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दैनिक मजदूर से पीएचडी रिसर्च स्कॉलर तक, अनंतपुर की भारती ने कैसे पार की सारी बाधायें ? पढ़ें सक्सेस स्टोरी

भारती की यात्रा शिंगनमाला के एक छोटे से सरकारी स्कूल से शुरू हुई जहां से उन्होंने शिक्षा हासिल की. आर्थिक रूप से संघर्षरत परिवार में जन्मी वह तीन बेटियों में सबसे बड़ी थीं. आगे पढ़ें भारती की सक्सेस स्टोरी.

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के मध्य में स्थित नागुलागुड्डम के सुदूर गांव में, दृढ़ संकल्प और जुनून की एक उल्लेखनीय कहानी सामने आती है. इस कहानी की मुख्य किरदार हैं असाधारण भावना वाली महिला भारती, जिन्होंने अपने सपनों को हासिल करने के लिए सभी बाधाओं का सामना किया. सीमित संसाधनों और वित्तीय बाधाओं के बावजूद, उन्होंने अटूट समर्पण के साथ शिक्षा प्राप्त की और केमेस्ट्री में पीएचडी पूरी कर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की.

कम उम्र में ही कर दी गई शादी

भारती की यात्रा शिंगनमाला के एक छोटे से सरकारी स्कूल से शुरू हुई जहां से उन्होंने शिक्षा हासिल की. आर्थिक रूप से संघर्षरत परिवार में जन्मी वह तीन बेटियों में सबसे बड़ी थीं. जैसा कि भाग्य को मंजूर था, उनकी शादी कम उम्र में ही कर दी गई. उनके रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के बावजूद, उनके पति समर्थन के स्तंभ बन गए और उन्हें शिक्षा के प्रति अपने जुनून को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया.

अनंतपुर के एसएसबीएन कॉलेज से डिग्री और पीजी की पढ़ाई पूरी की

दैनिक श्रम के साथ अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को संतुलित करते हुए, भारती ने अनंतपुर के एसएसबीएन कॉलेज से अपनी डिग्री और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, वह अपनी सौतेली बेटी गायत्री की भी प्यार से देखभाल करती थी. भारती की यात्रा जुनून और दृढ़ता से प्रेरित, शिक्षा के सार का उदाहरण है.

आसान नहीं भारती की शिक्षा की राह

भारती के लिए शिक्षा की राह आसान नहीं थी. जिस कॉलेज में उसने पढ़ाई की वह उसके गांव से 28 किलोमीटर दूर स्थित था, जिससे परिवहन लागत वहन करने योग्य नहीं थी. फिर भी, उनकी अदम्य भावना ने बाधाओं को अपने रास्ते में नहीं आने दिया. हर दिन, वह आठ किलोमीटर पैदल चलकर गारलाडिन पहुंचती थी, जहां से वह कॉलेज के लिए बस पकड़ सकती थी. उसके समर्पण की कोई सीमा नहीं थी.

दृढ़ संकल्पित होकर देर रात तक पढ़ाई करती थी

आर्थिक तंगी का सामना करने के बावजूद भारती की ज्ञान के प्रति प्यास बुझने वाली नहीं थी. वह अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर देर रात तक पढ़ाई करती थी. उनके पति और शिक्षक उनके कट्टर समर्थक बने रहे और उन्हें पीएचडी करने के सपने की ओर मार्गदर्शन किया.

बाइनरी मिक्सचर पर रिसर्च किया

प्रोफेसर डॉ. एमसीएस शुभा के मार्गदर्शन में, भारती ने ‘बाइनरी मिक्सचर’ पर रिसर्च किया. अपने काम के प्रति उनका जुनून पैसे कमाने की इच्छा से कहीं आगे तक फैला हुआ था. वह विषय के प्रति अपने समर्पन और डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने पर विश्वविद्यालय स्तर की नौकरी करने के लिए प्रेरित थीं. भारती जानती थीं कि उनकी उपलब्धियां अनगिनत व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी और उन्हें सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगी.

दृढ़ संकल्प का प्रतीक बनीं भारती

जैसे-जैसे उसके ग्रेजुएशन सेरेमनी का दिन नजदीक आया, भारती को तृप्ति और खुशी दोनों का एहसास हुआ. अपने पति और बेटी के साथ, वह कैमेस्ट्री में पीएचडी प्राप्त करने के लिए अनंतपुर के श्रीकृष्ण देवराय विश्वविद्यालय के मंच पर पहुंचीं. एक साधारण साड़ी और पैरागॉन सैंडल में, वह दृढ़ता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक थीं.

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