Lucknow : भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दल हर जगह जाकर जिस तरह से आपदा में भी जान माल को बचाने के लिए जिस तेजी और सटीक तरीके से काम करती है, वो किसी देवदूत की तरह लगती है. इस टीम में मुश्किल से डेढ़ दशक में गजब का काम किया है. वह अब देश की ऐसी आपदा फोर्स हो गई है कि कहीं भी जाएगी तो वहां लोगों के जीवन में नई आशा का काम करेगी.
हम यहां जानेंगे क्या है एनडीआरएफ. ये कैसे बनी. अब ये कितनी बड़ी टीम है. किस तरह के कामों में इसे विशेषज्ञता हासिल है. इसके पास कम ही समय में ना केवल बड़ी टीम और ढांचा है बल्कि हर उस तरह के खास उपकरण जो किसी भी तरह की आपदा में काम आते हैं. अपने काम और खास तरह की एक्सपर्टीज के कारण ये दुनिया में इस तरह की किसी भी बेस्ट फोर्स या टीम के बीच जगह बना चुकी है.
एनडीआरएफ का मतलब नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल. भारत में 90 के दशक के आखिर में एक ऐसी फोर्स की जरूरत महसूस होने लगी, जो तमाम तरह की आपदाओं में जाकर लोगों को बचा सके. वो इसके लिए खास तरह से तैयार की गई हो. दुनिया में इस तरह की कई फोर्स बहुत बढिया काम कर रही थीं. उनका उदाहरण भारत के सामने था. 1999 के ओडिशा के सुपर चक्रवात, 2001के गुजरात भूकंप और वर्ष 2004 में आई सूनामी के बाद भारत ने तय किया कि वो इस तरह की फोर्स बनाएगा, जो आपदा के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने में एक्सपर्ट हो.
26 दिसंबर 2005 को आपदा मोचन एक्ट के आधार पर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी बनाई गई. जिसकी योजना, नीतियों और गाइडलाइंस के आधार पर नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) का गठन किया गया. जो प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से एक्सपर्ट के रूप में तुरंत रिस्पांस दे सकें. वर्ष 2006 में आठ बटालियनों के साथ एनडीआरएफ को गठित किया गया.
फिलहाल एनडीआरएफ की क्षमता 16 बटालियनों की है. करीब 05 साल पहले इसकी क्षमता 12 बटालियनों की थी. हर बटालियन में 1149 जवान होते हैं. हाल के बरसों में ना केवल एनडीआरएफ का बजट बढ़ा है बल्कि ये हर तरह के उपकरणों से युक्त भी की गई है. इसके जवान पूरी तरह से केवल आपदा संबंधी स्थितियों से निपटने के लिए तैनात किये जाते हैं. पहले इन्हें कभी कभार कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए भी तैनात किया जाता था लेकिन बाद में एनडीआरएफ के नियमों में बदलाव किया गया. 14 फरवरी 2008 से वो केवल आपदा संबंधी दायित्वों के लिए निर्धारित कर दिये गए.
एनडीआरएफ में सीधी भर्ती नहीं होती. बल्कि एनडीआरएफ में अद्धसैन्य बलों से बटालियनों को डेपुटेशन के आधार पर तैनात किया जाता है. फिलहाल एनडीआरएफ में जो अर्द्धसैनिक बल की बटालियन तैनात हैं, वो इस तरह हैं.
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सीमा सुरक्षा बल- तीन बटालियन
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केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल -तीन बटालियन
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केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल -दो बटालियन
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इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस- दो बटालियन
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सशस्त्र सीमा बल- दो बटालियन
इसके अलावा असम राइफल्स से भी इससे जवान लिए जाते हैं. हर बटालियन में सर्च, बचाव और राहत के एक्सपर्ट होते हैं. इनमें साथ ही इंजीनियर्स, तकनीकविद, इलैक्ट्रिशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल के जानकार लोग होते हैं. हर बटालियन में 18 सर्च स्पेशलिस्ट, 45 लोगों की बचाव टीम रहती है. इस फोर्स के डॉग स्क्वॉड की तुर्की में भूकंप के बाद राहत के काम के दौरान काफी तारीफ हुई.
देशभर में एनडीआरएफ के 16 केंद्र हैं. जहां इनकी अलग अलग बटालियन तैनात रहती हैं. इन सभी जगहों पर उनकी ट्रेनिंग की खास व्यवस्था है. हालांकि इन केंद्रों में कुछ जगहों पर खास ट्रेनिंग भी होती है, जिसमें सभी बटालियनों के जवानों को भेजा जाता है. ये केंद्र इस तरह हैं, साथ ही वो किन राज्यों को आपदा की स्थिति में कवर करते हैं.
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पिछले कुछ बरसों में एनडीआरएफ का एक मोड्यूल और ट्रेनिंग तय कर दी गई है. एनडीआरएफ में रहने वाले हर जवान को इसमें दक्ष होना जरूरी है.
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ये ट्रेनिंग वाटर, नेचुरल डिजास्टर, एयर रेस्क्यू (हेली बोर्न), और अलग अलग आपदाओं को ध्यान में रखकर दी जाती है. ये काफी कड़ी ट्रेनिंग होती है. समय समय पर छांटे गए जवानों को विदेश में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. हजारों जवान ये ट्रेनिंग ले चुके हैं
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ये ट्रेनिंग इस तरह होती है कि एनडीआरएफ का हर जवान उच्च तरीके से दक्ष और रिलीफ आपरेशंस की क्षमता रखता हो. आप खुद देख रहे होंगे कि केरल में किस तरह हवा और पानी से ये जवान बाढ़ में फंसे लोगों को बचा रहे हैं.
मोटे तौर पर एनडीआरएफ देश विदेश में 100 से ऊपर आपरेशंस को अंजाम दे चुकी है. ये बाढ़, भूकंप,तूफान, भूस्खलन, प्राकृतिक आपदा, भवन ढहने जैसी आपदाओं में दिए गए. हमेशा सभी ने एनडीआरएफ के काम और भूमिका की सराहना की है.
एनडीआऱएफ का पहला बड़ा टेस्ट वर्ष 2008 में बिहार में कोसी नदी में आई बाढ़ के दौरान हुआ. टीम ने तुरंत वहां पहुंच कर युद्ध स्तर पर काम शुरू किया. देखते ही देखते हवा से 153 हाईस्पीड मोटरबोट उतारी गईं, जिससे 780 बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत और बचाव का काम किया गया. इसमें एनडीआरएफ के तीन बटालियन के बाढ़ एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया. पांच जिलों में फैले इस आपरेशन में एक लाख से ज्यादा प्रभावित लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.