मणिपुर में हालात और खराब होते जा रहे हैं. दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया. चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि अन्य पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने सख्त आदेश जारी किया है. इधर इस मामले को लेकर कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला किया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो शेयर करने पर रोक
सरकार ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आदेश जारी कर दो मणिपुरी महिलाओं को नग्न घुमाने के वायरल वीडियो को शेयर न करने का निर्देश दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारतीय कानूनों का पालन करना अनिवार्य है क्योंकि मामले की अभी जांच चल रही है.
मणिपुर वायरल वीडियो मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी को किया गिरफ्तार
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने वाला वीडियो वायरल होने के बाद बवाल शुरू हो चुका है. कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने सरकार को घेरा है और प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगा है. इधर पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
The government has issued an order to Twitter and other social media platforms, instructing them not to share the viral video of the two Manipuri women being paraded nude. It is imperative for social media platforms to adhere to Indian laws as the matter is currently under…
— ANI (@ANI) July 20, 2023
क्या है मामला
आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता के मुताबिक, घृणित घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं और उनसे मिन्नतें कर रही हैं. प्रवक्ता ने घृणित कृत्य की निंदा करते हुए एक बयान में मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अपराध का संज्ञान लें और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करें.
स्वाति मालीवाल ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की
DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा, मणिपुर से बहुत ही ज्यादा खतरनाक वीडियो सामने आया है जिसको देखकर मैं पूरी रात सो नहीं पाई हूं. ये घटना ढाई महीने पहले की है और FIR दर्ज हुआ लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. मुझे शर्म आ रही है कि केंद्र सरकार पिछले तीन महीने से चुप बैठी है और पीएम ने इस पर एक भी बयान नहीं दिया है. मैं आज मणिपुर के सीएम और पीएम मोदी को एक पत्र लिख रही हूं कि मणिपुर में हिंसा खत्म करने और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
#WATCH | DCW chief Swati Maliwal says, "I am unable to sleep after watching the video which has come from Manipur. The incident happened 2.5 months ago but no arrest has been made so far. I am ashamed that no one has been arrested. Central govt is silent, PM has not made a single… pic.twitter.com/1WGEAkHLqx
— ANI (@ANI) July 20, 2023
मणिपुर पर सरकार से जवाब मांगेगा ‘इंडिया ‘: कांग्रेस
कांग्रेस ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने से संबंधित वीडियो को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि आज संसद का मानसून सत्र में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) इस विषय पर सरकार से जवाब मांगेगा. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर के मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी ‘चुप्पी’ तोड़नी चाहिए. जयराम रमेश ने ट्वीट किया, मणिपुर में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा भड़के 78 दिन हो गए हैं. उस भयावह घटना को बीते 77 दिन हो गए हैं जिसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और उनके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया. अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के 63 दिन बाद भी अपराधी अभी तक फरार हैं. उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध के कारण शेष भारत को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि मणिपुर में इतनी भयानक घटना घटी.
स्मृति ईरानी पर पर कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस नेता ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर कटाक्ष करते हुए कहा, यह बिल्कुल अक्षम्य है कि महिला एवं बाल विकास मंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री से बात करने या बयान जारी करने के लिए 76 दिनों तक इंतजार किया. उन्होंने सवाल किया, क्या केंद्र सरकार, गृह मंत्री या प्रधानमंत्री को इस घटना की जानकारी नहीं थी? मोदी सरकार, सब कुछ ठीक है जैसी बातें करना कब बंद करेगी? मणिपुर के मुख्यमंत्री को कब बदला जाएगा ? ऐसी और कितनी घटनाओं को दबाया गया है?
तीन मई के बाद अशांत है मणिपुर, अबतक 160 की गयी जान
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. तब से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.