समस्तीपुर/मुजफ्फरपुर. उत्तर बिहार के इलाकों में मानसून कमजोर पड़ गया है. इस कारण वर्षा की संभावना बहुत कम है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय,पूसा के मौसम विज्ञान विभाग ने 22 से 26 जुलाई तक के लिए मौसम पूर्वानुमान में ऐसी आशंका जतायी गयी है. कुछ इलाकों में हल्की बारिश होने की संभावना जतायी गयी है. इस अवधि में अधिकतम तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है. तापमान 34-37 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है. न्यूनतम तापमान 27-29 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है. पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 10 से 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पूरवा हवा चलने की संभावना है.
बारिश की स्थिति नहीं बन रही
वैज्ञानिकों को कहना है कि मानसून दूसरी जगह शिफ्ट हो चुका है. इस कारण मौसम एक बार फिर उल्टी दिशा की ओर बढ़ने लगा है. इस मामले में वरीय वैज्ञानिक सह नोडल पदाधिकारी (कृषि मौसम ) डॉ एके सत्तार ने बताया कि मॉनसूनी रेखा दक्षिण भारत में शिफ्ट हो गया है. यहीं बजह है कि कम दबाव बन रहा है. जिससे बारिश की स्थिति नहीं बन रही है. वरीय वैज्ञानिक ने बताया कि 26 जुलाई के बाद भी बारिश की उम्मीद कम है. इस अवधि में कहीं-कहीं हल्की बारिश होने की संभावना है.
सामान्य से 4 डिग्री अधिक रहेगा तापमान
मॉनसून की बेरुखी के साथ ही फिर तापमान की स्थिति बढ़ने से उमस और गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार शुक्रवार को अधिकतम तापमान 35.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. जो सामान्य से 2.7 डिग्री अधिक रहा. हालांकि अगले एक सप्ताह तक अधिकतम तापमान सामान्य तापमान से 3 से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना जतायी गयी है. वहीं अधिकतम तापमान 37 डिग्री तक जा सकता है. इस स्थिति में धान की फसल को लेकर किसानों को सुझाव भी जारी किया गया है.
जेठ गर्मी को मात दे रही सावन की धूप
इस बार सावन की धूप जेठ की गर्मी को मात दे रही है. धूप और गर्मी के सितम से सभी हलकान हैं. बादलों के धोखा देने से अकाल का साया मंडराने लगा है. ऐसे तो मौसम विभाग के पूर्वानुमान में इस वर्ष अच्छी बारिश की संभावना जतायी गयी थी. किसानों ने काफी उम्मीद लेकर खरीफ फसलों की खेती शुरू की थी, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया है. पिछले पांच वर्षों में इस बार सबसे कम बारिश हुई है. चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी से खेतों में कहीं बिचड़े झुलस रहे हैं, तो कहीं रोपे गये धान के पौधे सूख रहे हैं.
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बारिश के लिए हर तरफ हाहाकार
बारिश होने का दूर-दूर तक आसार नहीं दिख रहा है.. संकट और सुखाड़ के मंडरा रहे बादल से सभी किसान हलकान हैं. उनके मेहनत और लागत का क्या होगा, रोपनी नहीं हुई, तो उनका भविष्य क्या होगा, जैसे तमाम सवाल किसानों को झकझोर रहे हैं. गोपालगंज जिले में जून माह में 172.8 मिमी की बारिश की आवश्यकता थी, लेकिन मात्र 74.4 मी बारिश हुई. जुलाई माह में 314 मिमी बारिश की आवश्यकता है. इस बार अब तक इस माह में महज 119 मिमी बारिश हुई है. बारिश के लिए हर तरफ हाहाकार मचा है. हर तबका झुलस रहा है. गर्मी मई को मात दे रही है. खेत और सड़क पर धूल उड़ रही है. शुक्रवार को अधिकतम तापमान 39.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहा. किसानों का कहना है कि सावन में इतनी गर्मी बीते 10 साल में नहीं पड़ी थी.
एक नजर धान की खेती और बारिश पर
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धान की खेती का लक्ष्य- 88000 हेक्टेयर
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जुलाई माह में आवश्यक बारिश-314.10 मिमी
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अब तक कुल बारिश- 319.6 मिमी
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अब तक कुल रोपनी- 58080 हेक्टेयर
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रोपनी के लिए सिंचाई पर किसानों का खर्च- 12.5 करोड़ लगभग