मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका में समन्वय जरूरी है. कई बार समन्वय स्थापित नहीं होता पाता है. समन्वय का अभाव देखने को मिलता है. इससे विधानसभा के अंदर सवाल उठ खड़े होते हैं. सरकारी विभागों से प्रश्नों के उत्तर आते हैं, विधेयक बनता है, कानून बनते हैं. छोटी-छोटी गलतियों को लेकर विधेयक या कानून पास नहीं होता है. तो चिंता की बात हो जाती है. राज्य राज्यपाल महोदय के आदेशानुसार चलता है. सभी को जोड़ते हुए चिंतन-मंथन होना चाहिए. श्री सोरेन सोमवार को विधानसभा सभागार में राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन को सुचारू चलाने की सामूहिक दायित्व है. वर्तमान समय में यह ज्यादा जरूरी है. जिस तरीके से नये-नये कानून में बदलाव हो रहे हैं, संशोधन होते हैं. विशेष परिस्थिति में अध्यादेश लाना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल आत्मा हमारे संविधान में निहित है. एक लंबे समय अंतराल पर इन विषयों को पुनः रिवाइज करने की आवश्यकता होती है.
समय के साथ कई चीजें अलग-अलग दिशा में चलने लगती हैं. जरूरी है कि इन सब चीजों पर विचार और संगोष्ठी होती रहे. कई मामलों में पदाधिकारी, राजनेता, मंत्री एक ही विषय पर अलग-अलग नजरिया रखते हैं. इसको सुनिश्चित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश का संविधान एक ऐसा अद्भुत मिश्रण है. संसदीय प्रणाली को चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को अलग-अलग अधिकार दिये गये हैं. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को समान सहयोगी के रूप में कार्य करने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका एक बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ कार्य करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनप्रतिनिधि चुनाव जीत कर आते हैं, सरकार बनाते हैं, लेकिन कुछ व्यवस्थाएं स्थायी तौर पर कार्य करती हैं. इन स्थायी व्यवस्थाओं एवं संस्थाओं को राज्य में किसकी सरकार है, इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि व्यवस्थाएं निरंतर ठीक से चलती रहे, इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है. मौके पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम, स्पीकर रबींद्रनाथ महतो, विधायक डॉ लंबोदर महतो विशेष रूप से उपस्थिति थे. लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य और पीआरएस के चक्षु राय विशेषज्ञ के तौर पर मौजूद थे.
स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका और विधायिका एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं. वेस्टमिंस्टर सिस्टम के आधार पर स्थापित भारतीय संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका का सामूहिक उत्तरदायित्व विधायिका के प्रति ही होता है. राज्य की कार्यपालिका के प्रधान राज्य के मुख्यमंत्री सदन के नेता के रूप में राज्य की विधायिका का नेतृत्व भी करते हैं. कार्यपालिका लोकतंत्र में विधायिका का ही अंग है. मंत्रिपरिषद का मूल विधायिका ही है. कार्यपालिका के सहयोग के लिए सिविल सेवा के पदाधिकारियों का समूह कार्य करता है.
भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है. श्री मरांडी ने प्रधानमंत्री से मिल कर नयी जवाबदेही दिये जाने के लिए आभार जताया. इसके साथ प्रदेश में सरकार के कामकाज और लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर चर्चा की. श्री मरांडी ने देर शाम पार्टी के आला नेता ओम प्रकाश माथुर से भी मुलाकात की. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से भी श्री मरांडी ने मुलाकात की.