Brij Bhushan Sharan Singh : दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को नियमित जमानत दे दी. अदालत ने मामले में सह-आरोपी विनोद तोमर को भी जमानत दे दी. अदालत ने अपने आदेश में आरोपियों को 25,000 रुपये के जमानत बांड भरने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हें कड़ी शर्तों का सावधानीपूर्वक पालन करना होगा. मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई, 2023 को होगी. अप्रैल महीने में छह महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का आरोप लगाते हुए अलग-अलग शिकायतें दर्ज की थीं.
कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और पीछा करने के आरोप में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर 1,500 पेज के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद अदालत ने 7 जुलाई को बृज भूषण शरण सिंह को तलब किया था. अप्रैल महीने में छह महिला पहलवानों ने सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाते हुए अलग-अलग शिकायतें दर्ज की थीं. बृज भूषण शरण सिंह ने आरोपों से इनकार किया है.
बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस का आरोपपत्र आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दायर किया गया था, जबकि पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर पर धारा 109 (किसी भी अपराध के लिए उकसाना, यदि उकसाया गया कार्य परिणाम के रूप में किया जाता है, और जहां इसकी सजा के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है), 354, 354 ए और 506 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था.
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समाचार एजेंसी के मुताबिक, मामले की सुनवाई करते हुए, दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि आरोपी पर कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाए और राहत दिए जाने पर कुछ शर्तें लगाई जाएं. यह पूछे जाने पर कि क्या वह जमानत अर्जी का विरोध कर रहे हैं, अभियोजक ने जवाब दिया, “मैं न तो विरोध कर रहा हूं और न ही समर्थन कर रहा हूं.” एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है, “आवेदन को कानून और अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार निपटाया जाना चाहिए.”
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर 1500 पेज के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद तलब किया था. आरोप पत्र छह पहलवानों की गवाही, गवाहों के बयान और तकनीकी साक्ष्य जैसे तस्वीरें, वीडियो और कॉल डिटेल रिकॉर्ड का संकलन था. पुलिस ने शिकायतों की पुष्टि के लिए फोटो और वीडियो साक्ष्य का हवाला दिया. नाबालिग और उसके पिता, जो शिकायतकर्ता थे, ने बाद में एक मजिस्ट्रेट के सामने एक ताजा बयान में सिंह के खिलाफ अपने आरोप वापस ले लिए थे, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक रद्दीकरण रिपोर्ट भी दायर की थी.
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव ने पिछली सुनवाई में अदालत के समक्ष कहा था कि संबंधित मामले की सुनवाई एसीएमएम जसपाल द्वारा की जा रही है और इस मामले को भी उसी अदालत में भेजा जाना चाहिए. इस प्रकार अदालत ने 15 जून को मामले को आगे की सुनवाई के लिए सीएमएम के समक्ष सूचीबद्ध किया था. दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सिंह के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे . एक छह महिला पहलवानों द्वारा और दूसरा एक नाबालिग महिला पहलवान द्वारा की गई शिकायत पर आधारित था. हालांकि बाद में नाबालिग महिला ने बाद में अपना बयान बदल दिया था.दिल्ली पुलिस ने बाद में नाबालिग महिला पहलवान द्वारा दायर मामले में दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट में 552 पेज की रद्दीकरण रिपोर्ट दायर की थी, जिसे 5 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. नाबालिग उन महिला एथलीटों में शामिल थी, जिन्होंने 12 साल तक डब्ल्यूएफआई का नेतृत्व करने वाले सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ, ओलंपियन पदक विजेताओं सहित प्रसिद्ध भारतीय पहलवानों ने सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए 38 दिनों तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया, जब तक कि दिल्ली पुलिस ने 28 मई को वहां उनके तंबू नहीं उखाड़ दिए. 7 जून को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा ओलंपिक पदक विजेता बजरंग से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना विरोध स्थगित कर दिया. पुनिया और साक्षी मलिक से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि मामले में आरोपपत्र 15 जून तक दाखिल कर दिया जाएगा.