कोलकाता, शिव कुमार राउत : पश्चिम बंगाल में आम आदमी पर महंगाई की मार लगातार पड़ रही है. हरि सब्जियों के दाम इस कदर बढ़ रहे हैं कि आज लोगों की थालियों से सब्जियां गायब होने लगी हैं. टमाटर के दाम के साथ-साथ अदरक और हरी मिर्च के दाम भी बढ़ चुके हैं. सब्जियों के बढ़ती कीमतों ने लोगों के खाने का स्वाद ही बिगाड़ दिया है. बढ़ते दामों को लेकर आम लोगों का कहना है कि सब्जियों के बढ़ते दाम के कारण अब रसोई घर में सब्जियां कम दिख रही हैं. लोगों को अन्य खाद्य पदार्थों से काम चलाना पड़ रहा है. मध्यमवर्गीय परिवारों को अधिक परेशानी हो रही है.
देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी की वजह से खेतों में सब्जियां सूख गयी हैं. सब्जियों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. इस वजह से सब्जियों की कीमत आसमान छू रही हैं. यह कहना है राज्य सरकार की टास्क फोर्स मार्केटिंग कमेटी के वरिष्ठ सदस्य रवींद्रनाथ कोले का. श्री कोले ने बताया कि आने वाले 10-15 दिनों के भीतर सब्जियों की बढ़ी हुई कीमत कम हो सकती है. वहीं, इस दौरान कालाबाजारी रोकने के लिए टास्क फोर्स की ओर से महानगर के विभिन्न बाजारों पर नजर रखी जा रही है. टास्क फोर्स के सदस्य कोलकाता पुलिस के साथ मिल कर बाजारों में अभियान चलाते हैं. इस वक्त बंगाल ही नहीं, देश के कई राज्यों में भी सब्जियों की कीमत बढ़ी हुई है.
पिछले कुछ दिनों से जिस तरह टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं, उसे देखकर आम आदमी परेशान है. खाने की थाली में टमाटर दूर होता जा रहा है, क्योंकि इसका असर सीधे तौर पर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है. आने वाले समय में टमाटर की कीमत और बढ़ सकती हैं और यह सिलसिला इस महीने तक जारी रह सकता है. इस बारे में रवींद्रनाथ कोले ने बताया सावन से पहले हर साल जून से जुलाई के बीच टमाटर की कीमत बढ़ जाती है. अगस्त महीने से कीमत घटने लगती है, क्योंकि इन दो महीने में टमाटर की खेती नहीं होती है. पैदावार नहीं होने की वजह से टमाटर की कीमत बढ़ जाती है.
श्री कोले ने कहा कि, धान के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में सब्जियों की भी अच्छी खेती होती है. राज्य के दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर, डायमंड हार्बर के साथ ही उत्तर 24 परगना, पूर्व व पश्चिम बर्दवान, पुरुलिया, मुर्शिदाबाद सह अन्य जिलों में सब्जियों में बंपर पैदावार होती है. इसके बाद कुछ अन्य राज्य जैसे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक सह दक्षिण भारत के कई राज्य से बंगाल में सब्जियां मंगवायी जाती हैं. उन्होंने बताया कि कर्नाटक से हरी मिर्च आयात की जाती है. बंगाल में सब्जियों की पैदावार कम होने से अधिक मात्रा में उक्त राज्यों से सब्जियां मंगवायी जाती हैं.
बैगन : 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम
टमाटर : 120 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम
करेला : 100 रुपया प्रति किलोग्राम
हरी मिर्च : 250 से 300 रुपया किलोग्राम
प्याज : 30 रुपये किलोग्राम
परवल : 50 रुपये किलोग्राम
तोरई : 60 रुपये प्रति किलोग्राम
कद्दू : 30 प्रति किलोग्राम
लौकी : 30-40 रुपये (एक)