रांची, प्रणव : झारखंड के जेलों में अधीक्षक से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारियों के 81 फीसदी पद रिक्त हैं. जबकि, जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. वहीं, विजिटर (जेल में कैदी से मिलने आनेवाले) का दबाव भी है. ऐसे में जाहिर है कि जेलों में मैनपावर की कमी का असर यहां की अंदरूनी व्यवस्था पर पड़ रहा है. झारखंड में कुल 31 जेल हैं. इनमें सात केंद्रीय कारा, सात जिला जेल, छह सब जेल और एक ओपन जेल (हजारीबाग) भी शामिल हैं. इन जेलों के लिए अधीक्षक, कारापाल, सहायक कारापाल, लिपिक, मुख्य उच्च कक्षपाल, उच्च कक्षपाल, कक्षपाल पुरुष व कक्षपाल महिला के कुल 2180 पद स्वीकृत हैं. लेकिन, इनमें से 1769 पद खाली हैं. मैनपावर की कमी की बानगी यह है कि राज्य के 31 में से 28 जेलों में अधीक्षक का पद स्वीकृत है. लेकिन, 20 जेलों में यह पद खाली है.
20 जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी
राज्य के 31 जेलों में 13 जुलाई, 2023 तक कैदियों की संख्या 18,897 थी, जबकि इनकी क्षमता 17421 है. केंद्रीय जेल के आंकड़ों पर गौर करें, तो देवघर में क्षमता से 140 कैदी अधिक हैं. वहीं, जमशेदपुर के घाघीडीह में 232, गिरिडीह में 221 और पलामू में 316 कैदी अधिक हैं. इसके अलावा जिला जेल चाईबासा में 389, चतरा में 388, गढ़वा में 294, गोड्डा में 234, गुमला में 314, जामताड़ा में 01, कोडरमा में 24, लातेहार में 247, लोहरदगा में 119, पाकुड़ में 58 व साहिबगंज में क्षमता से 116 कैदी ज्यादा हैं. सब जेल साकची (जमशेदपुर) में 40, सरायकेला में 144, सिमडेगा में 214, खूंटी में 99 व सब जेल राजमहल में क्षमता से 17 कैदी ज्यादा हैं.
बिरसा मुंडा जेल में सबसे ज्यादा मुलाकाती क्षमता
राज्य के विभिन्न श्रेणी के कुल 31 जेलों में कैदियों से मिलनेवाले की क्षमता (विजिटर कैपेसिटी) 1818 है. इनमें सर्वाधिक क्षमता रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार में 200 है, जबकि बाकी के छह केंद्रीय काराओं में 100-100 है. वहीं, सबसे कम ओपेन जेल हजारीबाग में 10 है.
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राज्य के जेलों के महत्वपूर्ण पद हैं खाली
पदनाम : स्वीकृत पद : कार्यरत : रिक्त पद
जेल अधीक्षक : 28 : 20 : 08
कारापाल : 31 : 07 : 24
सहायक कारापाल : 66 : 06 : 60
लिपिक : 49 : 34 : 15
मुख्य उच्च कक्षपाल : 03 : 01 : 02
उच्च कक्षपाल : 244 : 05 : 239
कक्षपाल पुरुष–1655–258–1397
कक्षपाल महिला : 104 : 80 : 24
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में 581 पद, रिक्त हैं 350
पदनाम : स्वीकृत पद : पदस्थापित : रिक्त पद
जेल सुपरिटेंडेंट : 01 : 01 : 00
डिप्टी सुपरिटेंडेंट : 01 : 00 : 01
रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर : 01 : 00 : 01
स्पेशलिस्ट मेडिकल ऑफिसर : 04 : 04 : 00
मेडिकल ऑफिसर : 11 : 02 : 09
पैथोलॉजिस्ट : 02 : 00 : 02
जेलर : 01 : 01 : 00
असिस्टेंट जेलर : 08 : 00 : 08
कंप्यूटर व कांफ्रेंसिंग ऑपरेटर : 02 : 02 : 00
क्लर्क : 02 : 01 : 01
लोअर डिविजन क्लर्क : 07 : 06 : 01
चीफ हेड वॉर्डर : 01 : 01 : 00
हेड वॉर्डर : 74 : 02 : 72
वॉर्डर : 333 : 194 : 139
फीमेल वॉर्डर : 14 : 08 : 06
नर्स (मेल) : 30 : 06 : 24
नर्स (फीमेल) : 05 : 03 : 02
फार्मासिस्ट : 04 : 02 : 02
एक्स-रे टेक्नीशियन : 02 : 02 : 00
कंपाउंडर : 04 : 01 : 03
टेलर मास्टर : 01: 00 : 01
विविंग मास्टर : 01 : 00 : 01
ब्लैकस्मिथ मास्टर : 01 : 00 : 01
कारपेंटरी मास्टर : 01 : 00 : 01
बार्बर : 06 : 03 : 03
स्वीपर : 30 : 15 : 15
ड्राइवर : 23 : 01: 22
ड्रेसर : 03 : 01 : 02
नर्सिंग ऑडरली : 08 : 00 : 08
जेलों से रंगदारी पर नहीं लगी रोक, पैसे हों, तो कई तरह की मिलती हैं सेवाएं
झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद गैंगस्टर द्वारा मोबाइल से रंगदारी मांगने का सिलसिला जारी है. इस पर अब तक रोक लगाने का ठोस उपाय नहीं किया जा सका है. बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची, गुमला जेल, घाघीडीह जेल, दुमका जेल, हजारीबाग जेल सहित कई जेल ऐसे हैं, जहां पर बंदियों द्वारा जेल से ही मोबाइल के जरिये गैंग ऑपरेट करने और कारोबारियों सहित अन्य को धमकी दिये जाने का मामला सामने आता रहा है. यह बात रांची व धनबाद पुलिस की जांच में सामने आ चुकी है कि गैंगस्टर अमन सिंह, अमन साहु सहित कुछ अन्य बंदी जेल में रहते हुए मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. जेल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आप अगर जेल में बंद हैं और आपके पास पैसे हैं, तो जेल में रहते हुए आप मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं. अपना जन्मदिन मना सकते हैं. गैंग को ऑपरेट कर सकते हैं. बाहर का लजीज भोजन भी कर सकते हैं. वहीं, नियम के विपरीत न्यायिक हिरासत में रहते अपने करीबियों से मुलाकात कर सकते हैं. झारखंड पुलिस व इडी की जांच में जेल की खामियां उजागर हो चुकी हैं. जेल में बंद बदमाश हत्या की साजिश रचते हैं. हजारीबाग में बड़कागांव थाना क्षेत्र के रित्विक कंपनी के अधिकारी शरत कुमार की हत्या इसका प्रमाण है. इसी तरह बिरसा मुंडा जेल में बंद एक बंदी द्वारा 42 मोबाइल का इस्तेमाल किये जाने की बात सामने आ चुकी है. जेल में छापा के दौरान खैनी, गांजा, सिगरेट, मोबाइल बरामद होना इस बात का प्रमाण है कि बंदियों के पास पैसा हो, तो सारे इंतजाम मुहैया हो जाते हैं. जेलों के बंदियों से परिजनों द्वारा मिलने को लेकर सुरक्षा गार्ड द्वारा पैसे लेने की बात पूर्व में सामने आ चुकी है.
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