Padmini Ekadashi 2023: पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, यह त्रेता युग की बात है. सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पद्मिनी एकादशी की कथा सुनाई थी. कथा के अनुसार, त्रेता युग में एक प्रजा प्रेमी राजा कृतवीर्य थे, जो निसंतान थे. राजा की कई रानियां थी. लेकिन, उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही थी. पुत्र रत्न के लिए राजा ने अनेकों यज्ञ, हवन, पूजा पाठ और अनुष्ठान करवाए. लेकिन राजा की संतान की प्राप्ति की इच्छा पूरी नहीं हुई. संतान प्राप्ति के लिए सभी तरह के प्रयास असफल होने पर राजा ने तपस्या करने का प्रण लिया. वे अपने राज्य का कार्यभार अपने काबिल मंत्रियों को सौंप दिया. माता अनुसुइया ने रानी पद्मिनी को व्रत रखने का दिया सुझाव. इसके बाद राजा कृतवीर्य अपनी चहेती रानी पद्मिनी के साथ गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए. कठोर तपस्या के बाद भी राजा कृत वीर्य को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई. एक दिन गंधमादन पर्वत पर रानी पद्मिनी, माता अनुसुइया से मिली. रानी पद्मिनी ने माता अनुसुइया को अपनी पीड़ा बताई,
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Padmini Ekadashi 2023: अधिक मास की पद्मिनी एकादशी है बेहद खास, जानें व्रत कथा और महत्व
Padmini Ekadashi 2023: पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, यह त्रेता युग की बात है. सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पद्मिनी एकादशी की कथा सुनाई थी. कथा के अनुसार, त्रेता युग में एक प्रजा प्रेमी राजा कृतवीर्य थे, जो निसंतान थे.
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