विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर सोमवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया. विपक्ष के सांसदों ने हाथों में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर लिखा था कि इंडिया डिमांड्स पीएम स्टेटमेंट इन बोथ हाउसेज. उन्होंने ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’ के नारे भी लगाए.
विपक्षी पार्टियों ने कार्य स्थगन का दिया नोटिस
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए सोमवार को भी कार्यस्थगन के नोटिस दिए. मनीष तिवारी ने कहा, प्रधानमंत्री को संसद के दोनों सदनों में एक व्यापक वक्तव्य देना चाहिए. उन्हें लोकसभा और राज्यसभा में प्रासंगिक स्थगन नियमों के तहत चर्चा का पालन करना चाहिए. हमारे प्रदर्शन की यही मांग है.
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, मणिपुर मामले में पीएम मोदी को पहले संसद में देना चाहिए बयान
राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, हम भी चर्चा के लिए तैयार हैं. प्रधानमंत्री इस मामले पर अपनी बात रखें. अगर 140 करोड़ का नेता बाहर प्रेस से बात करता है और 140 करोड़ जनता के प्रतिनिधी अंदर बैठे हैं, तो आप(प्रधानमंत्री) पहले अंदर अपना बयान दीजिए. उसके बाद हम एक निर्णय लेंगे. मालूम हो विपक्षी सांसदों के इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, द्रमुक के टी आर बालू, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और अन्य पार्टियों के सांसद शामिल हुए.
#WATCH | "We are ready…If the leader of 140 crore people makes a statement outside the Parliament, then he should make a statement in the Parliament where people's representatives sit," says LoP Rajya Sabha & Congress President Mallikarjun Kharge. pic.twitter.com/fxXJv5HByv
— ANI (@ANI) July 24, 2023
मणिपुर के वायरल वीडियो पर बोलीं सुप्रिया सुले, यह मुद्दा राज्यों का नहीं महिलाओं का है
मणिपुर के वायरल वीडियो पर NCP सांसद सुप्रिया सुले (शरद पवार गुट) ने कहा, यह मामला राज्यों का नहीं महिलाओं का है. ऐसी घटना किसी भी राज्य में हो तो गलत है. वहीं तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए कहा, हमने जो वीडियो और तस्वीरें (मणिपुर की स्थिति पर) देखी हैं वे बेहद परेशान करने वाली हैं. पीएम संसद में चर्चा नहीं चाहते. रकार ध्यान भटका रही है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का लगाया आरोप
मणिपुर मामले पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, मणिपुर वायरल वीडियो मामले पर पूरा देश पीड़ा व्यक्त कर रहा है. हम हाथ जोड़ कर कह रहे हैं कि विपक्ष इस विषय पर चर्चा करें और हम इससे कुछ निष्कर्ष निकालेंगे. हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि विपक्षी पार्टियां चर्चा से क्यों भाग रही हैं. उनकी क्या सोच है, ये समझ नहीं आ रहा है. हम आज भी मांग करते हैं कि आप इस पर चर्चा कीजिए. ये बहुत संवेदनशील मामला है.
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार को लेकर बीजेपी ने किया प्रदर्शन
मणिपुर मामले को लेकर एक ओर जहां विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, तो दूसरी ओर राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार और अपराध के खिलाफ बीजेपी ने भी जमकर प्रदर्शन किया. बीजेपी सांसद रवि किशन ने कहा, हम राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के इस्तीफे की मांग करते हैं. दलितों (महिलाओं) पर अत्याचार को रोकने की जरूरत है. अत्याचार काफी बढ़ गए हैं और इसलिए हम यहां संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
मणिपुर मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद का मानसून सत्र प्रभावित
मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिनों में दोनों सदनों में कोई प्रमुख विधायी कामकाज नहीं हो सका. आज जब फिर से सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर मामले में बयान देने की मांग करते हुए जमकर प्रदर्शन किया. सांसद अपनी-अपनी सीटों पर खड़े हो गये और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.
क्या है मामला
गौरतलब है कि मणिपुर में लगभग एक हजार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया और मकानों में लूटपाट की, उनमें आग लगायी, हत्या की तथा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया. यह घटना 4 मई की बतायी जा रही है. इन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरा देश आक्रोशित है और घटना के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इस मामले में 21 जून को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें आदिवासी महिलाओं के अपहरण और उनसे शर्मनाक बर्ताव से पहले हुए जुल्म की दास्तां का उल्लेख है.
मणिपुर हिंसा में अबतक 160 से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.