शासन प्रशासन लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर होने का दावा करता है, पर कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है़ वहीं कुछ जगह ऐसी हैं, जो शासन प्रशासन की उपेक्षा की शिकार हैं और यहां स्थित स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. कुछ इसी तरह का हाल प्रखंड की नावाडीह पंचायत स्थित जेरुआडीह के वार्ड नंबर 12 में संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र का है. केंद्र का भवन जर्जर हो गया है़ यह उप स्वास्थ्य केंद्र करीब 47 वर्ष पुराना है.
बताया जाता है कि 1975-76 में बिहार सरकार के समय में इस केंद्र का निर्माण हुआ था, तब से अब तक काफी बदलाव हुए, पर केंद्र की दशा खराब हो गयी है. हाल यह है कि इस केंद्र में पानी व शौचालय की व्यवस्था भी सही से नहीं है. शौचालय बना तो है, पर जर्जर है. एक तो भवन जर्जर ऊपर से पानी व शौचालय की सही सुविधा नहीं, ऐसे में यहां मरीजों का इलाज किस प्रकार होता होगा, यह अपने आप में सवाल है़ यही नहीं, केंद्र का भवन जर्जर होने से यहां कार्यरत कर्मियों के साथ ही मरीजों की जान भी हमेशा सांसत में रहती है.
मरीजों, एएनएम व अन्य कर्मियों को हमेशा डर बना रहता है कि जर्जर छत का प्लास्टर कहीं गिर न जाये. इन्हें हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इस केंद्र में नावाडीह, जेरूआडीह व आसपास के गांव के लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. केंद्र में होमियोपैथ डॉ प्रियंका कुमारी सहित दो एएनएम जयमंती कुमारी व रिंकी कुमारी पदस्थापित हैं. हालांकि, रात के समय कोई डॉक्टर नहीं रहते हैं. रिकार्ड के अनुसार, यहां माह में औसतन एक सौ मरीजों का इलाज होता है. जरूरत की दवा यहां उपलब्ध है. साथ ही यहां एचआइवी, हिमोग्लोबिन व मलेरिया जांच की जाती है.