गुमला, दुर्जय पासवान : एक घर में बंधक बनकर 41 साल तक घरेलू काम की. लेकिन, उसे मजदूरी नहीं मिली. जब उसकी उम्र 10 साल थी. तब उसे दिल्ली जाया गया था. 51 साल की उम्र में महिला उस घर से मुक्त हुई. यह कहानी, एक असुर जनजाति महिला की है. उम्र के इस ढलान में अब महिला अपने 40 साल की मेहनत का पैसा मांग रही है. परंतु, उसे मजदूरी नहीं मिल रहा है. न ही प्रशासन उसकी मदद कर रहा है. थक हारकर महिला ने मजदूर संघ सीएफटीयूआइ के प्रदेश सचिव जुम्मन खान से मिलकर अपनी पीड़ा रखी है. मजदूर संघ ने महिला की समस्या को श्रम विभाग झारखंड सरकार को अवगत कराया है.
क्या है पूरा मामला
चैनपुर प्रखंडके लुपुंगपाट गांव की फुलकेरिया असुर की जब 10 साल उम्र था. तब उसे घरेलू काम कराने के लिए दिल्ली ले जाया गया था. फुलकेरिया बताती है, उसे दिल्ली के घर में सुनीता कुमारी के घर पर घरेलू काम के लिए रखा गया था. पढ़ाई लिखाई छोड़ और परिवार से दूर रहकर फुलकेरिया दिल्ली में काम करते रही. उसे घर से निकलने नहीं दिया जाता था. इधर, जब महिला की उम्र 51 साल हो गयी. उसका शरीर काम करने नहीं लगा. आंख से भी ठीक ढंग से दिखायी नहीं देने लगा, तो 2021 में उसे घर से मुक्त कर दिया गया.
गुमला अपने घर जाने के लिए सिर्फ ट्रेन भाड़ा दिया गया. महिला किसी प्रकार अपने घर पहुंची. 41 साल बाद परिजनों से मिलकर फुलकेरिया खुश थी. घर व गांव पहुंचने के बाद गांव की तस्वीर भी बदल गयी थी. परिवार में कई नये चेहरे भी थे. उसके पिता तरसियुस केरकेटटा की मौत हो चुकी है. फुलकेरिया अपने घर पहुंचकर अब खुश है. परंतु, दुख इस बात की है कि उसने जिस घर में 41 साल मजदूरी की. उसे मजदूरी का एक पैसा नहीं मिला.
41 साल तक मैं एक ही घर में बंधक की तरह रहकर मजदूरी की. परंतु, मुझे एक दिन का भी मजदूरी नहीं दिया गया. अब इस ढले उम्र में मैं कैसे जिंदा रहूंगी. उन्होंने प्रशासन से मजदूरी का पैसा दिलाने की मांग की है.
-फुलकेरिया असुर, पीड़ित महिला
मजदूर संघ को फुलकेरिया ने लिखित आवेदन दी है. महिला के साथ काफी अन्याय हुआ है. महिला की मौत सुनकर दर्द होता है. मैंने मामले को श्रम विभाग व प्रशासन तक पहुंचा दिया है. अब देखना है महिला को कब न्याय मिलता है.
-जुम्मन खान, प्रदेश सचिव, मजदूर संघ
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गुमला अस्पताल में समय पर नहीं मिला खून, पत्नी के सामने पति की मौत
इधर, गुमला सदर अस्पताल में समय पर खून नहीं मिलने पर पत्नी के सामने पति की मौत हो गयी. हालांकि, मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि हमारे ब्लड बैंक में खून की कोई नहीं है. मरीज की मौत किसी बीमारी से हुई होगी. गुमला शहर के चाहा चेटर निवासी राजकुमार साहू (25) की मौत शनिवार की सुबह सदर अस्पताल में इलाज के क्रम में हो गयी. परिजनों ने सदर अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों ने कहा है कि अगर समय खून मिल जाता और इलाज होता तो राजकुमार की जान बच सकती थी.
खून मिलने में आधा घंटा देर हुई
मृतक की पत्नी किरण देवी ने बताया कि शुक्रवार की रात 11 बजे सांस लेने में दिक्कत होने पर राजकुमार साहू को सदर अस्पताल में भरती कराया गया था. जहां चिकित्सक द्वारा जांच करने के बाद उसे भरती कर लिया गया. सिर्फ रात में इंजेक्शन दिया गया. उसके बाद उसके खून की जांच में खून की कमी की जानकारी नर्सो द्वारा शनिवार की सुबह दी गयी. राजकुमार के शरीर में 4.2 खून था. जब रक्त का पुर्जा लेकर साढ़े नौ बजे परिजन ब्लड बैंक गये, तो ब्लड बैंक बंद पाया. दस बजे खुला, तो फिर से परिजन गये और वहां रक्त का सैंपल देकर रक्त की मांग किया. लेकिन ब्लड बैंक के कर्मियों द्वारा आधा घंटे बाद बुलाया गया. इसी बीच मेरे पति की मौत हो गयी.
डीएस ने क्या कहा
डीएस डॉक्टर अनुपम किशोर ने कहा कि रक्त कमी की सूचना गलत है. मृतक का ओ पॉजिटिव ब्लड था. ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध है. मृतक की मौत किसी अन्य कारण से हुई होगी. मैं इस मामले की जांच करता हूं. अगर मेरे कर्मियों की लापरवाही से मृतक की मौत हुई होगी, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी.