Muzaffarpur Shelter Home Case: मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड में दोषी ब्रजेश ठाकुर की मां और पत्नी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम मामले में मनी लॉन्ड्रिंग केस की प्रक्रिया पूरी होने तक ब्रजेश ठाकुर की मां और पत्नी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने दोनों की उम्र को ध्यान में रखते हुए राहत बढ़ाने का फैसला लिया है. दरअसल, शेल्टर होम केस में ब्रजेश ठाकुर, उसकी मां और पत्नी समेत परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तरह केस दर्ज हुआ था. आरोप है कि इन्होंने बच्चों के कल्याण के लिए सरकार और अन्य माध्यम से मिले पैसों का व्यक्तिगत इस्तेमाल किया.
पटना हाइकोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर की मां मनोरमा देवी और पत्नी कुमारी आशा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जस्टिस एएस. बोपन्ना और जस्टिस एमएम. सुंदरेश की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को प्रक्रिया पूरी होने तक अंतरिम सुरक्षा दी गयी है, बशर्ते कि याचिकाकर्ता आगे की प्रक्रिया में आवश्यकता पड़ने पर गंभीरता से शामिल हों. गौरतलब है कि 2020 में एनजीओ फंड के अवैध रूप से दुरुपयोग करने के लिए ब्रजेश और उसके परिवार के सदस्यों सहित कई आरोपियों के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम- 2002 की धारा- 45 के तहत पटना स्थित विशेष न्यायालय के समक्ष मामला दायर किया गया था.
मुजफ्फरपुर के बालिका शेल्टर होम में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न के मामले की पुलिस के जांच में पुष्टि हुई है. मामले के जांच में ये पता चला कि लड़कियों को नशीली दवाएं देकर उनके साथ मारपीट और शोषण किया जाता था. इस मामले की सीबीआई के द्वारा जांच की गयी. मामले में शेल्टर होम के संचालक और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को उम्रकैद की सजा सुनाई. वहीं, बच्चियों के यौन शोषण के मामले में ब्रजेश ठाकुर के अलावा 19 लोगों को आरोपित बनाया गया था. कोर्ट ने ब्रजेश के अलावा 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. आरोपियों को नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के लिए पोक्सो एक्ट सहित NDPS और आर्म्स एक्ट सहित IPC की कई धाराओं में आरोप सिद्ध होने पर सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने जिन आरोपितों को सजा सुनाया उसमें मुजफ्फरपुर में बाल कल्याण समिति के पूर्व प्रमुख वर्मा, सदस्य कुमार और अन्य आरोपित गुड्डू पटेल, किशन, रामानुज, शाइस्ता परवीन, इंदु, मंजू, चंदा, मीनू, नेहा, हेमा मसीह और किरण आदि शामिल हैं.
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शेल्टर होम के संचालक और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर 45 आरोप लगाये गए थे. इसमें से कई आरोप साबित नहीं हो सके. कई आरोप साक्ष्य के अभाव में साबित नहीं हो पाये. छह पीड़िताओं ने साहस के साथ सीबीआइ और कोर्ट को सच्चाई बतायी. कोर्ट ने ब्रजेश को रेप व गैंगरेप का दोषी माना. आरोप ऐसे भी हैं कि पढ़ व सुन कर सिर शर्म से झुक जाये. प्रताड़ना की हद ऐसी कि रोंगटे खड़े हो जायें. एक लड़की ने आरोप लगाया था कि ब्रजेश ने शराब में नशा की दवा डाल कर उसे जबरन पिला दी थी. किचेन में ले जाकर उसके साथ रेप किया था. दूसरे दिन किरण व ब्रजेश मुझे देख कर हंस रहे थे. दूसरी बार ब्रजेश ने मुझे भाई के फोन आने के बहाने बुला कर होश में ही बलात्कार किया था. बालिका गृह के क्लास रूम में रवि रौशन ने नशे की हालत में उसके साथ गलत किया था. वीडियो भी बनाया था.
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बालिका गृह में रहनेवाली पीड़िता अपने घर से मम्मी-पापा के मारने पर भागी थी. रास्ते में पुलिस ने पकड़ कर बालिका गृह भेज दिया था. वह एक साल तक यहां रही. कोर्ट को उसने बताया कि यहां का माहौल बिल्कुल अच्छा नहीं था. ब्रजेश ठाकुर उसे बहुत मारता था. सफेद बाल वाला बूढ़ा आदमी, जिसे मामू के नाम से लोग पुकारते थे, उसने उसके साथ रेप किया था. ब्रजेश और रवि रौशन लड़कियों को जबरन छोटे कपड़ों में भोजपुरी के गंदे गानों पर डांस करने के लिए मजबूर करते थे.