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Explainer: कब होगा मोदी कैबिनेट का विस्तार? जानें कहां फंसी है पेंच

नरेंद्र मोदी सरकार में मध्य प्रदेश के सांसदों की अच्छी हिस्सेदारी है. मध्य प्रदेश के पांच सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह दी गयी है. नरेंद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा हैं.

केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल की खबरें पिछले कई दिनों से मीडिया में चल रही हैं, लेकिन अबतक कोई आधिकारिक खबर सामने नहीं आयी है कि मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा. अब संभावना जतायी जा रही है कि मानसून सत्र खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है. हालांकि राजनीति पंडितों का ऐसा मानना है कि फिलहाल मोदी कैबिनेट में विस्तार की कोई संभावना नहीं है.

विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार पर होगा फैसला

देश में इस साल के आखिर में चार महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है. वैसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का फोकस इन चुनावी राज्यों पर ही होगा. मौजूदा कैबिनेट में चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से कई सांसद पहले से ही शामिल हैं. वैसे में इन राज्यों के सांसदों को कैबिनेट से बाहर करना या नये सांसदों को शामिल किये जाने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.

मोदी कैबिनेट में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी

नरेंद्र मोदी सरकार में मध्य प्रदेश के सांसदों की अच्छी हिस्सेदारी है. मध्य प्रदेश के पांच सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह दी गयी है. नरेंद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा हैं. इसलिए ऐसा कोई संभावना नहीं है कि मध्य प्रदेश के नये सांसद को मंत्रिमंडल में जगह देकर चुनावी निशाना साधा जाए.

केंद्रीय कैबिनेट में राजस्थान की हिस्सेदारी

केंद्रीय कैबिनेट में जिस तरह से मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी है, उसी तरह से राजस्थान की भी स्थिति है. चुनावी राज्य के चार सांसद पहले से ही मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं. भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी मोदी सरकार में शामिल हैं. हालांकि खबर है कि राजस्थान में सत्ता पर वापसी करने के लिए मोदी सरकार नये सांसद को कैबिनेट में मौका दिया जा सकता है.

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के सांसद की भी मोदी कैबिनेट में हिस्सेदारी

साल के आखिरी में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होना है. इन दोनों राज्यों में बीजेपी सत्ता से बाहर है. वैसे में बीजेपी की नजर दोनों जगह पर सत्ता पर वापसी करने की है. मोदी कैबिनेट की बात करें, तो इन दोनों चुनावी राज्यों के सांसदों की पहले से ही अच्छी हिस्सेदारी रही है. तेलंगाना में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को तेलंगाना का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने पहले ही बड़ा दांव खेल दिया है. ऐसा माना जाता है कि रेड्डी की वहां अच्छी पैठ है. हालांकि ऐसी भी संभावना जतायी जा रही है कि मोदी कैबिनेट में इस राज्य से और भी सांसदों को मौका दिया जा सकता है. उसी तरह छत्तीसगढ़ से भी कुछ सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. हालांकि रेणुका सिंह पहले से मोदी सरकार का हिस्सा हैं.

बीजेपी और पीएम मोदी की नरज लोकसभा चुनाव पर

बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा फोकस इस समय अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है. इसलिए पूरी संभावना जतायी जा रही है कि अगर केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल होती भी है, तो चार राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद होगी. बीजेपी लोकसभा चुनाव को लेकर पहले से ही पूरी तैयारी में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से कर चुके हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर कई दौर की बैठकें भी हो चुकी है. भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें चुनाव की तैयारी में जुट जाने का निर्देश दिया था. घर-घर जाकर लोगों से मिलकर केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए पीएम मोदी ने निर्देश दिया था.

मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष एकजुट

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को 2024 में सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस सहित 26 विपक्षी पार्टियों ने हाल के दिनों में बड़ी बैठक की थी. पटना में जहां 16 विपक्षी पार्टियों ने बैठक में हिस्सा लिया था, वहीं बेंगलुरु में हुई बैठक में यह संख्या बढ़कर 26 हो गयी. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल(यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ-साथ नेशनल कांफ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), एमडीएमके, केएमडीके, वीसीके, आरएसपी, सीपीआई-एमएल (लिबरेशन), फॉरवर्ड ब्लॉक, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि), अपना दल (कमेरावादी) और मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके) शामिल हैं.

मोदी सरकार के सामने कई चुनौतियां

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सामने मौजूदा समय में कई चुनौतियां हैं. बेरोजगारी और महंगाई को लेकर पहले से ही निशाने पर मोदी सरकार के सामने मणिपुर हिंसा नयी चुनौती बनकर सामने आ गयी है. मणिपुर में जारी हिंसा और हाल के दिनों में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार की जमकर निंदा हो रही है. वैसे में केंद्र की बीजेपी सरकार के सामने चुनाव में वोटिरों को अपने पक्ष में करने की बड़ी चुनौती होगी.

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