जमशेदपुर. कोल्हान प्रमंडल के आदिवासी समुदाय ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) यानी समान नागरिक संहिता का विरोध किया है. कहा, यदि समान नागरिक संहिता को जबरन थोपा गया, तो जनांदोलन का बिगुल फूंकेंगे. शहर से लेकर गांव, पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर उलगुलान का आगाज करेंगे. रविवार को बिष्टुपुर स्थित एक्सएलआरआइ टाटा ऑडिटोरियम में आदिवासी संस्कृति एवं संवैधानिक अधिकार रक्षा समिति कोल्हान प्रमंडल के आह्वान पर जुटे आदिवासी बुद्धिजीवी, माझी परगना महाल, मानकी-मुंडा व्यवस्था, डोकलो-सोहोर के प्रमुख व शिक्षाविदों ने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की. वक्ताओं ने कहा कि पूंजीपतियों के इशारे पर देश में समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास हो रहा है.
‘आदिवासी-मूलवासी समाज की अपनी रूढ़ि प्रथा’
यह आदिवासी समाज के लिए घातक है. क्योंकि आदिवासी-मूलवासी समाज की अपनी रूढ़ि प्रथा है, जिससे वे संचालित होते हैं. संविधान के तहत भी कई अधिकार दिये गये हैं, उसको भी खत्म करने की साजिश हो रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से आदिवासियों को दिये गये संवैधानिक अधिकार, अनुच्छेद, एक्ट, पांचवीं अनुसूची, छठी अनुसूची, पेसा एक्ट-1996 एवं एवं 13(3) (क) के नियम प्रभावित होंगे. इसका सीधा असर आदिवासी समुदाय पर पड़ेगा. इसलिए आदिवासी समुदाय यूसीसी को स्वीकार नहीं करेगा. मौके पर देश परगना बैजू मुर्मू, तोरोप परगना दशमत हांसदा, मानकी-मुंडा संघ के केंद्रीय अध्यक्ष-गणेश पाट पिंगुवा, हरीश भूमिज व अन्य मौजूद थे.
क्या है यूसीसी
समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की अवधारणा पर आधारित है. यूसीसी के अंतर्गत देश के सभी धर्मों पंथों और समुदायों के लोगों के लिए एक ही कानून की व्यवस्था का प्रस्ताव है. भारत के विधि आयोग ने देश के तमाम धार्मिक संगठनों से समान नागरिक संहिता को लेकर सुझाव 30 दिनों के अंदर आमंत्रित किये हैं. इसके बाद से यह चर्चा में हैं.
यह हुआ फैसला
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर आदिवासी समुदाय विरोध दर्ज करायेगा
माझी, परगना, मानकी-मुंडा, डोकलो-सोहोर, पड़हा व्यवस्था व भूमिज समाज विधि आयोग को विरोध पत्र भेजेंगे
यूसीसी के विरोध में धरना प्रदर्शन, रैली करेंगे, न्यायालय में भी अपील की जायेगी