रांची नगर निगम के प्रशासक शशि रंजन ने शनिवार को निगम के इंफोर्समेंट अफसर और अभियंताओं के साथ बैठक की थी. इसमें उन्होंने निर्देश दिया कि शहर के नालों और बड़ी नालियों के 15 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का किया गया निर्माण अतिक्रमण माना जायेगा. नगर निगम की टीम ऐसे नालों की जांच कर किये गये अवैध निर्माण को चिह्नित करे और उन्हें अतिक्रमण के दायरे में लाते हुए कार्रवाई करे.
‘प्रभात खबर’ ने प्रशासक के आदेश की पड़ताल की. इसमें यह बात सामने आयी है कि निगम जहां नालों के 15 मीटर के दायरे में किये गये निर्माणों को अतिक्रमण मान रहा है, वहीं, जमीन दलाल और भवन निर्माता धड़ल्ले से नालों पर ही दीवार व पीलर खड़ी कर उसका रास्ता मोड़ दे रहे हैं. यह स्थिति शहर के कई बड़े नालों की है. इसी वजह से हर बरसात में शहर के कई हिस्सों में जलजमाव की स्थिति बन जाती है.
यहां नगर निगम का बड़ा नाला है, लेकिन नाले से ही सटाकर दीवार खड़ी कर दी गयी है. नतीजतन नाला काफी संकरा हो गया है. हल्की सी बारिश में ही यह नाला उफनाने लगता है और इसका गंदा पानी आसपास के घरों में घुस जाता है.
इस इलाके के भी नाले की यही स्थिति है. यहां के भी बड़े नाले से सटा कर दीवार खड़ी कर दी गयी है. इतना ही नाले के धार को मोड़ते हुए कई जगह घर भी बनर दिया गया है.
बिल्डरों ने नगर निगम के अभियंताओं के मिलीभगत से हरमू नदी के किनारे अपार्टमेंट तक बना दिये हैं. कई जगहों पर तो बिल्डरों ने प्लाॅटिंग कर जमीन भी बेच दी है. लेकिन, कभी भी नगर निगम ने ऐसे भवनों पर कार्रवाई नहीं की.