टेंशन, निराशा और डिप्रेशन, घबराहट महसूस होना, अकेलापन से तनाव का मुख्य कारण है पारिवारिक माहौल, कोई दर्दनाक हादसा , बार- बार घर और स्कूल बदलना, नए भाई बहन के जन्म के बाद माता- पिता को लेकर अटेंशन की चिंता. पढ़ाई के दबाव को झेल नहीं पाने से भावनात्मक अशांति का अनुभव करने लगता है.बच्चों के बदले व्यवहार पर धैर्य खोने की बजाय बच्चों को भावनात्मक समर्थन दें. बच्चों की बातों को सुने. उसे भरोसा दें कि आप उसकी पूरी मदद करेंगे. एक बार का भोजन अपने बच्चों के साथ जरूर करें. उनके साथ बिताए ये पल उन्हें भावनात्मक मजबूती देने के साथ अभिव्यक्ति का साहस देंगे. जैसा आप बच्चों से अपेक्षा रखते हैं अपने आचरण में भी वैसा ही परिवर्तन लाने का प्रयास करें. दयालुता, सहयोग की भावना को बढ़ावा दें. बच्चों की किसी भी प्रकार की बौद्धिक जिज्ञासा को दबाने के बजाय उनसे खुलकर बात करें.
बच्चों के साथ उनकी दिनचर्या का हिस्सा बनें. उनका पूरा ख्याल करें और वक्त दे. संभव हो तो बाहर घुमाने ले जाएं.आउटडोर या इनडोर गेम साथ में खेलें. उनकी पढ़ाई में मदद करें.
उनके साथ हंसी- मजाक करें, अपने कार्यस्थल और जिंदगी की तकलीफों का बोझ उनके बालमन पर ना डालें.
कभी- कभी कुछ बच्चे अपने मन की बात खुलकर नहीं शेयर कर पाते हैं. ऐसे में जिस व्यक्ति से बच्चा सहजता से बात करता है उसकी मदद लें. डांटने की बजाय दोस्त बनकर बात करें.
उसकी रूचि की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करें.
घर में सभी बच्चों के साथ एक समान व्यवहार करें ताकि किसी बच्चे को अनदेखी की भावना महसूस ना हो.
मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करने की ओर प्रेरित करें. इंटरनेट के फायदे और नुकसान को भी समझाएं.
बच्चों के समुचित विकास के लिए उसके आहार- विचार और व्यवहार पर पूरा ध्यान दें. भागती जिंदगी में आप उतनी ही तेज रफ्तार से भागे. जहां आपका बच्चा आपसे दूर ना हो जाए. कोमल बचपन की कोमलता बनाए रखने के लिए उनके व्यवहार को बदलने के लिए खुद में भी जरूरी बदलाव करें.
Also Read: Monsoon Tips: घरों में फैली गंध से हैं परेशान, इन टिप्स से महक उठेगा कोना-कोनाDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.