कोलकाता: पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो को दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस हाइजैक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को सशर्त जमानत दे दी. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश देवांशु बसाक व न्यायाधीश एमडी शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने कहा कि पिछले 14 साल से मामले की जांच चल रही है और यह कब खत्म होगा, पता नहीं. इतने वर्षों की जांच के बाद भी निचली अदालत में मुकदमा अभी भी लंबित है.
क्या है मामला
गौरतलब है कि भुवनेश्वर से नयी दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस का वर्ष 2009 में अपहरण हुआ था. इस घटना के 11 साल बाद 2020 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मामले की जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया. इस मामले के कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं. वहीं, मामले की जांच कर रही एनआईए का दावा है कि मामले की जांच में राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही. कोर्ट के मुताबिक, एनआईए ने अभी तक चार्जशीट पेश नहीं की है और यह कब पेश किया जायेगा, यह भी फिलहाल तय नहीं है. ऐसे में हाईकोर्ट ने छत्रधर महतो को सशर्त जमानत देने का फैसला सुनाया. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, छत्रधर महतो पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया व बांकुड़ा जिले में प्रवेश नहीं कर सकते. लेकिन सप्ताह में एक बार उन्हें मामले के जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा.
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2009 का है केस
गौरतलब है कि 2009 में माओवादियों ने झाड़ग्राम के पास दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस को हाइजैक कर लिया था. उस मामले में छत्रधर महतो पर भी आरोप लगे थे. हालांकि, छत्रधर को विधानसभा चुनाव से पहले रिहा कर दिया गया था. लेकिन एनआइए ने 27 मार्च को लालगढ़ में फिर से गिरफ्तार कर लिया है और तब से वह जेल हिरासत में है. मंगलवार को हाईकोर्ट ने छत्रधर महतो की याचिका को मंजूर करते हुए सशर्त जमानत दे दी.