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बिहार में अब विकास मित्र नहीं करेंगे बीएलओ का कार्य, सीतामढ़ी के डीएम ने जारी किया पत्र

भारत निर्वाचन आयोग के स्तर से विकास मित्र से बीएलओ का कार्य लेने का कोई पत्र निर्गत नहीं था. जिला प्रशासन द्वारा अपने स्तर से यह व्यवस्था की गई थी. यानी आयोग के बिना निर्देश के विकास मित्रों को बीएलओ के कार्य में लगा दिया गया था.

सीतामढ़ी. जिले के विकास मित्रों को अब बीएलओ का कार्य नहीं करना पड़ेगा. इस कार्य से उन्हें मुक्त कर दिया गया है. जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम मनेश कुमार मीणा ने पत्र जारी कर विकास मित्रों से बीएलओ का कार्य नहीं लेने का आदेश दिया है. इस आशय का पत्र सभी निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी के अलावा सभी सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी सह बीडीओ को भेजा गया है.

काम लेने का आयोग का निर्देश

बताया गया है कि भारत निर्वाचन आयोग के स्तर से विकास मित्र से बीएलओ का कार्य लेने का कोई पत्र निर्गत नहीं था. जिला प्रशासन द्वारा अपने स्तर से यह व्यवस्था की गई थी. यानी आयोग के बिना निर्देश के विकास मित्रों को बीएलओ के कार्य में लगा दिया गया था. बिहार महादलित विकास मिशन के सचिव दिवेश सेहरा के एक पत्र से उक्त बातों का खुलासा हुआ है. सेहरा ने डीएम को भेजे पत्र में कहा था कि प्रत्येक पंचायत/वार्ड के अंतर्गत विकास मित्रों का चयन अनु. जाति एवं अनु. जनजाति वर्ग से संबंधित योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए किया गया था. जिलों में विकास मित्र से बीएलओ का कार्य लेने से मूल कार्य प्रभावित होता है.

आयोग की सूची में विकास मित्र नहीं

सचिव सेहरा ने डीएम को जानकारी दी थी कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बीएलओ का कार्य लेने के लिए पत्र के साथ सूची में जिन पदाधिकारियों व कर्मियों के पदों का जिक्र है, उसमें विकास मित्र का उल्लेख नहीं है. पूर्व में मुख्य सचिव के स्तर से भी पत्र निर्गत किया गया था. उन्होंने डीएम से विकास मित्रों को चुनाव कार्यों में नहीं लगाने का आग्रह किया था. डीएम मीणा ने अविलंब विकास मित्र को बीएलओ के दायित्व से मुक्त उनके स्थान पर अन्य को परिवर्तित कर अवगत कराने का निर्देश दिया है.

कौन होते हैं विकास मित्र

बिहार महादलित विकास मिशन ने प्रदेश की सभी पंचायतों/वार्ड क्लस्टर में विकास मित्रों का चयन किया है. वे अपने स्वयं के पंचायत/वार्ड क्लस्टर के बहुसंख्यक महादलित समुदाय से हैं। विकास मित्रों के चयन में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं. विकास मित्र सरकार की विभिन्न विकासात्मक एवं कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्य कर रहे हैं. विकास मित्र सरकार और महादलित परिवारों के बीच सेतु का काम करते हैं. वे एक ‘एजेंट ओ’ के रूप में भी कार्य करते हैं. इस कार्य में लगे लोगों को पादर्शिता के तौर पर काम करना है. इसमें लापरवाही बरतनेवाले लोगों को कड़ी कार्रवाई की जाती है. इस दौरान उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर आवश्यक जानकारी दी गई. साथ ही विकास मित्रों का निर्देश दिया गया कि वह कार्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं करें.

विकास मित्र के ऊपर सामाजिक सुरक्षा का दायित्व

बिहार में सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कार्यों की जवाबदेही विकास मित्रों की होती है. कार्य में किसी प्रकार की चूक न हो इसको लेकर विकास मित्रों को प्रशिक्षित किया गया है. इस दौरान उन्हें सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न घटकों जैसे पेंशन योजना ,जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, कन्या विवाह योजना से जुड़ी कई जानकारियां प्रशिक्षकों के द्वारा दी गयी है. समय समय पर विकास मित्रों को सामाजिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न घटकों और प्रशिक्षण दिया जाता रहता है. जो कार्य बिहार में अभी विकास मित्र करते हैं उपरोक्त सभी कार्य पहले पंचायत सचिवों के द्वारा कराया जाता था, लेकिन प्रखंड में पंचायत सचिवों की कमी होने के कारण यह कार्य अब विकास मित्रों से कराया जा रहा है. कार्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न एवं कार्य में पारदर्शिता बनी रहे इसको लेकर विकास मित्रों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है.

बीएलओ क्या है

बीएलओ की फुलफॉर्म BOOTH LEVEL OFFICER होता है. इसको हिंदी भाषा में बूथ स्तर अधिकारी कहा जाता है. इनका काम होता है कि चुनाव आयोग द्वारा जमीनी स्तर पर क्षेत्रों में चुनाव को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाएं. चुनाव आयोग कि हमेशा यही कोशिश रहती है कि भारत में चुनाव की प्रक्रिया बहुत सरल तरीके से हो जाए जिसके लिए चुनाव आयोग यह चाहते हैं कि चुनाव के समय हर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत हो सके. जिससे वे मतदाताओं का उचित मार्गदर्शन करने में सफल हो सके और चुनाव की पूरी प्रक्रिया को बिना किसी परेशानी से ही सफलता पूर्वक पूरा करे. इसी चीज को मध्य नजर रखते हुए चुनाव आयोग सभी चुनाव क्षेत्रों में बीएलओ का चुनाव करते हैं. बीएलओ की नौकरी सरकारी नौकरी और अर्ध सरकारी नौकरी होती है.

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