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मणिपुर हिंसा : आईटीएलएफ ने कूकी-जो समुदाय से मांगी माफी, जानें क्या है कारण

संगठन ने अपने बयान में आगे कहा कि उसका मानना है कि मिशन का सार विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव, आपसी सौहार्द, शांति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है. भारी मन से हम इन मूल सिद्धांतों को पूरा करने में अपनी विफलता को स्वीकार करते हैं, जिसके कारण अनपेक्षित परिणाम सामने आए हैं.

चुराचांदपुर : पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर में तीन मई से जारी हिंसा के बीच इंडिजिनस ट्राइबल लीडर फोरम (आईटीएलएफ) ने बुधवार को मणिपुर में मैतेई लोगों से गुमराह करने और संघर्ष के लिए कूकी-जो समुदाय के लोगों से माफी मांगी है. आईटीएलएफ की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि स्वदेशी समुदायों के कल्याण और एकता के लिए प्रतिबद्ध अग्रणी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर फोरम गुमराह कार्यों को स्वीकार करता है और गहरा खेद व्यक्त करता है. इसके परिणामस्वरूप दुर्भाग्यपूर्ण संघर्ष में निर्दोष कुकी-जो लोगों का ब्रेनवॉश किया है और मणिपुर में मैतेई लोगों के साथ उन्हें शामिल किया गया है.

शांति-सद्भाव के लिए मांगी माफी

संगठन ने अपने बयान में आगे कहा कि उसका मानना है कि मिशन का सार विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव, आपसी सौहार्द, शांति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है. भारी मन से हम इन मूल सिद्धांतों को पूरा करने में अपनी विफलता को स्वीकार करते हैं, जिसके कारण अनपेक्षित परिणाम सामने आए हैं, जिससे कुकी-जो और मैतेई समुदाय प्रभावित हुए हैं. माफी मांगते हुए बयान में कहा गया है कि हम उन निर्दोष कुकी-जो समुदाय के लोगों से ईमानदारी से माफी मांगते हैं, जिनका भरोसा गलत था और जो अनजाने में संघर्ष में शामिल हो गए.

हिंसा पर काबू पाने के लिए अर्धसैनिक बल तैनात

आईटीएलएफ ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह माफी मांग कर स्थिति में सुधार करने का वचन देता है, जिसमें समुदायों के बीच खुली बातचीत, पुनर्स्थापनात्मक उपाय, संगठनात्मक प्रक्रियाओं और निर्णय लेने वाली संरचनाओं की पारदर्शी समीक्षा शामिल है. मणिपुर में तीन मई को आईटीएलएफ की एक रैली के हिंदू मैतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी. पिछले एक महीने से अधिक समय से पूरे मणिपुर में हिंसा फैली हुई है. हालात पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार को अर्धसैनिक बलों की तैनाती करनी पड़ी.

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मणिपुर में क्यों फैली हिंसा

मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के बाद हिंसा भड़क उठी. मैतेई समुदाय मणिपुर में बहुसंख्यक हैं. वे इम्फाल घाटी और आसपास के इलाकों में रहते हैं. उनकी बढ़ती आबादी के कारण भूमि की मांग में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. पहाड़ी इलाकों में सिर्फ एसटी ही जमीन खरीद सकते हैं. इसलिए पहाड़ी इलाकों में जमीन पाने के लिए उन्होंने एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मणिपुर ट्राबल फोरम की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राज्य में भारतीय सेना द्वारा कुकी जनजाति की सुरक्षा की मांग की गई थी.

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