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Karnataka Metro Accident: 10 करोड़ रुपये मुआवजा वाली याचिका पर HC ने कर्नाटक सरकार, BMRCL को दिया नोटिस

Karnataka Metro Accident: नम्मा मेट्रो का खंभा गिरने की घटना में अपनी पत्नी और बच्चे की जान गंवाने वाले शख्स ने 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. वहीं, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार, बेंगलुरु मेट्रो रेल निगम (बीएमआरसीएल) और अन्य को नोटिस जारी किया है.

Karnataka Metro Accident Case: कर्नाटक मेट्रो (नम्मा मेट्रो) हादसे में पत्नी और बेटे को खोने वाले शख्स शख्स की 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग वाली याचिका पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, बेंगलुरु मेट्रो रेल निगम (बीएमआरसीएल) और अन्य को नोटिस जारी किया है. बता दें, बेंगलुरु में एचबीआर लेआउट के पास आउटर रिंग रोड पर  बेंगलुरु मेट्रो (नम्मा मेट्रो) के निर्माणाधीन खंभा गिर जाने से यह हादसा हुआ था. हादसे में एक महिला और उसके ढाई साल के बेटे की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद बैंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर कई सवाल उठने लगे थे. वहीं, घटना के बाद कॉर्पोरेशन की ओर से ठेकेदार समेत संबंधित अभियंताओं को एक नोटिस भी जारी किया गया था. साथ ही पीड़ित ने मुआवजे की रकम को लेकर एक मामला दर्ज किया था.  

हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
गौरतलब है कि नम्मा मेट्रो का खंभा गिरने की घटना में अपनी पत्नी और बच्चे की जान गंवाने वाले शख्स ने  10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. पीड़ित शख्स की याचिका पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, बेंगलुरु मेट्रो रेल निगम (बीएमआरसीएल) और अन्य को नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता लोहित कुमार वी सुलाखे ने एक विशेष अनुमति याचिका दायर कर 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए दावा किया. उनका कहना है कि दुर्घटना बीएमआरसीएल के अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई थी. साथ ही याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि पत्नी तेजस्विनी एल सुलाखे नौकरी करती था, इस कारण उसे मुआवजे के रूप में ज्यादा राशि दी जाये. बता दें, पीड़ित की पत्नी और उसका ढाई साल का बेटा विहान 10 जनवरी 2023 को बाइक से जा रहे थे तभी नागवारा के पास निर्माणाधीन मेट्रो लाइन का खंभा गिरने से उनकी मौत हो गई थी.

बीएमआरसीएल के मुआवजे का बताया अपर्याप्त
बता दें, हादसे के बाद बीएमआरसीएल ने लोहितकुमार को बतौर मुआवजे 20 लाख रुपये दिए जाने की बात कही थी. जिसके बाज पीड़ित ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी. न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने याचिका पर सुनवाई की. अपनी याचिका में लोहितकुमार ने कहा कि केवल 20 लाख रुपये का मुआवजा पर्याप्त नहीं है. प्रतिवादियों की निष्क्रियता, अपर्याप्त सुरक्षा उपायों और लापरवाही के कारण मैंने मेरे अपनों को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया. याचिका के अनुसार, सॉफ्टवेयर इंजीनियर तेजस्विनी प्रति माह 75748 रुपये कमा रही थीं. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मुआवजा पर्याप्त नहीं है, और यह मुआवजा केवल सुरक्षा कार्य में बरती गई लापरवाही और इस तथ्य को छुपाने के लिए है कि उपस्थित सभी प्रतिवादियों को सुरक्षा सावधानियों की जानकारी नहीं थी. प्रतिवादी सुरक्षा उपायों के प्रति लापरवाह थे, जिसके कारण दो निर्दोष लोगों की जान चली गई.

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10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग

पीड़ित का कहना है कि चूंकि तेजस्विनी परिवार में अकेली कमाने वाली थीं और दंपती ने कुछ समय पहले ही ऋण लेकर घर खरीदा था इसलिए 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है. अदालत ने प्रतिवादियों को अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए नोटिस जारी करने के बाद मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी. याचिका में अन्य प्रतिवादियों में बीएमआरसीएल के प्रबंधन निदेशक, मुख्य इंजीनियर और ऑपरेशन इंजीनियर, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंधन निदेशक और परियोजना प्रबंधक शामिल हैं.

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