शिमला/नई दिल्ली : बाढ़ और बारिश की वजह हिमाचल प्रदेश भारी तबाही का दंश झेल रहा है. बाढ़ के बाद राहत एवं बचाव कार्य जारी रखने के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है. समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भीषण बारिश से मची तबाही का दंश झेल रहे हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये की अंतरिम सहायता मांगी है. सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बाढ़ पीड़ितों को दिया जाने वाला मुआवजा बढ़ाने के लिए राहत नियमावली में बदलाव किया जाएगा.
बाढ़ और बारिश से 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान
हिमाचल प्रदेश में पिछले हफ्ते भारी से बहुत भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ और अचानक बाढ़ आ गई, जिससे सड़कें जाम हो गईं और बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की है और उनसे 2,000 करोड़ रुपये की अंतिम राहत देने का अनुरोध किया है. उन्होंने बताया कि राज्य को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और यह आंकड़ा बढ़ सकता है.
प्रभावित परिवार के लिए आपदा राहत कोष गठित
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की थी कि प्रत्येक प्रभावित परिवार को एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए राहत नियमावली में बदलाव किया जाएगा. राहत नियमावली के अनुसार, अभी आपदा से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को 5,000 रुपये का मुआवजा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि परेशानी में फंसे लोगों की मदद के लिए एक आपदा राहत कोष बनाया गया है.
एक दिन का वेतन दान करेंगे विधायक, मंत्री और अधिकारी
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में सभी मंत्रियों तथा कांग्रेस विधायकों ने पीड़ितों की मदद के लिए एक महीने का वेतन दान देने का निर्णय लिया है. उन्होंने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और हिमाचल प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के संघ तथा अन्य लोगों ने भी राहत कोष में एक दिन का वेतन दान देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हम भाजपा विधायकों से भी एक दिन का वेतन आपदा राहत कोष में दान करने का अनुरोध करेंगे. उन्होंने आम जनता से भी राहत कोष में योगदान देने की अपील की.
सरकार ने तीन सूत्री रणनीति बनाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने तीन सूत्री रणनीति-बचाव, निकासी और बहाली बनाई है. लाहौल और स्पीति में हिमपात से प्रभावित चंद्रताल में फंसे 250 पर्यटकों समेत करीब 67,000 पर्यटकों को बचाया गया है और अब ध्यान बुनियादी ढांचे की मरम्मत पर केंद्रित है. उन्होंने बताया कि कुछ पर्यटक कसोल और तीर्थन घाटी में फंसे हैं. वे सभी सुरक्षित हैं और उन्हें भोजन तथा अन्य आवश्यक सामान उपलब्ध कराया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र से मिले 180 करोड़ रुपये मानसून के दौरान राज्य को हर साल दी जाने वाली सहायता राशि है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अभी तक वित्तीय मदद नहीं मिली है.
बाढ़ और भूस्खलन से 108 लोगों की मौत, 12 लापता
राज्य आपदा प्रतिक्रिया केंद्र के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 26 जून को मानसून आने के बाद से 108 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 अन्य लापता हैं. राज्य में 667 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं. वहीं, 1,264 मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. हिमाचल में पिछले 24 घंटे में 17 लोगों की जान गई है, जिसमें मंडी और शिमला जिलों में सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए छह लोग भी शामिल हैं. कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक सतवंत अटवाल ने बताया कि बचाव अभियान जारी है और पुलिस दल उन अंदरुनी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं, जहां बाढ़ तथा भूस्खलन के कारण सड़कें जाम हो गई हैं. अटवाल ने बताया कि कसोल, मणिकर्ण और आसपास के इलाकों में फंसे पर्यटकों ने अपने वाहनों के बिना निकलने से इनकार कर दिया है तथा स्थिति सामान्य होने तक वहीं रुकने का फैसला किया है.
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गृह मंत्री अमित शाह ने 180 करोड़ रुपये की दी मंजूरी
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बाढ़ प्रभावित हिमाचल प्रदेश के लिए राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) के केंद्रीय हिस्से के रूप में 180.40 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जारी करने के लिए मंजूरी दे दी. यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि धनराशि जारी होने से राज्य सरकार को मानसून के दौरान प्रभावित लोगों के लिए राहत उपाय करने में मदद मिलेगी. इसमें कहा गया है कि गृह मंत्री ने हिमाचल प्रदेश को अंतरिम राहत के रूप में 2023-24 के लिए एसडीआरएफ के केंद्रीय हिस्से की दूसरी किस्त (180.40 करोड़ रुपये) जारी करने को मंजूरी दे दी. इससे पहले, हिमाचल प्रदेश में बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता के लिए केंद्र सरकार ने एसडीआरएफ से केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त (180.40 करोड़ रुपये) 10 जुलाई को राज्य को जारी की थी.