राजीव पांडेय, रांची:
झारखंड में नॉन कॉम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) के मरीजों की पहचान के लिए स्क्रीनिंग करायी जा रही है. इसमें डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की जांच कर पता किया जा रहा है कि राज्य में इस बीमारी से कितने मरीज पीड़ित हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में वर्ष 2022-23 में 28 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गयी, जिसमें 2,84,360 डायबिटीज के संदिग्ध मरीज मिले. इसमें से 76,509 मरीजों में हाई शुगर की पुष्टि हुई. हाई शुगर होने से इन्हें तत्काल डायबिटीज की दवा शुरू करायी गयी है. वहीं, 23,979 को शुगर और बीपी दोनों की पुष्टि हुई, जिसकी दवाइयां शुरू की गयी हैं.
स्क्रीनिंग के दौरान 2,07,651 लोगों में शुगर का लेवल बॉर्डर लाइन पर या उससे हल्का अधिक पाया गया. ऐसे मरीजों को डायबिटीज से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है. इन्हें जीवनशैली में बदलाव लाने और खानपान को संयमित करने के लिए कहा जा रहा है. वहीं, डायबिटीज के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि 2,07,651 लाख लोग प्री-डायबिटीज से ग्रसित हैं. इनमें डायबिटीज होने की प्रबल संभावना है.
अगर समय रहते इन्होंने शुगर के स्तर को नियंत्रित नहीं किया, तो डायबिटीज की दवाएं देनी होंगी. राज्य में इस वित्तीय (वर्ष 2023-24) के तीन महीने में नॉन कॉम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) के लिए आठ लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गयी है. इसमें भी करीब 10 फीसदी डायबिटीज के संदिग्ध मरीज मिले हैं. हाई शुगर के करीब 20 से 22 फीसदी मरीजों को दवा देने की जरूरत पड़ सकती है. राज्य में गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज की स्क्रीनिंग भी करायी गयी है.
राज्य में 28 लाख लोगों में डायबिटीज व बीपी की स्क्रीनिंग की गयी थी. 2,84,360 संदिग्ध डायबिटीज के मरीज मिले. 76,509 को दवा शुरू की गयी है. वहीं, शेष प्री-डायबिटीज मरीजों को जीवनशैली में सुधार करने को कहा गया है.
– डॉ एलआर पाठक, स्टेट नोडल पदाधिकारी