देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. सावन के पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर, चौथे दिन मां संध्या मंदिर, पांचवे दिन चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, छठे दिन महाकाल भैरव मंदिर, सातवें दिन भगवान हनुमान के मंदिर, आठवें दिन मां मनसा मंदिर और नौवें दिन मां सरस्वती मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको बगलामुखी मंदिर के बारे में बताएंगे.
ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण स्थित मां बगला की बड़ी महिमा है. यहां मां सती का ह्दय के गिरने से इस स्थान का बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ मां शक्ति, मां बगला पीताम्बरी के रूप में विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री राम दत्त ओझा ने 1793 में निर्माण कराया. इस मंदिर से शिव के साथ शक्ति का महत्व है. मां बगला मंदिर की लंबाई लगभग 30 फीट व चौड़ाई लगभग 25 फीट है. मां बगला के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे गहरे पीले रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है.
इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से भक्त मां बगला, मां पिताम्बरी के प्रांगण में पहुंचते है सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं, जहां मां पीताम्बरी के दर्शन होते हैं. यह देवी वैद्यनाथ तीर्थ की द्वितीय अधिष्ठात्री देवी मां बगला है. जिसके कारण मां शक्ति की पूजा करने के लिए प्रवेश कर भक्त बायीं ओर से पूजा करते हैं. इनकी पूजा अर्चना करने के लिए भक्त पीले फुल, दही हल्दी, पीले भोग लगा कर मां पिताम्बरी की पूजा करते हैं.
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यहां पर भक्तों वह पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है. इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर से पूजा करते हैं. यहां पर मां बगला की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. मंदिर स्टेट की ओर से माघ मास पूर्णिमा को मां की वार्षिक पूजा विधि विधान से षोडशोपचार उपचार विधि से किया जाता है. भक्त सालों भर मां बगला की पूजा कर सकते हैं. इस मंदिर में प्रवेश करते ही तीर्थ पुरोहित कुंजिलवार परिवार के वंशज मां बगला के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं. यह अपने यात्रियों के संकल्प पूजा, उपनयन, विवाह, मुंडन, विशेष पूजा आदि अनुष्ठान कराते है.
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