Vinayak Chaturthi 2023: आज 21 जुलाई दिन शुक्रवार को सावन की पहली विनायक चतुर्थी तिथि है. प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. इस दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा की जाती है. आज का दिन भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन गणपति पूजन से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. सावन माह में अधिक मास जुड़ने के कारण आज भगवान गणेश की विधिवत पूजा और व्रत रखने पर भक्तों को कई गुना बढ़कर फल मिलता है.
इस बार सावन माह में अधिक मास जुड़ने के कारण दो विनायक चतुर्थी व्रत पड़ेंगे. 18 जुलाई से अधिक मास की शुरुआत हो चुकी है. आज अधिकमास की विनायक चतुर्थी तिथि है. इस दिन रवि योग भी है. ऐसे में इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होगी और आपके जीवन में रिद्धि-सिद्धि का वास होगा. आइए जानते हैं सावन की पहली विनायक चतुर्थी की पूजा विधि और महत्व…
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शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ- 21 जुलाई की सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर
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शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 22 जुलाई की सुबह 09 बजकर 26 मिनट पर
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पूजा शुभ मुहूर्त- 21 जुलाई 2023 को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक है.
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इस शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी.
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लाभ-उन्नति मुहूर्त – सुबह 10 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
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अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक
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रवि योग- 21 जुलाई की दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 22 जुलाई को सुबह 5 बजकर 37 मिनट तक
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स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें.
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गणपति जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें.
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एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर गणपति जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
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इसके बाद जल से आचमन करें
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फिर आसन बिछाकर आप भी बैठ जाएं और पूजा आरंभ करें.
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सबसे पहले गणपति जी को जल चढ़ाएं.
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अब फूल, माला चढ़ाने के साथ 11 जोड़े दूर्वा के चढ़ाएं.
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अब बप्पा को सिंदूर, कुमकुम, रोली, अक्षत , पान आदि चढ़ा दें.
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भोग में मोदक, बूंदी के लड्डू या अपनी योग्यता अनुसार कोई मिठाई को भोग लगाएं और थोड़ा सा जल चढ़ाएं.
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घी का दीपक और धूप जला लें.
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अब गणेश चालीसा, मंत्र के बाद गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ कर लें.
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विधिवत आरती कर लें.
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अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें.
स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान गणेश को जल, पंचामृत रोली, अक्षत, सुपारी, जनेऊ, सिन्दूर, पुष्प, दूर्वा आदि से पूजा करें. इसके बाद लड्डुओं का प्रसाद लगाकर दीप-धूप से उनकी आरती उतारें. सुख-समृद्धि की कामना से गणेशजी के मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’या’ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा’ का यथाशक्ति जप करें. ऐसा करने से पूजा के फल में वृद्धि होती है.
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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधों को आंखें देना,
बंजर को पुत्र देना, गरीबों को प्रेम देना।
‘सुर’ श्याम शरण में आए और
माता पार्वती और पिता महादेव की सेवा करने में सफल हुए।
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥