Gorakhpur : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में बीटेक पाठ्यक्रम में फर्जी दस्तावेज के सहारे हुए दाखिले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम आज गुरुवार को सामने आ सकता है. विश्वविद्यालय में 40 छात्रों का प्रवेश फर्जी दस्तावेज के सहारे हुआ था. इस मामले में 3 सदस्यीय शासन स्तरीय जांच कमेटी बनाई गई थी. जिसने अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय को पहले ही सौंप दी है.
गुरुवार को प्रबंध बोर्ड की बैठक में उनके नाम की घोषणा के साथ कार्रवाई भी तय की जाएगी. इसको लेकर विश्वविद्यालय विधिक राय भी ले चुका है. वही इस मामले में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रोफ़ेसर जेपी पांडे ने बताया कि फर्जी दस्तावेज के सहारे बीटेक में प्रवेश लेने वाले छात्रों को अप्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों का नाम शासन स्तर पर गठित कमेटी ने साक्ष्यों के आधार पर तय कर लिया है. आज गुरुवार को कमेटी की रिपोर्ट प्रबंध बोर्ड के समक्ष रखी जाएगी.
कुलपति ने बताया कि प्रबंध बोर्ड ही दोषियों पर कार्रवाई का निर्णय करेगा. कमेटी व बोर्ड के निर्णय से हाईकोर्ट को अवगत कराया जाएगा. क्योंकि इसे लेकर दोषी छात्रों का मामला अभी वहां लंबित है. फिलहाल विश्वविद्यालय ने जांच रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया है. जिन शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम सामने आने का पूर्वानुमान है. उनमें सभी सत्र 2020–21 व 2021–22 के दौरान डीन ऑफिस और परीक्षा विभाग से जुड़े हुए हैं. ऐसा इसलिए की विश्वविद्यालय में प्रवेश के बाद पंजीकरण से नामांकन और नामांकन से परीक्षा तक इन्हें विभागों की भूमिका होती है.
विश्वविद्यालय में प्रवेश फर्जीवाड़े में कुछ शिक्षक और कर्मचारी सीधे तौर पर सहयोग में जुड़े हैं तो कुछ अनदेखी और लापरवाही में फंस गए हैं. दोषी शिक्षकों में अधिकतर ने यही गलती की है. फर्जीवाड़े की जांच की आंच उस सत्र के दौरान डीन एकेडमिक अफेयर और एसोसिएट डीन की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों पर भी आना तय हैं. बताते चलें फर्जी दस्तावेज की सहावी मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले सत्र 2020–21 व 2021–22 के 40 छात्रों का प्रवेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस वर्ष जनवरी में निरस्त कर दिया था.
प्रवेश निरस्त होने के बाद 34 छात्रों ने हाई कोर्ट का सहारा लिया और वहां अपील की थी. फिलहाल यह मामला कोर्ट में अभी भी लंबित है. उम्मीद लगाई जा रही है कि विश्वविद्यालय प्रशासन प्रबंध बोर्ड की बैठक में दोषी घोषित किए गए शिक्षक और कर्मचारियों के नाम और उन पर कार्रवाई को लेकर बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णय को भी हाईकोर्ट के समक्ष रखेगा.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर