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बिहार के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक के लिए बनेगा एडवांस टाइम टेबल, सिलेबस में भी होगा संशोधन

बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके लिए अब सरकारी स्कूलों में टाइम टेबल से पढ़ाई होगी साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसकी समीक्षा भी की जाएगी. इसके अलावा आठवीं तक की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा सह संशोधन की तैयारी भी हो रही है.

बिहार के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए अब एडवांस टाइम टेबल बनाना होगा. हफ्ते के पहले दिन स्कूल के नोटिस बोर्ड और सभी कक्षाओं में टाइम टेबल लगा दिया जायेगा और इसी के आधार पर कक्षाओं में पूरे हफ्ते बच्चों की पढ़ाई होगी. स्कूलों में निरीक्षण के लिए निरीक्षी पदाधिकारी पहुंचेंगे, तो इसकी भी जांच करेंगे. फैक्ट चेक के लिए बच्चों से यह पूछा जायेगा कि निरीक्षण के दिन कक्षा में क्या पढ़ाई हुई और अगले दिन क्या पढ़ाया जायेगा. इसके साथ ही स्कूलों के एचएम के साथ जिला स्तर से होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी इसकी रिपोर्ट ली जायेगी.

24 जुलाई से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा

मुजफ्फरपुर डीइओ अजय कुमार सिंह ने बताया कि निदेशालय की ओर से 24 जुलाई से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से स्कूलों में चलने वाली गतिविधियों की समीक्षा प्रतिदिन करने का निर्देश जारी किया गया है. इसके लिए जिले में 10 बेस्ट स्कूलों का चयन करना है, जहां वीसी के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो. जिन स्कूलों में स्मार्ट क्लास के उपकरण सक्रिय स्थिति में है, उनको प्राथमिकता दी जायेगी.

प्राथमिक स्कूलों के एचएम से होगी इन बिंदुओं पर समीक्षा

  • छात्र – छात्राओं की उपस्थिति को 75 प्रतिशत से अधिक करने पर विशेष जोर

  • छात्रों की उपस्थिति स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगायी गयी है या नहीं

  • खेलकूद- क्विज, सांस्कृतिक कार्यक्रम, इको क्लब, पौधरोपण पिछली बार कब हुआ था

  • साइंस लैब में कक्षाएं चली और लैब का वास्तविक इस्तेमाल हुआ या नहीं

  • जहां स्मार्ट क्लास है वहां पेन ड्राइव से शिक्षण सामग्री दिखायी गयी या नहीं

  • शौचालयों की सफाई की समीक्षा

  • डीबीटी आच्छादित योजनाओं की प्रगति

  • माध्यमिक व उच्च विद्यालयों के लिए निर्धारित बिंदु

  • प्राथमिक स्कूलों के लिए निर्धारित सभी मामले

  • विकास कोष और छात्र कोष में उपलब्ध राशि का ब्योरा

  • विकास कोष और छात्र कोष के इस्तेमाल से कौन – कौन से कार्य हुए

सरकारी स्कूलों के छठवीं से आठवीं तक की किताबों का बदलेगा लुक

इसके साथ ही राज्य के सरकारी स्कूलों में छठवीं से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ायी जा रही किताबों का लुक बदलेगा. इसको लेकर एससीइआरटी की ओर से तैयारी शुरू कर दी गयी है. वर्तमान पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए एक्सपर्ट की टीम गठित की गयी है. टीम के सदस्यों के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला 17 से 21 जुलाई तक राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के परिसर में स्थित नेहरू छात्रावास में आयोजित की गयी है.

पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा सह संशोधन की तैयारी

छठवीं से आठवीं कक्षा तक की सभी विषयों के पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा सह संशोधन की तैयारी चल रही है. समीक्षा के अंतर्गत पाठ्य पुस्तकों की टेक्स्ट सामग्री के साथ ही पुस्तकों की टाइपिंग, डिजाइनिंग, मानचित्र और सांख्यिकी आंकड़े को भी अपडेट किया जाना है. एससीइआरटी की ओर से राज्यभर से शिक्षकों की टीम बनायी गयी है, जिन्हें पांच दिवसीय प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है. इसमें मुजफ्फरपुर के मुरौल प्रखंड अंतर्गत राजकीय बुनियादी विद्यालय बखरी के शिक्षक केशव कुमार भी शामिल है. केशव कुमार ने बताया कि उन्हें एससीइआरटी की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला के लिए पत्र मिला है. सोमवार से पटना में कार्यशाला आयोजित है.

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सरकारी स्कूलों में लगेंगे मोरल कैलेंडर

इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बेहतरी व उनमें मोरल वैल्यू को विकसित करने के लिए मॉरल कैलेंडर लगाया जायेगा. पटना जिले के सभी प्रारंभिक और मध्य विद्यालय में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से मोरल कैलेंडर लगाया जायेगा. कैलेंडर लगाने का मुख्य उद्देश्य अभिभावकों को बच्चों से नजदीकी बढ़ाने और उन्हें गाइड करना है. इसमें बच्चों को खुद पर विश्वास दिलाने, सवाल पूछने की आदत को विकसित करने, बच्चों को खेलने का अवसर प्रदान करने समेत 12 तरीकाें से बच्चों के मोरल को बूस्ट करने के लिए जानकारी साझा की गयी है.

जुलाई के अंतिम सप्ताह तक सभी स्कूलोंं में कैलेंडर मुहैया कराया जायेगा

परिषद की ओर से जुलाई के अंतिम सप्ताह तक जिले के सभी स्कूलोंं में कैलेंडर मुहैया करा दिया जायेगा. सभी स्कूल प्रबंधकों को कक्षा और स्कूल के दफ्तर में कैलेंडर को लगाना अनिवार्य है. इसके साथ ही स्कूलों की ओर से आयोजित होने वाले पैरेंट्स-टीचर्स मीट में शामिल होने वाले अभिभावकों को भी कैलेंडर में दिये गये सुझाव से अवगत कराते हुए बच्चों में मॉरल वैल्यू को विकसित करने के लिए प्रेरित किया जायेगा.

बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथ ही उनकी इच्छा को समझेंगे अभिभावक

बच्चों को स्कूल भेजने के बाद अभिभावकों को लगता है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी है. लेकिन बच्चों के इच्छा को समझने और उनके मन को पढ़ने के लिए अभिभावक समय नहीं दे पाते हैं. इन्ही समस्याओं को दूर करने के लिए परिषद की ओर से मोरल कैलेंडर के जरिये अभिभावकों को बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने और उन्हें खास समय देने के लिए प्रेरित किया जायेगा. इसमें अभिभावकों को बच्चों को साथ बैठाकर पढ़ाने के साथ ही बच्चों के साथ खेलने के लिए भी प्रेरित किया जायेगा.

अभिभावकों को बच्चों की बात सुनने के लिए किया जाएगा प्रेरित

पटना डीपीओ श्याम नंदन ने बताया कि मोरल कैलेंडर के जरिये अभिभावकों और बच्चों के बीच नजदीकियों को बढ़ाने और उनमें आत्मविश्वास को विकसित करने के लिए प्रेरित किया गया है. इसके साथ ही बच्चों की बातें सुनने और उनकी इच्छाओं को समझने के लिए भी जागरूक किया जायेगा.

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