Sawan Somwar 2023 : इस साल सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई यानि आज है. सावन मास का दूसरा सोमवार कई मायनों में खास है. इस दिन 4 शुभ संयोग बन रहे हैं. सावन के दूसरे सोमवार को श्रावण अमावस्या है. इस अमावस्या को सावन की हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन सोमवार होने के कारण यह सोमवती अमावस्या है. इसके अलावा रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी है. इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र है. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते है सावन सोमवार से जुड़ी पूजा विधि, व्रत नियम और पूरी डिटेल्स
हरियाली अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं. पांच तरह की मिठाइयों को अलग-अलग पांच पीपल के पत्तों पर रखें और ॐ सर्वेभ्यो पितृदेवेभ्यो नमः मंत्र का जाप करें. ऐसा करने पर आपके जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्ट दूर होंगे.
आज सावन मास की दूसरी सोमवारी है. इसके साथ-साथ सोमवती अमावस्या, हरियाली अमावस्या और सावन अमावस्या भी है. इस दिन शिवलिंग पूजन के साथ-साथ कुछ उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता हैं. इस बात का ध्यान रहे कि अमावस्या से जुड़े यह उपाय आपको शाम के समय दिन ढलते वक्त करना चाहिए ताकि प्रभाव शीघ्र दिखाई दे.
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पौधे की पूजा का विधान है. ऐसे में इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें. पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का पेड़ लगाएं.
आज सावन माह की अमावस्या तिथि और हरियाली अमावस्या है. आज सावन सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या भी है. ऐसे में सावन के दूसरे सोमवार पर हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है. इस दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
सोमवती अमवस्या आज है. आज सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ भगवान सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे. आज का दिन शिव भक्तों के लिए बेहद खास है. सोमवार की कर्क संक्रांति शुभ फलकारी है.
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इस साल सावन के दूसरे सोमवार पर 4 शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन सावन की हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या है. इसके अलावा रुद्राभिषेक के लिए शिववास और पुनर्वसु नक्षत्र भी है. आज शिवजी की पूजा करने पर विशेष लाभ मिलेगा.
आज सावन मास की दूसरी सोमवारी है. इसके साथ-साथ सक्रांति और अमावस्या भी है. यह विशेष योग सैकड़ों वर्ष के बाद बना है. आज शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. सावन की सोमवारी और अमावस के साथ सक्रांति होने की वजह से काफी भीड़ देखने को मिल रही है.
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
आज सावन का दूसरा सोमवार है. सावन सोमवार का व्रत शाम तक रखा जाता है. आज पूरे दिन निराहार रहना चाहिए. शाम की पूजा के बाद व्रत खोला जा सकता है. सावन सोमवार के व्रत के दिन व्यक्ति को स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए. सुबह स्नान आदि करके पूजा-पाठ करनी चाहिए.
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
सावन अमावस्या तिथि की शुरुआत 16 जुलाई 2023 की रात 10.08 मिनट के शुरू हो गयी है. 17 जुलाई 2023 की रात 12 बजकर 01 मिनट पर समाप्ति होगी. स्नान दान, पूजा-पाठ करने का विशेष योग है.
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स्नान-दान समय – सुबह 04.12 – सुबह 04.53
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सुबह का मुहूर्त – सुबह 09.01 – सुबह 10.44
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शाम का मुहूर्त – शाम 05.27 – रात 07.20
आज सावन मास का दूसरा सोमवार है. सावन अमावस्या भी है. इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है. पंचांग के अनुसार, इस दिन एक नहीं बल्कि चार अत्यंत शुभ योग का निर्माण होगा. इन शुभ योगों में पूजा-व्रत करने वाले साधक को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी. इस दिन स्नान, दान, पूजा और व्रत का महत्व होता है.
इस साल हरियाली अमावस्या 17 जुलाई दिन सोमवार यानि आज है. इस दिन दान-स्नान का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 34 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक है. इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 01 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना करते है. इसके साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, गंगाजल अर्पित करने से साधक को बल एवं बुद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही कई प्रकार के रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है.
17 जुलाई को सोमवती अमावस्या है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन कई दुर्लभ संयोग बन रहे है. इस दिन सूर्य कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं, इसलिए इस दिन कर्क संक्राति भी मनाई जायेगी. इस दिन रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी रहेगा. ऐसे में सावन के दूसरे सोमवार के दिन आप शिव रुद्राभिषेक भी कर सकेंगे. सावन का दूसरा सोमवार पुनर्वसु नक्षत्र में पड़ रहा है, जो बेहद शुभ नक्षत्र माना जाता है.
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आज सावन मास की दूसरी सोमवारी है. शुभ और दुर्लभ संयोग के कारण 17 जुलाई की तारीख बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है. इस दिन पितृ दोष, कालसर्प दोष और शनि दोष आदि कर्मकांडों को पूरा करके दूर किए जा सकते हैं. इसके साथ ही अमावस्या के उपलक्ष्य में पितरों का तर्पण करके उनकी आत्मा को शांति दिलाई जा सकती है.
सावन सोमवार में शिव पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाए तो शीघ्र फल मिलता है. इस दौरान कुछ विशेष सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए. शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, गाय का दूध, गंगाजल, भस्म, अक्षत्, फूल, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करते हैं. शिव चालीसा, शिव रक्षा स्तोत्र पढ़ते हैं. शिव मंत्रों का जाप करें. आरती करें और जरुरतमंदों को वस्त्र, अनाज, तिल, गुड़, चांदी, रुद्राक्ष आदि का दान करें.
पूजा में गंगाजल, जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, जनेऊ, वस्त्र, चंदन, रोली, अक्षत, बेलपत्र, फल, फूल, भांग, विजया, आक, धतूरा, कमल गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंच मेवा, धूप, दीप, कपूर आदि जरूरी है.
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है. इसमें भी सावन की सोमवारी सर्वोत्तम माना जाता है. मान्यता है कि अगर कोई भी व्यक्ति विधि-विधान से सम्पूर्ण सावन का व्रत नहीं कर पाता है तो वह केवल सावन में सोमवारी का व्रत करने से सभी धर्मार्थ काम, मोक्षादी, सभी कामनाओं की सिद्धि भगवान शिव की कृपा से प्राप्त कर लेता है. सावन महीने में हर भक्त मानो शिव के रंग में ढल जाते है. हर जगह भोले बम की गूंज सुनाई देती है.
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सूर्योदय से पूर्व स्नान कर उस स्थान पर गंगाजल छिड़कें, जहां पर शिवलिंग की पूजा करेंगे.
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इसके बाद सोमवार व्रत का संकल्प लेकर भोलेनाथ का अभिषेक शुरू करें.
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शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, रोली, मौली, चावल, चीनी, सफेद चंदन, सफेद आंक के फूल, भांग, धतूरा, बेलपत्र, चमेली के फूल, मिठाई, फल, तिल आदि अर्पित करें.
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इसके बाद देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. धूप, दीप, भोग लगाकर सोमवार व्रत की कथा पढ़ें.
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अभिषेक करते हुए महामृत्युंजय का जाप करना शुभ माना गया है.
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इसके साथ ही शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं.
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स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें.
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फिर सावन सोमवार व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें.
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शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में या फिर घर पर ही शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करें.
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सबसे पहले गंगाजल से शिव जी का जलाभिषेक करें.
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फिर गाय के दूध से अभिषेक करें.
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शिव जी को शहद, शक्कर, फल, मिठाई चढ़ाएं.