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बिहार में लागू नहीं होगा यूसीसी, सीएम नीतीश कुमार ने मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सदस्यों को दिया आश्वासन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली का प्रतिनिधिमंडल यूसीसी लागू नहीं कराने को लेकर समर्थन जुटान के लिए विभिन्न पार्टियों के नेताओं से मुलाकात रहा है. इसी कड़ी में शनिवार को इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है.

बिहार में काॅमन सिविल कोड (यूसीसी) लागू नहीं होगा. शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शनिवार काे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने बताया कि मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन लोगों आश्वस्त किया कि बिहार में यूसीसी लागू नहीं होगा. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी वह इसका विरोध करेंगे. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी को लेकर वह अपने पुराने स्टैंड पर कायम हैं. उन्होंने इस संबंध में पूर्व में ही विधि आयोग को अपना स्टैंड बता दिया है. इसी स्टैंड पर अब भी कायम हैं.

मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन

प्रतिनिधिमंडल में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और जदयू एमएलसी डा खालिद अनवर भी शामिल थे. मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान पर्सनल बोर्ड के सदस्यों ने बोर्ड व अल्पसंख्यक समाज की समस्याओं की जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि प्रदेश के हर वर्ग व तबके की सुविधा तथा उनकी परेशानियों के निराकरण के लिए सरकार कटिबद्ध है.

इन लोगों ने की मुलाकात

मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बाेर्ड के प्रतिनिधिमंडल में हजरत मौलाना ओबैदुल्लाह असदी, हजरत मौलाना अतिकुर्रहमान बस्तवी, हजरत मौलाना बद्र अहमद, हजरत मौलाना अनिसुर रहमान कासमी शामिल रहे. सदस्यों ने पटना में 23 जून को हुई गैर भाजपा दलों की बैठक के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी. साथ ही कहा कि पूरा देश खास कर अल्पसंख्यक समाज आपकी ओर उम्मीद से देख रहा है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जुटा रहा समर्थन

गौरतलब है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली का प्रतिनिधिमंडल यूसीसी लागू नहीं कराने को लेकर समर्थन जुटान के लिए विभिन्न पार्टियों के नेताओं से मुलाकात रहा है. यह प्रतिनिधिमंडल भाकपा-माले के नेताओं से भी मिल चुका है. इसी कड़ी में शनिवार को इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है.

क्या है काॅमन सिविल कोड

समान नागरिक कानून यानी काॅमन सिविल कोड का मतलब है कि सबके लिए एक नियम. इसके मुताबिक पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक होंगे. दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 44 में भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान लागू करने की बात कही गयी है. अनुच्छेद- 44 संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ”धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य” के सिद्धांत का पालन करना है.

इन देशों में है काॅमन सिविल कोड

काॅमन सिविल कोड का पालन कई देशों में होता है. इन देशों में अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलयेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, आयरलैंड, आदि शामिल हैं. इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए एकसमान कानून है और किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए अलग कानून नहीं हैं.

भारत में अभी क्या काॅमन सिविल कोड की स्थिति

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872, नागरिक प्रक्रिया संहिता, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882, भागीदारी अधिनियम, 1932, साक्ष्य अधिनियम, 1872 जैसे मामलो में सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम लागू हैं. लेकिन धार्मिक मामलों में सब के लिए अलग-अलग कानून लागू हैं और इनमें बहुत विविधता भी है.

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