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JPSC गड़बड़ी मामला: झारखंड सरकार के आग्रह और CBI रिपोर्ट का अध्ययन के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्थगित की सुनवाई

अधिकारियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि उनकी नियुक्ति हो चुकी है. राज्य सरकार ने उनकी सेवा को संपुष्ट भी किया है तथा लगातार प्रोन्नति भी दी है.

झारखंड हाइकोर्ट ने प्रथम व द्वितीय जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा की सीबीआइ जांच व राज्य सरकार की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ की सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट का अध्ययन करने तथा राज्य सरकार के आग्रह को देखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.

साथ ही अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व नियुक्त अधिकारियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि उनकी नियुक्ति हो चुकी है. राज्य सरकार ने उनकी सेवा को संपुष्ट भी किया है तथा लगातार प्रोन्नति भी दी है. उस स्थिति में राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है. सीबीआइ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बुद्धदेव उरांव ने जनहित याचिका दायर की थी.

यह है मामला :

झारखंड हाइकोर्ट ने 12 जून 2012 को जेपीएससी द्वारा ली गयी 12 परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की जांच करने का आदेश सीबीआइ को दिया था. कोर्ट ने जेपीएससी की द्वितीय परीक्षा से नियुक्त हुए अधिकारियों को काम करने से रोकते हुए उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दी थी. हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनाैती दी गयी, जिसमें अधिकारियों के काम करने व वेतन भुगतान के मामले में अंतरिम राहत मिल गयी थी. बाद में जनहित याचिकाकर्ता बुद्धदेव उरांव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गयी. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में इस मामले में सीबीआइ जांच को फिर से बहाल कर दिया था.

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