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Prabhat Khabar Special: लोक साहित आऊर जड़ी बूटी

वर्तमान समय में जहां औषधी युक्त पढ़ाई खातिर आइझ ईकर मान्यता अलग लागत हय. जेकर में हमरे कर लोक समाज से पूर्वज मन से मिलाल इसन गेयान के सिखेक सिखायक में पढ़ाई से ईके जोड़ेक चाही.

अशोक कुमार

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय

रांची विश्वविद्यालय, रांची

झारखंड बड़ जंगल वाला परदेस नाम से जानल जायला. जहां मूल रूप से अलग अलग जनजाति आऊर सदान समुदाय आदि काल से संगे रहते आवत हयं. जहां आदिवासी और सदन कर समजिक, सांस्कृतिक, सभ्यता, कला, आस्था, विश्वास कर कोनो जोड़ नखे. वइसे तो आदिवासी समज कर आस्था प्रकिरिति संगे मूल रूप में जूडल आहे. हुवे उ मन आपन हर ज़रूरत के प्रकृति कर अनुरूप ढाइल के पूरा करते आ हयं. जेकर में दुःख दरद आऊर आपन आस्था के बनाले राइख हयं.

झारखंड कर अदमी मन में लोक साहित्य कर भावना प्रगाढ़ आहे. हियां कर अदमी मन आपन हर कला, संस्कृति,सभ्यता के लोक परंपरा में बचाय के राइख हयं. झारखंड बन प्रदेश होवेक नाते हिया अनेक किसिम – किसिम कर औषधीय युक्त पौधा, कंदमूल, जड़, फल, बीज मिलेला, जहां हिया कर अदमी मन आपन रकम रकम कर बेमारी कर आवश्यकता अनुसार औषधी कर उपयोग बीमारी कर इलाज खातिर करते आवत हयं.

प्राचीन बेरा में तो बीमारी कर इलाज कर ले औषधी कर परजोग होते रहत रहे. मुदा समय शीरे हियां परिवर्तन होते जात हय. उ बेरा में भी अधिकतर अदमी के आम बीमारी कर इलाज खातिर जड़ी बूटी कर गेयान रहत रहे. मुदा उकरे बीच कुछ खास औषधी कर गेयान रखे वाला अदमी बईद होवत रहयं ओहे बइद जड़ी बूटी से बीमारी कर इलाज खातिर काढ़ा बनाय के राखत रहयं.

औषधी जड़ी बूटी से खास बीमारी घाव घोष, लकवा, जोंडिस,चरम रोग, मिर्गी, कुकर काटेक, सांप काटेक, गोड़ लांघी, हाड़ जोड़, बीमारी चाहे दरद बथा के ठीक करल जात रहे. आइझ भी सुदूर जंगल वाला पहाड़ी गांव में इ सब जड़ी बूटी कर परंपरा जिंदा हय. आऊर जानेक में असचरज होवी की अंग्रेजी दुनिया आवल पाछे भी इलाज ले शहर से इसन जगह पढल लिखल अदमी मन इलाज ले जायना. इसन जगह कर नाम में छतीसगढ़ कर बॉर्डर कर भिरे कोमड़े जगह प्रसिध हय.

समय कर संगे संग तो सभी क्षेत्र में परिवर्तन होवत हय, और वर्तमान समय में औषधी युक्त दवाई कर परचलन कम होवत हय,अदमी अंग्रेज़ी दवाई में बगरा विश्वास हय. मुदा आइझ भी कोनो कोनो आइसंन बीमारी रहेल सेके डाक्टर ठीक नी करे सेके उके औषधी जड़ी बूटी से ठीक करल ज़ात हय. मुदा दुर्भाग्य कर बात हय की औषधी गेयान आब विलुप्त होते जात हय. जे लोक समज कर चिंता कर विषय हय.

वर्तमान समय में में जहां औषधी युक्त पढ़ाई खातिर आइझ ईकर मान्यता अलग लागत हय. जेकर में हमरे कर लोक समाज से पूर्वज मन से मिलाल इसन गेयान के सिखेक सिखायक में पढ़ाई से ईके जोड़ेक चाही और आइज कर नव पीढ़ी के ईकर गेयान से अवगत करायक चाही. आऊर औषधी गेयान से संबंधित शोध क्षेत्र के बढ़ावा देवेक चाही. आऊर आपन लोक समाज कर समरसता के पीढ़ी दर पीढ़ी ज़िंदा राखेक कोसिस करेक चाही. ताकि आवे वाला भावी पीढ़ी ईकर लाभ लेय सके. जे हमरेक लोक साहित्य पहे जड़ी बूटी औषधी गेयान लोक साहित कर अंग लगे.

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