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बिहार भू-सर्वेक्षण: 20 जिलों में जमीन मालिकों को बांटा जाएगा खानापुरी पर्चा, 600 मौजा का सर्वे कार्य होगा तेज

बिहार में 20 जिलों के 89 अंचलों के 208 शिविरों के 4927 गांवों में भूमि सर्वेक्षण हो रहा है. इनमें से करीब 550 मौजों में अंतिम प्रकाशन हो चुका है, यानी सर्वेक्षण का काम पूरा हो गया है. साथ ही 15 सौ मौजों का प्रारूप प्रकाशित हो चुका है.

बिहार के 20 जिलों में भूमि सर्वेक्षण में तेजी लाने के लिए जमीन मालिकों को लैंड पोजीशन मैप (एलपीएम) के बगैर एक सप्ताह में खानापुरी पर्चा वितरित करने का निर्देश सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को दिया गया है. खानापुरी पर्चा को कच्चा खतियान भी कहते हैं. दोनों दस्तावेजों के आधार पर जमीन मालिक सहित आम लोगों को सर्वेक्षण की जानकारी मिलती है. इसके आधार पर किसी भी गलत प्रविष्टि के खिलाफ शिविर में दावा या आपत्ति दायर किया जा सकता है. इस संबंध में भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जय सिंह ने एक पत्र जारी किया है. इस व्यवस्था से करीब छह सौ मौजों में खानापुरी के बाद सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. निदेशक जय सिंह ने पिछले दिनों बंदोबस्त पदाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की थी.

छह सौ मौजा में भूमि सर्वेक्षण कार्य में तेजी आयेगी

सूत्रों के अनुसार सॉफ्टवेयर में तकनीकी गड़बड़ी से एलपीएम नहीं निकल पा रहा था. ऐसे में सर्वे का काम बाधित हो रहा था. निदेशालय ने इसे दूर करने के लिए रैयतों के बीच खानापुरी पर्चा वितरित करने की व्यवस्था लागू की है. किस्तवार और खानापुरी के बाद सर्वे कर्मियों द्वारा जमीनी काम पूरा करने के बाद संबंधित गांव की खेसरा पंजी तैयार की जाती है. उसके आधार पर खानापुरी पर्चा निर्गत किया जाता है और एलपीएम का रैयतों में वितरण किया जाता है. इस निर्णय से अब खानापुरी के बाद दावा व आपत्ति सहित सुनवाई शुरू हो जायेगी. इस प्रकार करीब छह सौ मौजा में भूमि सर्वेक्षण कार्य में तेजी आयेगी.

20 जिलों में हो रहा भूमि सर्वेक्षण

गौरतलब है कि बिहार में 20 जिलों के 89 अंचलों के 208 शिविरों के 4927 गांवों में भूमि सर्वेक्षण हो रहा है. इनमें से करीब 550 मौजों में अंतिम प्रकाशन हो चुका है, यानी सर्वेक्षण का काम पूरा हो गया है. साथ ही 15 सौ मौजों का प्रारूप प्रकाशित हो चुका है. 600 मौजों में खानापुरी पर्चा वितरित करने के साथ ही प्रारूप प्रकाशित किये जा चुके करीब 1500 मौजों सहित करीब 27 सौ मौजों में अक्तूबर, 2023 तक अंतिम प्रकाशन यानी सर्वे का काम पूरा कर लिया जायेगा.

इन जिलों में चल रहा सर्वे

किशनगंज, बेगूसराय, लखीसराय, जहानाबाद, अररिया, सीतामढ़ी, सुपौल, पश्चिम चंपारण, शिवहर, बांका, शेखपुरा, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, मुंगेर, नालंदा, खगड़िया, अरवल, मधेपुरा, जमुई

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क्या होता है खानापूरी पर्चा

खानापूरी पर्चा एक ऐसा पर्चा होता है जो कि रैयतो के दखल कब्जा एंव कागजात के आधार पर तैयार होता है. जिसमें रैयतों का नाम पता रकवा जमीन का चौहदी दर्ज होता है. खानापुरी पर्चा को कच्चा खतियान भी कहते हैं.

क्या होता है खतियान

खतियान एक ऐसा दस्तावेज होता है जिस पर रैयतो की जमीन एवं मौजे की पूरी जानकारी होती है. इसके साथ ही इस दस्तावेज में खतियान धारी इंसान का नाम, पिता का नाम, मौजा (गांव) का नाम, जाति, थाना नंबर, अंचल का नाम, जिला का नाम, राज्य का नाम, खाता नंबर, खेसरा नंबर (प्लाट नंबर), जमीन (खेत) के चौहदी, जमीन का दखल और दखल का स्वरुप, नवैयत/जमाबंदी नंबर का पूरा विवरण लिखा होता है.

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