Darjeeling: दार्जिलिंग हिमालय के उत्तर पश्चिम भारत में विकसित एक सुंदर पर्वतीय इलाका है. यहां आपको शीत और मध्य फसल की ठंडी मौसम, उच्च चाय बगीचों, विभिन्न बागवानी, घने जंगल, विचरणीय नदियों और प्राकृतिक शौकीनों के लिए कई आकर्षण हैं. इसे “हिमालय की रानी” के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं दार्जिलिंग में घूमने की जगहों के बारे में.
तारा डेवी मंदिर दार्जिलिंग में स्थित है. यह मंदिर हिंदू धरोहरों में से एक है और यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो हर साल नवरात्रि के दौरान लाखों भक्तों को आकर्षित करता है. यह मंदिर दार्जिलिंग के ऊपरी हिस्से में स्थित है और उच्च पहाड़ों पर बनाया गया है, जिससे आपको आसमानी दृश्यों का आनंद मिलता है. तारा डेवी मंदिर माँ तारा (Goddess Tara) को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी मानी जाती हैं. वह शक्ति देवी के रूप में पूजी जाती हैं, जिनका संबंध विशेष रूप से शक्ति और सृष्टि से होता है. मंदिर का स्थान विशाल पत्थरी मार्ग से पहुंचा जा सकता है. धार्मिक आस्था और शांति की भावना से भरी यात्रा इस मंदिर को प्रसन्नता और आनंद से भर देती है. मंदिर के चारों ओर आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं और शहर के नीचे फैले विकसित इलाके का भी खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं.
बतासिया लूप दार्जिलिंग के पास एक प्रसिद्ध पर्वतीय रेलवे मार्ग है, जिसे टोय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है. यह एक आधुनिक इंजीनियरिंग श्रेष्ठता का उदाहरण है जो दरगाली और घुम्मी रेलवे लाइन के बीच बनाया गया है. बतासिया लूप रेलवे बनाया गया था ताकि ट्रेन ऊंचे पहाड़ी इलाके के लिए सिर्फ एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जा सके। इस रेलवे लूप के माध्यम से, टोय ट्रेन एक आवर्ती मार्ग पर चलती है और समृद्धि सीमा और घाटी के नीचे जाकर फिर से समृद्धि सीमा तक पहुंचती है. इसे इंजीनियर्स ने इतने ब्रिज़ और टनल्स के माध्यम से डिज़ाइन किया है कि ट्रेन को अपने उच्चतम बिंदु को छोड़कर उत्पन्न जलवायु में से उतरना आवश्यक नहीं होता है. यह लूप रेलवे 1999 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
जपानी टेम्पल, जिसे जपानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह दार्जिलिंग में स्थित है. यह मंदिर जपान के जुन्क्शीन ने निमंत्रण लेने के बाद बनाया था, जो भारत के बौद्ध धरोहरों के अन्वेषण के लिए यात्रा कर रहे थे. इस मंदिर में भगवान बुद्ध की बौद्ध भीतरिनी की मूर्ति स्थापित है जो दार्जिलिंग के तिब्बती बौद्ध समुदाय के लोगों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखती है. यह भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए धार्मिकता, सांस्कृतिक धरोहर और शांति के साथ आनंददायक एक अनूठा स्थान है.
चौरस्ता दार्जिलिंग के प्रसिद्ध पर्वतीय इलाके का एक मुख्य पर्यटक स्थल है. यह एक विशाल खुला मैदान है जो शहर के केंद्रीय हिस्से में स्थित है और इसे दार्जिलिंग का “हार्ट” कहा जाता है. चौरस्ता का नाम संस्कृत शब्द “चौरासी” से आया है, जिसका अर्थ है “84”. इसे इसलिए इसलिए बुलाया जाता है क्योंकि यहां इस चौराहे के चारों ओर 84 धार्मिक धरोहर हैं. यह एक बड़े आकर्षण का केंद्र है. और यहां आपको शांतिपूर्ण माहौल का आनंद मिलता है जो यात्रियों को अपने रूखे मन को शांत करता है. यहां से आप हिमालयी पर्वत श्रृंगों के साथ खूबसूरत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं.
हैप्पी वैली (Happy Valley) दार्जिलिंग के पास स्थित एक खूबसूरत घाटी है, जो तिब्बती बौद्ध समुदाय का निवास स्थल है. यह एक शांत और प्राकृतिक स्थान है जो पर्वतीय सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. यह लगभग 8 किलोमीटर दूर है और आप इसे टैक्सी, ऑटोरिक्शा या वॉकिंग के माध्यम से पहुंच सकते हैं. यह गांव खुले मैदान पर स्थित है और इसके चारों ओर प्राकृतिक सुंदरता है, जिसमें घने जंगल, हरे खेत और प्राकृतिक झीलें शामिल हैं. आप तिब्बती भाषा, संस्कृति और धरोहरों को अनुभव कर सकते हैं.
रॉक गार्डन (Rock Garden) दार्जिलिंग में स्थित है और यह दरगाली झील के निकट स्थित है. यह दर्जिलिंग का एक अनोखा और रोमांटिक जगह है, जिसे प्राकृतिक शिलाओं के बीच विशाल बागीचे में स्थानांतरित किया गया है. यह एक आकर्षक बगीचा है जो आपको उच्च पहाड़ों के साथ खुले आसमान और विशाल चाय बगीचों का आनंद देता है. यहां आप चिकनी घास वाले विकसित भूमि पर घूम सकते हैं, जहां आपको चाय की बूंदें पीने का मजा मिलता है.
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सिंगलेर झील (Singalila Lake) दार्जिलिंग के पास स्थित एक खूबसूरत झील है, जो वेस्ट बंगाल राज्य में हिमालयी पर्वतमाला के पश्चिमी भाग में स्थित है. यह झील दार्जिलिंग से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और पर्वतीय वातावरण में सुंदरता के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. इसके चारों ओर वन्य फूलों और घने जंगलों की खूबसूरत चादर है. इस झील का पानी स्पष्ट और शांत होता है. यहां से आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं.
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