अजय दयाल, रांची :
सैनिक मार्केट में परमवीर अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का के नाम से दुकान आवंटित है, जिसे वापस लेने के लिए सैनिक कल्याण निदेशालय ने सरकार को पत्र लिखा है. वर्तमान में उक्त दुकान बंद रहती है. जानकारी के अनुसार, अगस्त 1991 में परमवीर अलबर्ट एक्का की पत्नी को 200 स्क्वायर फीट की दुकान बतौर गिफ्ट आवंटित की गयी थी. कुछ दिनों तक चलने के बाद दुकान 65 स्क्वायर फीट में तब्दील हो गयी.
बाद में इसका किराया तय कर उस पर ब्याज भी जोड़ा जाने लगा. सैनिक मार्केट में 135 दुकानें हैं, जिनमें 101 आम लोगों के लिए हैं. इनमें सिर्फ 34 दुकानें पूर्व सैनिकों के नाम से आवंटित हैं. सैनिक मार्केट में अगस्त 1991 में मार्केट तैयार होने के बाद दुकानों का आवंटन शुरू हुआ था.
निदेशालय के सहायक निदेशक एसपी गुप्ता ने बताया कि 34 दुकानें भूतपूर्व सैनिकों के पुनर्वास के लिए हैं. लेकिन कई भूतपूर्व सैनिकों ने अपनी दुकान को किराये पर दे दिया है, नाम उनका है, पर दुकान कोई और चला रहा है. 30 साल की लीज पर दुकान दी गयी थी, जो अब पूरी हो गयी है. अब इनमें नये भूतपूर्व सैनिकों का पुनर्वास किया जायेगा. यह दुकान सैनिकों के बेटों और पोतों के लिए नहीं दी गयी है.
इसी कड़ी में बलमदीना के निधन के बाद परमवीर अलबर्ट एक्का की भी दुकान वापस लेने के लिए लिखा गया है. 28 पूर्व सैनिकों को दुकान छोड़ने को लेकर नोटिस दी गयी है. इधर नोटिस मिलने से कई पूर्व सैनिक नाराज हैं.
वर्ष 1991 में मार्केट तैयार होने पर कुछ पूर्व सैनिक व कुछ साधारण लोगों को दुकानें दी गयी. साधारण लोगों में दीपक प्रकाश (अब राज्यसभा सांसद) को उस समय दुकान दी गयी थी. उसमें दीपक प्रकाश की स्टाइल एंड स्टाइल रेडीमेड दुकान थी. वर्तमान में उस दुकान व एक और दुकान को मिलाकर आजाद फार्मेंसी चलती है. वर्तमान में तेज कंप्यूटर, सोनाली लेदर्स सहित लगभग 2000 स्क्वायर फीट की कुछ ही बड़ी दुकानें हैं.
135 दुकानों में वर्तमान में कई दुकानें बंद हैं और बड़ी व छोटी दुकानों को मिलाकर वर्तमान में 50 हजार स्क्वायर फीट की दुकानें चालू हैं. साढ़े चार रुपये स्क्वायर फीट किराया के हिसाब से हर माह 2,25,000 रुपये तथा सालाना 27 लाख रुपये दुकानों से किराया आता है.यह राशि भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण में लगायी जाती है.