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पीएम मोदी आकर मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करेंगे तो आसमान फट जाएगा क्या ? कांग्रेस का जोरदार हमला

हम पीएम मोदी से आग्रह कर रहे हैं कि वे सदन में आएं और बयान देकर चर्चा की शुरूआत करें. उन्होंने कहा कि ये केवल मणिपुर का मामला नहीं रहा. यह पूरी दुनिया का मामला बन चुका है. जानें कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा

मणिपुर हिंसा मामले पर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. जहां एक ओर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार सदन में चर्चा के लिए तैयार है. वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला किया है. उन्होंने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री आकर मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करेंगे तो आसमान तो नहीं फट जाएगा? पूरी दुनिया में इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है. हमारी बस छोटी सी मांग है कि मणिपुर में आज जो गंभीर हालात हैं उसपर प्रधानमंत्री चर्चा के लिए संसद में आएं.

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मणिपुर का मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है. यह केवल गृह मंत्रालय का मामला नहीं है. यह पूरे देश का मामला है. इसलिए हम प्रधानमंत्री से आग्रह कर रहे हैं कि वे संसद में आएं और मामले पर बयान दें. हमलोग ज्यादा कुछ तो नहीं मांग रहे हैं. एक छोटी सी मांग हम कर रहे हैं. हम पीएम मोदी से आग्रह कर रहे हैं कि वे सदन में आएं और बयान देकर चर्चा की शुरूआत करें. उन्होंने कहा कि ये केवल मणिपुर का मामला नहीं रहा. यह पूरी दुनिया का मामला बन चुका है.

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मणिपुर के मामले की चर्चा केवल भारत में नहीं हो रही है, बल्कि ये पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है.

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ढाई महीने से जल रहा है मणिपुर

इधर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब यह प्रधानमंत्री बनकर आये थे उन्होंने नौटंकी की थी. पिछले 9 सालों उन्होंने लोकतांत्रिक और संसदीय परंपराओं को तिलांजली दी है. मणिपुर ढाई महीने से जल रहा है… प्रधानमंत्री को सदन में बोलना चाहिए. सदन से बाहर उन्होंने इसका राजनीतिकरण किया. मणिपुर के जैसे हालात किस राज्य में हैं जो उन्होंने मामले को राजस्थान और छत्तीसगढ़ से जोड़ा है? अगर उन्होने (संजय सिंह) वेल में आकर कुछ कह दिया तो उन्होंने ऐसा कौन सा अपराध कर दिया कि उनको पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया? हम इसकी निंदा करते हैं.

मणिपुर की हिंसा पर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं प्रधानमंत्री

राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित किये जाने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री सदन में आकर मणिपुर की हिंसा पर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं. एक कारगिल के योद्धा की पत्नी को निर्वस्त्र कर परेड कराया गया. भारत के 140 करोड़ लोगों का सर शर्म से झुक गया है. लेकिन प्रधानमंत्री सदन में आकर जवाब देने के लिए तैयार नहीं है.

गांधी जी की प्रतिमा के पास विरोध

राज्यसभा सभापति द्वारा आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को संसद से पूरे सत्र के लिए निलंबित किये जाने कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि भारत में जितने राजनीतिक दल हैं वे सब संजय सिंह के साथ हैं. सभी (राजनीतिक दल) के प्रतिनिधि यहां मौजूद हैं. हम सब संजय सिंह जी के साथ गांधी जी की प्रतिमा के पास जाकर विरोध करेंगे.

संजय सिंह निलंबित

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को सोमवार को राज्य सभा में हंगामा और आसन के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए वर्तमान मानसून सत्र की शेष अवधि तक के लिए निलंबित कर दिया गया. सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल में सिंह को निलंबित करने की घोषणा की. इससे पहले आसन के समीप आए सिंह के नाम का सभापति ने उल्लेख किया.

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आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया

आम आदमी पार्टी ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि संसदीय इतिहास का काला दिन… मणिपुर पर सवालों से ‘मौन मोदी’ भाग रहे हैं. प्रधानमंत्री से मणिपुर पर जवाब मांगने के लिए संजय सिंह को संसद के पूरे मानसून सत्र से निलंबित किया गया. आखिरकार प्रधानमंत्री को जवाब देना पड़ेगा. वहीं आप सांसद राघव चड्ढा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश का एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य जल रहा है. संजय सिंह ने इस पर चर्चा की मांग की. उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत चर्चा होनी चाहिए…वह अपनी कुर्सी छोड़कर आगे की ओर बढ़े तो सभापति ने उन्हें निलंबित कर दिया.

ऐसी घटना न घटे वह देखने का काम शासक का है

कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री कर्नाटक के चुनाव में लगे थे… वे (प्रधानमंत्री) तब बोले जब देश के सुप्रीम कोर्ट ने उनको फटकार लगाई तब उन्होंने सदन के बाहर कुछ सेकंड के लिए कहते हैं कि मुझे बहुत दर्द हुआ. चाणक्य ने सही कहा है कि किसी शासक को यह अधिकार नहीं है कि वे सार्वजनिक तौर पर कहे कि मुझे दर्द हुआ. यह उनकी ज़िम्मेदारी है कि दर्द, क्रोध आए ऐसी घटना न घटे वह देखने का काम शासक का है.

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