Bihari Workers Killed in Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में पिछले कुछ दिनों टार्गेट किलिंग की कई घटनाएं हुई हैं. अब बताया जा रहा है कि आतंकवादियों ने गुरुवार को तीन गैर स्थानीय श्रमिकों को गोली मार दी. तीनों सुपौल जिले के रहने वाले बताये जा रहे हैं. खबरों के मुताबिक, आतंकवादियों ने गुरुवार की शाम को दक्षिण कश्मीर जिले के गगरान इलाके में तीन गैरस्थानीय श्रमिकों पर गोलीबारी की, जिससे वे घायल हो गये. घायलों को एक अस्पताल ले जाया गया. जहां उनका इलाज किया जा रहा है. घायल मजदूरों में पहचान अनमोल कुमार, पिंटू कुमार ठाकुर और हीरालाल यादव के रुप में हुई है. क्षेत्र में नाकेबंदी कर दी गयी है और हमलावरों को गिरफ्तार करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है. इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती करके सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
गोलीबारी के संबंध में जानकारी देते हुए सुपौल के एसपी शैशव यादव ने कहा कि इसकी जानकारी हमें नहीं है. जानकारी के बाद ही कुछ बता सकते हैं. इधर, तीनों मजदूरों के परिजन परेशान हैं. वहां फोन से भी किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है. आधिकारिक स्तर पर भी परिजनों से संपर्क नहीं किया गया है. खबर मिलने के बाद परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल हो गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि गगरान गांव में एक किराये के मकान में बिहार के तीन गैर-स्थानीय मजदूर रहते थे. उस मकान में शाम के समय अचानक से दो नकाबपोश आतंकी घुस आए. घर में घूसते ही, आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दिया. इसमें तीनों गंभीर रुप से जख्मी हो गए. इसके बाद आतंकी वहां से भाग गए. स्थानीय लोगों की मदद से सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां से उन्हें फिर बेहतर इलाज के लिए श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल में रेफर कर दिया.
Also Read: बिहार: भाजपा के विधानसभा मार्च पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, विजय कुमार सिन्हा हुए जख्मी
कश्मीर में इससे पहले पिछले महीने उधमपुर के रहने वाले एक व्यक्ति की हत्या की गयी थी. मृतक दीपक कुमार (दीपू) अनंतनाग के जंगलात मंडी में सर्कस मेले में काम करता था. जबकि, फरवरी के महीने में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गयी थी. आतंकियों ने पुलवामा में इस हत्या को अंजाम दिया था. मृतक का नाम संजय शर्मा बताआ जाता है. जो अपने ही गांव में गार्ड का काम करते थे. वो सुबह के वक्त ड्यूटी से लौट रहे थे. तभी ही, पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने उन पर फायरिंग कर दी. इससे उनकी मौत घटना स्थल पर ही हो गयी. पिछले वर्ष सितंबर में पुलवामा के खरपोरा रत्नीपोरा में आतंकियों ने दो अन्य मजदूरों को गोली मार दी. दोनों मजदूर मूल रूप से बिहार के बेतिया के रहने वाले थे और उनकी पहचान शमशाद और फैजान कासरी के रूप में हुई. घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
पिछले एक वर्ष में दो दर्जन से ज्यादा लोग टार्गेट किलिंग में अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले वर्ष जनवरी से लेकर अगस्त तक टार्गेट किलिंग में 27 लोगों की हत्याएं हुई. जबकि कई लोग घायल हुए. हालांकि, साल का अंत आते-आते हमले के मामले बढ़े. ऐसे में घायलों और मृतकों की संख्या में इजाफा हुआ. मारे गए लोगों में कश्मीरी पंडित, सुरक्षाकर्मी और बाहरी मजदूर थे. पिछले वर्ष संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्र सरकार की तरफ से ये जानकारी दी गयी थी कि जनवरी 2017 से 26 जुलाई 2022 तक जम्मू-कश्मीर में 28 मजदूरों की हत्या कर दी गई. इसके कारण अलग-अलग बताये जाते हैं. केंद्र सरकार ने बताया कि 2018 से 2021 के बीच घाटी में आतंकी घटनाओं में काफी कमी आयी है. 2018 में जहां 417 आतंकी वारदातें दर्ज की गई थीं, वहीं 2021 में यह संख्या 229 रही. जो कुछ टारगेट किलिंग की वारदातों में अल्पसंख्यकों और बाहरी मजदूरों पर हमले हुए, वे सीमा पार से प्रायोजित थे.
टार्गेट किलिंग का सीधा अर्थ है चूनकर या निशाना बनाकर मारना. स्थानीय आतंकियों के द्वारा कश्मीर के बाहर के लोगों को आतंक फैलाने के लिए निशाना बनाया जाता है. इसमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित, सुरक्षाकर्मी और बाहरी मजदूर को निशाना बनाया जाता है.