II सुधीश वेंकटेश II
उद्योग जगत अपने सामाजिक उद्देश्य के प्रति सजग और सक्रिय हो रहा है. हम औद्योगिक क्रांति के पांचवें दौर में दाखिल हो रहे हैं, जिसकी जरूरतों के मुताबिक हमें खुद को ढालना है.
औद्योगिक क्रांतियों का इतिहास
0.0 : 15वीं सदी में जर्मनी में गुटनबर्ग ने छपाई की मशीन बनाई और छपी सामग्री ने ‘मौखिक परंपरा’ की जगह ली.
1.0 : 18वीं और 19वीं सदी में जेम्स वॉट और फिर आरएल स्टीवेंसन ने भाप की शक्ति ईजाद कर मानव-श्रम को मशीनों से बदल दिया. वहीं, परिवहन में रेल इंजन आ गए. कारखाना-मजदूरों के हालात दुष्कर और शोषण भरे थे.
2.0 : 19वीं और 20वीं सदी में बिजली के आविष्कार और अन्तर्दहन इंजन के इस्तेमाल ने नई तरह के परिवहन, उत्पादन और संचार विकसित किए. असेम्बली-लाइन उत्पादन ने हस्तचालित मशीनों की जगह ली. कई उद्योगों में श्रमिकों के लिए नए अवसर बने, तो श्रम-बाजार ज्यादा प्रतिस्पर्धी भी हुआ. श्रमिकों पर नियंत्रण के नए तरीके अपनाए गए.
3.0 : 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में कम्प्यूटर और इंटरनेट आए. सूचना प्रौद्योगिकी की यह क्रांति जारी है, जिसमें काम स्वचालित हो रहे हैं और संचार एवं सहकार्य के नित-नए तरीके पनप रहे हैं. इससे ‘गिग वर्क’, स्वतंत्र अनुबंध, आउटसोर्सिंग, ऑफशोरिंग और कार्मिक-व्यवस्था में लचीलापन आया, जिससे कामधंधों का विस्थापन भी हुआ है.
4.0 : 20वीं और 21वीं सदी के मोड़ पर इंटरनेट के जरिए मशीनें आपस में बात करने लगीं. उत्पादन के इस युग की पहचान प्रौद्योगिकियों के संघटन में बढ़ोतरी है, जिसके उदाहरण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और 5जी कनैक्टिविटी हैं. डिजिटाइजेशन ने बेहतर निर्णय क्षमता, कम उत्पादन लागत और उपभोक्ताओं के लिए अनुकूलन के नए स्तर संभव किए. उत्पादन प्रक्रिया की सतत निगरानी और विश्लेषण से मांग बदलने पर निर्माताओं के लिए त्वरित बदलाव लाना मुमकिन हुआ.
लोगों और समाज के लिए इन क्रान्तियों के क्या मायने रहे?
प्रत्येक औद्योगिक क्रांति ऊर्जा के नए रूप की खोज का नतीजा थी, जैसे भाप, बिजली इत्यादि. हर क्रांति ने मानव विकास सूचकांकों को बेहतर किया, मानवीय एवं सामाजिक व्यवहार को प्रभावित किया और पारंपरिक काम खत्म किए तो नए काम पैदा भी किए. इसमें जो ढले, वे आगे बढ़े. लेकिन, अपव्यय और पर्यावरणीय नुकसान भी बढ़ा. मेरी राय में 4.0 और 5.0 क्रांतियां नहीं बल्कि उद्विकास हैं, जहां कुछ लोग अभी 3.0 में तो कुछ 4.0 में हो सकते हैं. वहीं, नौनिहाल सीधे 5.0 में दाखिल हो रहे होंगे.
‘उद्योग 5.0’ क्या है?
‘उद्योग 5.0’ मानव-केंद्रीयता, वहनीयता और लचीलेपन के तीन सिद्धांतों पर आधारित है. इसमें कई चीजें एकसाथ आ रही हैं, जैसे एआई, बिग-डेटा, ब्लॉक-चेन, क्लाउड-कम्प्यूटिंग, मशीन-लर्निंग और 5जी कनैक्टिविटी. आभासी और संवर्धित वास्तविकताओं (एआर और वीआर) से उत्पादन प्रक्रियाएं नए तरीके से संचालित हो रही हैं, तो 3डी प्रिंटिंग और योगात्मक विनिर्माण प्रक्रियाओं से अपव्यय कम हो रहा है.
हालांकि, नई प्रौद्योगिकियों में बड़ा निवेश और उसमें लगने वाला समय, दुर्लभ जरूरी कौशल और विशेषज्ञता, कम कुशल कामगारों की बेरोजगारी, साइबर खतरे, और प्रशासनिक पद घटने जैसी चुनौतियां भी हैं.
‘समाज, नेताओं और मानव संसाधन व्यवसायियों के लिए उद्योग 5.0 के निहितार्थ क्या हैं?
समाज के लिए स्वास्थ्य देखभाल में सुधार और गुणवत्तापूर्ण जीवन इसके फायदे में शामिल हैं, तो आमदनी में विषमता, कार्य-विस्थापन औरबढ़ती निगरानी एवं निजी डेटा एकत्रीकरण जैसी नैतिक-सामाजिक चिंताएं हैं.
नेतृत्वकर्ताओं के लिएआगे की सोच, नवाचार और तेजी से हालात के अनुकूल बनना जरूरी है. उन्हें वित्तीय प्रदर्शन और सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों के बीच संतुलित दृष्टि स्पष्टतः अभिव्यक्त करनी है. उन्हें शेयरधारक के मूल्य से सभी हितधारकों (ग्राहक, कर्मचारी, निवेशक, समुदाय) के मूल्य की ओर बढ़ना है.
मानव संसाधन (एचआर) के नेतृत्वकर्ताओं को संस्थान और कर्मचारियों की जरूरत के मुताबिक ‘प्रतिभा के लचीले मॉडल’ बनाने हैं. उनसे विविधता, समता और समावेशिता (डीईआई)की रणनीतियां और कार्यक्रम विकसित करना अपेक्षित है. कार्मिकों के साथ जुड़ाव, उनके अनुभव और खुशहाली के लिहाज से काम और जीवन में संतुलन के तौर-तरीके तैयार करने हैं. एचआर इन्फ़ॉर्मेशन सिस्टम, एप्लिकैंट ट्रैकिंग सिस्टम से क्लाउड-आधारित समाधान और एआई तक, एचआर में प्रौद्योगिकी और डेटा एवं एनेलिटिक्स के इस्तेमाल से एचआर की प्रक्रियाएं दक्ष और प्रभावकारी हुई हैं. नतीजतन, कार्मिकों की भर्ती, प्रतिभा-विकास, प्रदर्शन-प्रबन्धन और वेतन-भुगतान सबके संबंध में डेटा-आधारित निर्णय लेने पर जोर है. ‘उद्योग 5.0’ के अनुरूप कार्यबल को नए और उन्नत कौशल के लिए तैयार करना एचआर की जिम्मेदारी है.
हम-आप ‘उद्योग 5.0’ की आवश्यकताओं के अनुरूप खुद को कैसे ढाल सकते हैं?
हमें चाहिए – एक, डिजिटल कौशल, जैसे डेटा विश्लेषण, प्रोग्रामिंग, डिजिटल मार्केटिंग आदि. दो- सौम्य कौशल, जैसे संवाद, टीमवर्क, समस्या-समाधान और समालोचनात्मक चिन्तन, ताकि हम ज्यादा जटिल और रचनात्मक काम कर सकें. तीन – सतत विकास और सीखने की मानसिकता. चार – अंतरविषयक शिक्षा जो अलग-अलग उद्योगों में काम और विविध संस्कृतियों एवंनज़रियोंसे रूबरू होकर मिलती है. पांच – कार्य-सप्ताह 3 दिवसीय हो सकते हैं, जिससे हमें विश्राम, परिवार और कुछ और काम हेतु अधिक समय मिल सकता है.
हम ‘उद्योग 5.0’ के मुहाने पर खड़े हैं. अब यह हम पर है कि इस लम्हे को अपनी गिरफ्त में लेकर नवयुग की राह को सामाजिक उद्देश्य की ओर मोड़ दें.
सुधीश वेंकटेश अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में मुख्य संचार अधिकारी और प्रबंध संपादक हैं.
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