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Explainer: बारिश शुरू होते ही झारखंड में मिलने लगीं सांपों की ये प्रजातियां, जानें उनके बारे में रोचक बातें

झारखंड के पिठोरिया क्षेत्र से शनिवार को सर्प मित्र शुभम कुमार और उमा कुमार ने कोबरा रेस्क्यू किया है. कोबरा को रेस्क्यू कर उसे रविवार को पतरातू के जंगल में छोड़ दिया गया

रांची : मॉनसून की बारिश शुरू होते ही सांप नजर आने लगे हैं. सांप काटने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं. हाल के दिनों में रांची और आसपास में विभिन्न प्रजातियों के सांप मिल रहे हैं. खास बात है कि लोग इन सांपों का मारने की जगह उन्हें पकड़वाने की कोशिश में जुटे हैं. यही कारण है कि हाल के वर्षों में सर्प मित्रों को राजधानी में सांपों की कई नयी प्रजातियां मिली हैं. इसका कारण सांपों के संरक्षण को लेकर जागरूकता का भी असर है. हाल में सर्प मित्रों ने अल्बिनो करैत, बैंडेट करैत, रसल वाइपर जैसे कई सांपों को रेसक्यू कराया है.

पिठोरिया में कोबरा व अजगर को पकड़ जंगल में छोड़ा

प्रखंड के पिठोरिया क्षेत्र से शनिवार को सर्प मित्र शुभम कुमार और उमा कुमार ने कोबरा रेस्क्यू किया है. कोबरा को रेस्क्यू कर उसे रविवार को पतरातू के जंगल में छोड़ दिया गया. पिठोरिया थाना क्षेत्र के जमुआरी गांव में आठ फीट का अजगर निकलने की सूचना मिलती ही भीड़ जमा हो गयी. बाद में अजगर का रेस्क्यू किया गया. ग्रामीणों के अनुसार जमुआरी पहाड़ से सटे सफीउल्लाह अंसारी के घर के आंगन में शनिवार दोपहर अचानक एक अजगर ने बिल्ली को पकड़ लिया. इसके बाद घर के लोग दहशत में आ गये. बाद में कोकदोरो निवासी जमील अख्तर ने अजगर को पकड़ा और उसे राड़हा जंगल में छोड़ दिया गया.

रसल वाइपर

हाल में राजधानी और आसपास में कई रसल वाइपर रेस्क्यू किये गये हैं. यह सीटी की तरह आवाज करता है. काफी लंबा और जहरीला होता है. संताल परगना वाले इलाके में दो-तीन साल पहले कई रसल वाइपर रेस्क्यू किये गये थे. पिछले छह माह में कांके के आसपास दो-तीन रसल वाइपर रेस्क्यू किये गये हैं.

ये जानिए रोचक तथ्य

भारत का सबसे बड़ा बिना जहर वाला सांप : अजगर

विश्व का आकार में सबसे बड़ा जहरीला सांप : किंग कोबरा

भारत का सबसे छोटा सांप : तेलिया

ज्यादातर जहरीले सांप रात के समय अपने भोजन की तलाश में निकलते हैं

सांपों से बचाव के उपाय

सांपों के बारे में जानकारी रखें

घर के आस-पास सफाई रखें

रात के समय घर के आस पास रोशनी रखें.

सांप डंसने के बाद उसे जितनी जल्द हो सके अस्पताल ले जायें

सांप काटने पर झाड़-फूंक ओझा-गुनी के चक्कर में नहीं पड़ें

रांची जिले में मिलनेवाले सांप

जहरीले सांप : भारतीय नाग, कॉमन करैत, सियार चंदा, धारीदार करैत, बम्बू पीट वाइपर.

बिना जहर वाले सांप : पानी वाला सांप जिसे ढोंड के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा धामन, कुकरी, वुल्फ स्नेक, सैंड बोआ, ब्राज बैक, ट्रि स्नेक, तेलिता सांप, होर होरा, अजगर.

विश्व में 3500 तरह के सांप

विश्व में 3500 तरह के सांप पाये जाते हैं. सबका रंग, आकार और व्यवहार अलग होता है. सबसे अधिक सांप ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है. यहां सांपों को लेकर काफी जागरूकता है. इस कारण वहां सांपों से होनेवाली मौत काफी कम या नहीं के बराबर है. माना जाता है सांप छेड़ने पर ही काटता है.

2000 से अधिक सांपों को रेसक्यू कराने का दावा

राज्य में सर्प मित्रों का एक संगठन भी है, जिसमें करीब तीन दर्जन लोग जुड़े हैं. राजधानी में सक्रिय सर्प मित्र उमाशंकर और शुभम पिछले छह साल से सांपों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं. अब तक दो हजार से अधिक सांपों को रेसक्यू कराने का दावा करते हैं. उमाशंकर ने कहा कि लोगों में अब जागरूकता फैलने लगी है. यही कारण सांप देखने के बाद सूचना देने लगे हैं. इससे सांपों का संरक्षण हो जाता है. हमलोग सांपों को पकड़कर जंगलों में छोड़ देते हैं. हाल में कई ऐसे सांप रेस्क्यू कराये गये हैं, जो पहली बार दिखेे हैं. पिछले कई वर्षों में अब तक मात्र पांच या छह ही बैंडेड करेट रेसक्यू हो पाया है. पिठोरिया के सुतियांबे में पहली बार बिषखोपरा सांप मिला था. हाल में कई रसल वाइपर भी मिले हैं.

विष की होती है तस्करी सजा का है प्रावधान

झारखंड में आसपास के राज्यों के कई सर्प तस्कर भी सक्रिय रहते हैं. यहां कई प्रकार के जहरीली सांप पाये जाते हैं. बिष की तस्करी होती है. सांप के वेनम से दवाइयां बनती है. सांप काटने पर इलाज के लिए जो एंटीडॉट बनता है, वो सांप के वेनम से ही बनता है. सांपों को बचाने के लिए वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन अधिनियम 1972 के अंतर्गत प्रावधान बनाये गये हैं. इसके अंतर्गत विभिन्न सांपों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है. शेड्यूल वन में अजगर शामिल है. इसका मतलब यह है कि अगर आप इस सांप को मारते हैं या उसको अवैध रूप से रख रहे हैं, तो तीन से छह साल तक की सजा हो सकती है.

सर्पदंश के प्राथमिक उपचार

संभव हो तो सांप का फोटो खींच लें, ऐसा करने से डॉक्टर को इलाज करने में आसानी होगी

यह पता लगना सबसे ज्यादा जरूरी है कि सांप कितना जहरीला है

जिस अंग पर सांप ने काटा है, उसे नीचे की ओर रखें, ताकि ब्लड का फ्लो कम हो जाये और जहर तेजी से न फैल सके.

जितनी जल्दी हो सके एम्बुलेंस या डॉक्टर से संपर्क करें

नजदीकी अस्पताल में पहुंचने का प्रयास करें

सांप काटने के समय को ध्यान में रखें

सांप पकड़ने या मारने में समय बर्बाद न करें

मरीज को शांत करायें और उन्हें घबराने नहीं दें

पैदल न चलायें, नहीं तो जहर तेजी से फैलेगा

सांप द्वारा काटे गए स्थान को ढीले और सूखे बैंडेज से कवर करें

सर्पदंश की जगह को हल्के दबाव से नसों के ब्लड फ्लो को कम करें

लक्षणों के आधार पर ही दवाई दें, क्योंकि ज्यादातर सांप जहरीला नहीं होते हैं

सांप के कांटे हुए स्थान पर किसी भी तरह का चीरा ना लगायें

सांप के जहर को मुंह से चूस कर थूकने का प्रयास न करें

सांपों से जुड़े भ्रम

नाग सांप के पास मणि होना

सांपों का दूध पीना

सांप को छूने से जहर शरीर में जहर फैल जाना

सांप का पूंछ से सोटना (मारना)

सांप के पूंछ में जहर होना

तेलिया सांप को मार के जला देना

सांप का दोनों तरफ मुंह होना

गाय का दूध पी जाना

झाड़-फूंक से जान बचना

सभी सांप जहरीले होते हैं

सांप अगर फल-सब्जियों पर चढ़ जाये, तो ये जहरीले हो जाते हैं

सांप के डंसनेवाली जगह को बांधना, चीरा लगाना, उस जगह को ही काट देना या मुंह से ब्लड चूसना

क्या कहते हैं अधिकारी

राज्य के मुख्य वन संरक्षक एसआर नटेस कहते हैं : वन विभाग सांपों के विशेष संरक्षण के लिए कोई प्रयास नहीं करता है. चूंकि यह वाइल्ड लाइफ का हिस्सा है, इस कारण उसी में कवर हो जाता है. झारखंड में सांपों के अवैध कारोबार को लेकर कोई सूचना नहीं मिलती है. इसका वेनम वैध रूप से उपयोग किया जा सकता है. इसके लिए अनुमति ली जाती है. वन विभाग मानता है कि सांपों का संरक्षण जरूरी है.

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने कहा कि हाल के दिनों में सर्पदंश के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. रोजाना चार से छह मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में एक पीडियाट्रिक मामला आया है. इमरजेंसी विभाग में दवाएं, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर युक्त बनाया गया है. सांप काटने का इलाज अक्सर सांप के एंटीवेनम से ही होता है. यह जिला अस्पताल के साथ ही सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है.

सांपों का वजूद जरूरी क्योंकि:

सांप चूहों को खाकर इनकी संख्या प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करते हैं. इससे कई तरह की बीमारी फैलने का खतरा कम होता है. अनाज भी बर्बाद होने से बचता है.

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