EXPLAINER STORY: बिहार में हथियारों के अवैध कारोबार का धंधा तेजी से बढ़ा है. आए दिन जिला पुलिस और एसटीएफ के द्वारा हो रहे खुलासे इस दावे को मजबूत करते हैं. पिछले दिनों भागलपुर में एकबार फिर से मिनी गन फैक्ट्री का पुलिस ने उद्भेदन किया. जबकि लखीसराय, सहरसा, गया व पूर्णिया समेत अन्य जिलों में भी हाल में ही अवैध तरीके से हथियार बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा किया गया था. इन छापेमारियों में पुलिस व एसटीएफ को मौके पर से भारी मात्रा में निर्मित और अर्द्धनिर्मित हथियार, कारतूस समेत हथियार बनाने की मशीन व औजार वगैरह मिले हैं.
भागलपुर पुलिस ने पिछले दिनों लोदीपुर थाना क्षेत्र के उस्तु गांव में छापेमारी की और मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया. दो लोगों की गिरफ्तारी भी पुलिस के द्वारा की गयी. पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी और उसी के आधार पर जब छापेमारी की गयी तो हथियार बनाने की फैक्ट्री का खुलासा हुआ. हैरान करने वाली बात यह रही कि पुलिस ने जिन दो लोगों को मौके पर से गिरफ्तार किया उनमें एक मो. सलमान उर्फ सलमी वर्ष 2020 में विस्फोटक अधिनियम व हत्या के प्रयास मामले में जेल जा चुका है.
भागलपुर में हथियार बनाने का धंधा पूर्व में भी पकड़ा गया है. जनवरी महीने में कहलगांव में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा हुआ था. पटना एसटीएफ की टीम ने अचानक दबिश डाली थी और मौके पर से दो संचालक समेत दो कारीगर को भी गिरफ्तार किया था. कई अर्धनिर्मित हथियार व उसे तैयार करने वाले उपकरण बरामद किए गए थे. एक मकान के अंदर मौत का ये सामान तैयार हो रहा था. इससे पहले नाथनग में एसटीएफ ने मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया था. वहीं पुलिस जिला नवगछिया अंतर्गत रंगरा में एक मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा मार्च महीने में किया गया था जिसमें बासा पर हथियार बनाने वाले रैकेट के 7 तस्कर पकड़े गए थे. पुलिस को भारी मात्रा में अवैध हथियार मिले थे.
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हाल में ही गया में भी एक मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया गया. बेलागंज थाना और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में पुलिस को सफलता मिली थी. बेलागंज थाना क्षेत्र के शेखाबिगहा गांव में छापेमारी कर मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया गया था. भारी मात्रा में निर्मित, अर्द्ध निर्मित असलहों के साथ हथियार बनाने उपकरण भी बरामद किए गए थे. जहानाबाद में हथियार तस्करों की गिरफ्तारी के बाद उनकी निशानदेही पर ये छापेमारी गया में की गयी थी.
जून महीने में बांका में पुलिस ने एक मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा बाराहाट के अरकट्टा गांव में किया था. पुलिस ने जब अचानक कार्रवाई की तो धंधे में लिप्त एक व्यक्ति बाइक से फरार होने के प्रयास में था. पुलिस ने एक छत के ऊपर जाने के लिए बनी सीढ़ी के सकरे रास्ते में जब खोजबीन की तो हथियार बनाने के उपकरण, कुछ हथियार, कुछ अर्धनिर्मित हथियार वगैरह मिले थे.
मिनी गन फैक्ट्री के खुलासे की फेहरिस्त काफी लंबी है. पूर्णिया में बंगाल एवं बिहार एसटीएफ की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की थी और धमदाहा थाने से महज 15 से 17 किलोमीटर की दूरी पर अवैध हथियार बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था. दो भाइयों के घर में छापेमारी करके मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया गया था. पुलिस ने 5 दर्जन से अधिक देशी कट्टा बनाने का सामान बरामद किया गया था. लोहे की रॉड, बैरल बॉर्डी, लेथ मशीन वगैरह जब्त किया गया था. जबकि हथियार बना रहे मुंगेर व भागलपुर के कारीगर पकड़े गए थे.
गोपालगंज के उचकागांव थाना क्षेत्र में पुलिस ने इसी साल एक मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया था. तीन धंधेबाजों की गिरफ्तारी की गयी थी जबकि भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए थे. वहीं समस्तीपुर के हसनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत गंगासागर पुल के पास पुलिस ने एक मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया था. दुकान के तहखाने में अवैध हथियारों का जखीरा व इसे बनाने वाले उपकरण रखे मिले थे.सारण में भी इस साल एसटीएफ ने मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया था और 8 लोगों की गिरफ्तारी की थी. मशरख थाना क्षेत्र के बगरा गांव में एक घर में हथियार तैयार किया जा रहा था.
सहरसा में जब इस साल फरवरी में एसटीएफ ने छापेमारी की थी तो नगर परिषद सिमरी बख्तियारपुर के वार्ड नंबर 15 में एक घर में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा हुआ था. यहां मजार की आड़ में मिनी गन फैक्ट्री चलाया जा रहा था. यहां भी मुंगेर से ही हथियार बनाने वाले कारीगर बुलाए गए थे. तीन कारीगरों को गिरफ्तार किया गया था.
बिहार में अवैध तरीके से हथियार बनाने का धंधा तेजी से बढ़ा है. स्थानीय पुलिस को कई बार इसकी भनक तक नहीं लगती कि थाने के ही आसपास के एरिया में मिनी गन फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है. पटना से एसटीएफ की टीम आकर खुलासा कर जाती हैं. दरअसल, जब डिलीवरी के लिए जा रहे कुछ सप्लायरों को हथियार के साथ जब पकड़ा गया तो कई बड़े राज बाहर आए. कुछ कार्रवाई में ये साफ हुआ कि हथियार बाहरी राज्याें में भी भेजे जाते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस अवैध कारोबार के तार बिहार ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर तक फैले हैं. गांव में भी अब घर के अंदर मौत का सामान बनाया जा रहा है.