लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा पूरी रणनीति पर काम कर रही है. राज्य के 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर भाजपा का कब्जा है. इस आंकड़े को बरकरार रखना या पार करना, दोनों ही पार्टी के लिए चुनौती है. ऐसे में भाजपा वर्तमान सांसदों के परफॉरमेंस को तौल रही है. एक-एक सांसदों के कामकाज का आकलन हो रहा है. पार्टी केंद्रीय नेतृत्व इन सांसदों की लोकप्रियता से लेकर क्षेत्र में सक्रियता का फीड बैक ले रही है.
इसको लेकर समय-समय पर सर्वे भी कराया गया है. सांसदों के क्षेत्र में उनकी जमीनी स्तर पर पकड़ का हिसाब-किताब जुटाया गया है. इसके साथ ही सांसदों ने विकास कार्यों को अपने क्षेत्र में किस तरह लागू कराया और इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ा है, इसका भी आकलन किया गया है. भाजपा के उच्च सूत्रों के अनुसार पांच से छह सीटों पर आने वाले चुनाव में नये चेहरे सामने आ सकते हैं. पिछले चुनाव में बड़े अंतर से बाजी मारने वाले सांसदों का भी टिकट कट सकता है.
केवल मोदी लहर के नाम पर पार्टी चुनाव में नहीं उतरने वाली है. उम्मीदवारों के चयन में किसी तरह समझौता नहीं करने जा रही हैं. पार्टी के अंदरखाने कई सीटों को लेकर अटकलें लगायी जा रही है. धनबाद के सांसद पीएन सिंह का मामला उम्र को लेकर फंस सकता है. राजनीतिक हलकों में इसको लेकर चर्चा है और भाजपा के अंदर धनबाद के कई दावेदारों ने भी लॉबिंग करना शुरू कर दिया है. वहीं चतरा, पलामू, लोहरदगा, दुमका की सीट को लेकर भी अटकलें हैं. कई सीटों पर सांसदों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं माना जा रहा है.
लोकसभा की पांच आदिवासी सीटों पर पार्टी की विशेष नजर है. इसमें खूंटी, लोहरदगा और दुमका भाजपा के पास है. भाजपा ने आदिवासी सीटों पर बहुत ही कम अंतर से चुनाव जीता है. चर्चा है कि राज्य के कुछ दिग्गज नेता अपनी नयी जमीन तलाश रहे हैं. अपनी सीटें बदल सकते हैं. वहीं सिंहभूम और राजमहल पर यूपीए का कब्जा है. इन सीटों पर भी पार्टी अपना पिछला उम्मीदवार बदल सकती है.