आरफीन जुबैर, भागलपुर
बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन सेवा के लिए आनेवाले समय में भटकने या कतार में लगने की जरूरत नहीं होगी. वे अपने संस्थानों के कैंपस में ही ऑनलाइन फॉर्म भर सकेंगे, एडमिट कार्ड, माइग्रेशन व प्रोविजनल सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकेंगे. इसके लिए भारत सरकार ने विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) खोलने की अनुमति दे दी है.
इसका प्रस्ताव बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को सौंपा गया है. राज्य सरकार से अनुमति मिलते ही छात्र-छात्राओं को यह सेवा मिलनी शुरू हो जायेगी. इस बाबत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व कॉलेजों के प्राचार्यों को इसका लाभ छात्र-छात्राओं को दिलाने का अनुरोध किया है. इस बाबत यूजीसी के सचिव प्रो मनीष आर जोशी ने विश्वविद्यालयों को पत्र भेजा है.
बिहार के सभी पंचायत में कॉमन सर्विस सेंटर हैं. इन सेंटरों की संख्या 38294 है. दूसरी ओर विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में सीएससी खोल कर छात्र-छात्राओं को लाभ दिलाने की योजना छह दिसंबर 2021 को ही बनी थी. इसमें यूजीसी ने एचइआइ से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) द्वारा दी जानेवाली विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने का अनुरोध किया था. एक बार फिर इसे सक्रियता के साथ लागू करने का निर्देश दिया गया है. सीएससी सरकार की डिजिटल डिलिवरी के लिए काम कर रहा है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत नागरिकों को उनके घर के पास ही सेवाएं उपलब्ध करा रहा है.
वर्तमान में अपने व्यापक नेटवर्क के माध्यम से सीएससी देश भर में कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहा है. वहीं, प्रवेश फॉर्म भरने, प्रमाणपत्र अपलोड और निर्माण, शुल्क भुगतान, प्रवेश पत्र डाउनलोड करना, ऑनलाइन प्रवेश प्रबंधन प्रणाली आदि जैसी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं. ये लाभ सभी विश्वविद्यालयों को लेने का अनुरोध किया गया है.
भारत सरकार के निर्देश पर सीएससी के माध्यम से छात्र-छात्राओं को लाभ दिलाने के लिए राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को प्रस्ताव सौंपा गया. विभाग से अनुमति मिलते ही यह सेवा बिहार के सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में सीएससी खोल कर शुरू कर दी जायेगी.
संतोष कुमार तिवारी, स्टेट हेड, सीएससी, बिहार
पश्चिम चंपारण प्रदेश में जारी स्कूलों के जांच अभियान में अव्वल बना हुआ है. वहीं नियोजित शिक्षकों के आंदोलन में 64 शिक्षकों की पहचान करने में जिले का ग्राफ सबसे ऊपर है. इस सफलता को लेकर बिहार के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से जिले को शाबाशी मिली है. इतना ही नहीं 13 व 14 जुलाई को बिहार भर के सभी स्कूलों की जांच के विशेष अभियान में भी पश्चिम चंपारण ने कमाल कर अपना दबदबा पूरे बिहार में बनाया है.
डीइओ रजनीकांत प्रवीण ने बताया 13 व 14 जुलाई को टोटल स्कूल इंस्पेक्शन का लक्ष्य निर्धारित कर स्पेशल ड्राइव डे घोषित किया गया था. 13 जुलाई को हल्की या मध्यम वर्षा होने के बावजूद कुल 2843 स्कूलों की जांच के लक्ष्य के विरुद्ध 2593 स्कूलों का निरीक्षण किया गया. अनेक स्कूलों में जलजमाव के बावजूद छात्रों की उपस्थिति 75 फीसदी से अधिक व शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति पायी गयी. इसके अनूठे उदाहरण दियारावर्ती व योगापट्टी अंचल का पिपराहिया मध्य विद्यालय है. निरीक्षक शिक्षाकर्मी मुकुल कुमार पहुंचे और जूता बाहर निकाल स्कूल परिसर में लगे पानी को पार कर जांच पूरी की.
उन्होंने बताया कि वर्षा के बावजूद 1663 स्कूलों में 50 से 75 फीसदी तक उपस्थित मिली. जबकि जिलेभर के कुल 440 स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति 75 फीसदी से भी अधिक मिली. कुछ इसी प्रकार का ग्राफ 14 जुलाई की जांच का भी है. डीइओ ने बताया कि इसका एक कारण डीएम दिनेश कुमार राय सर व उप विकास आयुक्त अनिल कुमार तक के एक दिन में दर्जनभर स्कूलों की जांच रहा है. इधर 11 व 12 जुलाई को पटना के आंदोलन में शामिल 64 शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई को लेकर भी जिला राज्य में अव्वल बन गया है. श्री प्रवीण ने बताया कि शिक्षकों पर कार्रवाई का यह ग्राफ और बढ़ने वाला है. मुख्यालय से प्राप्त दर्जनों वीडियो व फोटो जिले से लेकर व प्रखंडों के शिक्षा अधिकारी खंगाल रहे हैं.
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में संचालित एमएड पाठ्यक्रम में नये सत्र 2022-24 में नामांकन के लिए रविवार को प्रवेश परीक्षा शुरू हुई. इसके लिए मारवाड़ी कॉलेज में सेंटर बनाया गया है. विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ आनंद कुमार झा ने कहा कि कुछ तकनीकी कारणों से जिन स्टूडेंट्स को एडमिट कार्ड नहीं मिल पाया था. ऐसे स्टूडेंट्स को सेंटर पर ही सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक एडमिट कार्ड दे दिया गया. परीक्षा सुबह 11 से दो बजे तक होगी. इसमें 280 छात्र-छात्राएं शामिल होंगी.