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Bihar Weather News: बिहार में मानसून दे रहा दगा, आसमान में बादल निहार रहे किसान

Bihar Weather News बारिश होने का दूर- दूर तक आसार नहीं दिख रहा है. किसानों ने किसी तरह से पंपसेट से रोपनी तो कर ली, लेकिन अब खेत में पौधे सूखने लगे हैं.

IMD issues Weather Update मानसून किसानों का पूरी तरह से दगा दे दिया है. सावन माह में बारिश के बजाय धूप और गर्मी के सितम से सभी हलकान हैं. बादलों के धोखा देने से अकाल का साया मंडराने लगा है. किसानों ने काफी उम्मीद लेकर खरीफ फसलों की खेती शुरू की थी, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया है. पिछले पांच वर्षों में इस बार सबसे कम बारिश हुई है. चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी से खेतों में कहीं बिचड़े झुलस रहे हैं, तो कहीं रोपे गये धान के पौधे सूख रहे हैं.

बारिश होने का दूर- दूर तक आसार नहीं दिख रहा है. किसानों ने किसी तरह से पंपसेट से रोपनी तो कर ली, लेकिन अब खेत में पौधे सूखने लगे हैं. इस संकट और सुखाड़ के मंडरा रहे बादल से सभी किसान हलकान हैं. उनकी मेहनत और लागत का क्या होगा, जैसे तमाम सवाल किसानों को झकझोर रहे हैं. जून माह में 172.8 मिमी की बारिश की आवश्यकता थी, लेकिन मात्र 74.4 मिमी बारिश हुई. जुलाई माह में 314 मिमी बारिश की आवश्यकता है. इस बार अब तक इस माह में महज 119 मिमी बारिश हुई है. बारिश के लिए हर तरफ हाहाकार मचा है. हर तबका झुलस रहा है. सावन की गर्मी मई को मात दे रही है. खेत और सड़क पर धूल उड़ रही है.

12.5 करोड़ से अधिक की राशि सिंचाई पर खर्च

अब तक जिले में किसानों के अनुसार लगभग 68.5 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई है. हालांकि विभाग अधिक का दावा कर रहा है. जिले में धान की रोपनी बारिश से मात्र 20.5 हजार हेक्टेयर हुई है. शेष रोपनी किसानों ने पंप सेट चलाकर की है. किसानों की मानी जाये, तो प्रति हेक्टेयर केवल पटवन करने में तीन हजार न्यूनतम खर्च आ रहा है. ऐसे में जिले के किसान धान की रोपनी करने में केवल पानी के लिए 12.5 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर चुके हैं. इसके बावजूद फसल होने की गारंटी नहीं है.

एक नजर धान की खेती और बारिश पर

धान की खेती का लक्ष्य- 88000 हेक्टेयर

जुलाई माह में आवश्यक बारिश-314.10 मिमी

अब तक कुल बारिश- 319.6 मिमी

जून माह में सामान्य वर्षापात-172-8 मिमी

जून माह में हुई कुल बारिश-74.4 मिमी

अब तक कुल रोपनी- 68580 हेक्टेयर

बारिश से रोपनी- 20.5 हजार हेक्टेयर

पंप सेट से की गयी रोपनी- 48000 हेक्टेयर

रोपनी के लिए सिंचाई पर किसानों का खर्च- 12.5 करोड़ लगभग

क्या कहते हैं किसान

हमने जैसे-तैसे धान के बिचड़े गिरा दिये, इस सीजन में मात्र तीन से चार दिन ही बारिश हुई है और वो भी बहुत कम. माॅनसून से इस बार कोई फायदा नहीं है. पंप सेट से रोपनी की है वे पौधे भी सूख रहे हैं. संजय सिंह, किसान

एक तो इस बार माॅनसून देर से आया, दूसरे अब तक नाममात्र को बारिश हुई है. उस बारिश से किसानों को कोई फायदा नही हुआ, न बिचड़े ही गिरे, न धान की रोपनी ही हो रही है. चिरंजीवी सिंह, किसान

सावन में जेठ-वैशाख की तरह धूप और गर्मी है जबकि इस समय सावन की रिमझिम बारिश होनी चाहिए थी. बारिश होती तो हम इस समय खेतों में होते और हमारे धान की फसल लहलहा रही होती. सुभाष चौबे, किसान

बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. मजबूरी में अपनी गाढ़ी कमाई से पंपसेट से पानी चलाकर धान की रोपनी हो रही है. यह एक रिस्क है. अगर भविष्य में बारिश नहीं होगी, तो फसल नहीं होगी, हम कंगाल हो जायेंगे. नगनारायण सिंह, किसान

क्या कहते हैं अधिकारी

बारिश नहीं होने से खेती पर असर पड़ा है. 90 फीसदी रोपनी हुई है. किसान डीजल अनुदान लें और रोपनी करें तथा अपने धान के रोप का बचाएं. भूपेंद्र मणि त्रिपाठी, डीएओ, गोपालगंज

30 सालों से जुलाई में कम हो रही बारिश

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन दशक में इस वर्ष जुलाई में सबसे कम बारिश हुई है. 3 दशकों तक बिहार में 314 मिलीमीटर बरसात बिहार में दर्ज की गई. 1981 से 90 के दशक में बिहार में जुलाई के महीने में औसतन 426 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी. इस वजह से किसानों को काफी दिक्कत भी हो रही है. बताते चलें कि 2021 में जुलाई के महीने में 258 मिलीमीटर बारिश हुई थी. जबकि 2022 में 134 मिलीमीटर और 2023 में 112 मिलीमीटर बारिश हुई थी. यानी पिछले कई सालों से जुलाई के महीने को देखें तो बारिश का जो अनुपात है वह धीरे-धीरे कम हो रहा है. 1981 से 90 के दशक में जो बारिश का अनुपात 426 मिलीमीटर था वह 2023 में 112 मिलीमीटर हो चुका है. यही वजह है बिहार राज्य के कई जिले सुखाड़ की चपेट में है. खेत सूखे पड़े हुए हैं. किसान इंतजार में है कि कब बारिश होगी.

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