन में संस्थान का नाम एप्लीकेंट के तौर पर शामिल नहीं करते, इससे संस्थान के खाते में वह पेटेंट दर्ज ही नहीं हो पाता है. इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और गति योजना में पंजीयन कराने की भी सलाह दी. इस दौरान एचबीटीयू के कुलपति प्रो. समशेर, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय, मथुरा वेटनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके श्रीवास्तव और प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने विशेषज्ञों से प्रश्न भी पूछे और अपनी शंकाओं का समाधान किया.