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पटना हाईकोर्ट ने लगाया बिहार सरकार पर अर्थदंड, अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद आया फैसला

खंडपीठ ने यह स्पष्ट रूप से आदेश दिया गया था कि प्राथमिक स्तर पर नियुक्त शिक्षकों को मातृ भाषा में निर्देश देना होगा, जिसे छात्र बोलते हैं. इस आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अवमानना वाद दायर किया गया.

पटना. बिहार सरकार पर 5 हजार रुपये का अर्थदंड लगा है. पटना उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि आगे कोई समय नहीं दिया जाएगा, इसके बावजूद जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया. ये मामला 26 सितंबर 2002 का है. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता सुगंधा प्रसाद ने बताया कि तत्कालीन चीफ जस्टिस रवि एस धवन और जस्टिस आरएन प्रसाद की खंडपीठ द्वारा दिये गये आदेश से संबंधित मामला है. जिसमें खंडपीठ ने यह स्पष्ट रूप से आदेश दिया गया था कि प्राथमिक स्तर पर नियुक्त शिक्षकों को मातृ भाषा में निर्देश देना होगा, जिसे छात्र बोलते हैं. इस आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अवमानना वाद दायर किया गया.

हलफनामा दायर करने का दिया था निर्देश

इसी संबंध में पटना हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में बिहार के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था, लेकिन सोमवार को हलफनामा नहीं दायर किया गया. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार पर पांच हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया है. इस मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी. संविधान के 92वें संशोधन में मैथिली भाषा को आठवें अनुसूची में शामिल किया गया था. प्राथमिक स्तर पर छात्रों के अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की जानी थी. साथ ही इस विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक नियुक्ति की जानी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

केके पाठक के मामले में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

उधर, केके पाठक ने एक बार फिर सरकार को असहज कर दिया है. मंत्री से मतभेद के बाद अब केके पाठक की हाईकोर्ट से ठन गयी है. सरकार वैसे केके पाठक के बचाव में इस बार भी पूरी मजबूती से खड़ी है. 13 जुलाई को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ हाईकोर्ट से जारी जमानती वारंट को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. ये मामला एक शिक्षक की अवमानना से जुड़ा है. जिसमें उच्च न्यायालय से पाठक को 20 जुलाई को पेश होने का आदेश दिया है. अब हाईकोर्ट के समन के खिलाफ और केके पाठक के समर्थन में नीतीश सरकार आ गई है. बिहार सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.

केके पाठक के समर्थन में आई बिहार सरकार

इस मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी. दरअसल घनश्याम नाम के एक शिक्षक की अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने सीनियर आईएएस अधिकारी केके पाठक को पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन केके पाठक कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए अपर मुख्य सचिव के खिलाफ समन जारी कर दिया. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पर हाईकोर्ट नाराज था. केके पाठक को गुरुवार को पटना हाईकोर्ट में हाजिर होना था, हाईकोर्ट ने एक मामले में साढ़े सात साल पहले आदेश जारी किया था, लेकिन अबतक उसपर अमल नहीं किया गया. इसी केस की गुरुवार को सुनवाई के दौरान केके पाठक को सशरीर उपस्थित होने का आदेश था.

कोर्ट में हाजिर नहीं हुए केके पाठक

केके पाठक गुरुवार को कोर्ट में हाजिर नहीं हुए और अदालत को वकील के माध्यम से सूचना दिलवाई कि उन्होंने 16 जून 2023 को आदेश पर अमल करवा दिया है. इस आधार पर भौतिक हाजिरी से छूट दी जाए. पटना हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान केके पाठक की गैरहाजिरी से नाराज था. पटना हाईकोर्ट की नाराजगी की एक बड़ी वजह यह भी थी कि साढ़े सात साल से अदालती आदेश की अवमानना की जा रही थी और जब सशरीर हाजिरी का आदेश दिया गया तो ऐसी छूट मांगी जा रही थी. कोर्ट ने केके पाठक के खिलाफ जमानती वारंट जारी का आदेश दिया और 20 जुलाई को सशरीर हाजिर कराने को कहा.

क्या है पूरा मामला

यह पूरा मामला एक टीचर की तरफ से दायर याचिका से जुड़ा है. जिसमें पटना हाईकोर्ट 2016 से ही केके पाठक को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था, लेकिन वे खुद उपस्थित नहीं हो रहे थे. जिसके बाद 13 जुलाई को कोर्ट ने इसको लेकर जमानती वारंट जारी कर पाठक को 20 जुलाई को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था. इसके बावजूद केके पाठक ने कोर्ट आकर अपना पक्ष नहीं रखा. इससे नाराज होकर कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया है.

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