प्रणव, रांची:
राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था करीब दो वर्षों से बेपटरी है. पिछले चार-पांच माह से नये ट्रैफिक एसपी हारिस बिन जमां व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति सुधर नहीं रही. हालांकि मुख्य सचिव के निर्देश पर समय-समय पर कई योजनाएं बनायी गयीं, लेकिन व्यवस्था जस की तस है. रांची शहरी क्षेत्र की आबादी 14.79 लाख है. यह शहर बी ग्रेड की श्रेणी में आता है.
यहां वाहनों की संख्या 13.85 लाख है. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआर एंड डी) ने 2015 में ट्रैफिक व्यवस्था सुगम बनाने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें कहा गया है कि 850 वाहनों पर ट्रैफिक पुलिस के एक जवान की जरूरत है. इस तरह देखें, तो 13.85 लाख वाहनों पर ट्रैफिक पुलिस की संख्या 1628 होनी चाहिए. वहीं नियम के अनुसार कुल स्ट्रेंथ का पांच प्रतिशत अतिरिक्त ट्रैफिक फोर्स भी जरूरी है.
यानी 81 ट्रैफिक पुलिस की और जरूरत होगी. इस तरह रांची शहरी क्षेत्र में 1709 ट्रैफिक पुलिस की आवश्यकता है. सुपरवाइजर के तौर पर एएसपी और डीएसपी रैंक के तीन अधिकारी होने चाहिए. साथ ही ऑफिस स्टाफ व कनीय सुपरवाइजर के तौर पर इंस्पेक्टर, दारोगा व एएसआइ रैंक के 38 अफसर की जरूरत है. यानी ट्रैफिक एसपी को छोड़कर रांची शहरी क्षेत्र की यातायात व्यवस्था लिए 1747 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की आवश्यकता होगी.
बीपीआर एंड डी के मुताबिक ट्रैफिक पुलिस के 1747 कर्मियों में से 244 लीव, मेडिकल रेस्ट, ट्रेनिंग व रिजर्व बल के तौर पर रह सकते हैं. यानी रांची शहरी क्षेत्र में किसी भी परिस्थिति में 1503 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और अफसर की जरूरत होगी, लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ 331 हैं. जबकि रांची में ट्रैफिक पुलिस के लिए स्वीकृत पद 791 हैं.