Ayodhya: धर्मनगरी अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण कार्य के बीच प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है. इसके लिए रामलला की प्रतिमा अगले तीन महीनों में पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगी. इस प्रतिमा में रामलला बालस्वरूप में नजर आएंगे और उनका आभामंडल बेहद आकर्षित करने वाला होगा.
अयोध्या का ये मंदिर जहां पूरी दुनिया में अपनी स्थापना शैली और अन्य विशेषताओं के कारण बेहद खास होगा, वहीं अपने आराध्य की प्रतिमा के भाव देखकर लोगों को रामायणकाल में होने का एहसास होगा. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय बताते हैं कि देश के तीन चुनिंदा मूर्तिकार रामनगरी के ही रामसेवकपुरम में रामलला की तीन प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं. इनमें से श्रेष्ठतम कृति को राम मंदिर में स्थापित करने के लिए चयनित किया जाएगा.
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि अगले वर्ष 15 से 24 जनवरी के बीच रामलला की स्थापना से पूर्व रामजन्मभूमि परिसर में यात्री सुविधा केंद्र के भी भूतल का निर्माण पूर्ण किया जाना है. यात्री सुविधा केंद्र 25 हजार की क्षमता वाला है.
रामलला की स्थापना के लिए जो तीन मूर्तियां निर्मित हो रही हैं. उनमें से एक सफेद संगमरमर की है. रामसेवकपुरम में राजस्थान के मकराना संगमरमर से प्रख्यात मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय रामलला की मूर्ति बनाने में जुटे हैं. इसके साथ ही रामलला की दो अन्य मूर्तियां भी निर्मित हो रही हैं. यह दोनों मूर्तियां कर्नाटक की तुंगभद्रा नदी के किनारे की पहाड़ी से लाई गईं शिलाओं से निर्मित की जा रही हैं. यह शास्त्रों में वर्णित श्रीराम के श्याम अथवा कृष्ण वर्ण के अनुरूप हैं.
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रामलला की मूर्ति पांच वर्षीय बालक की मुख-मुद्रा के अनुरूप आकार ले रही है. इसमें बाल सुलभ कोमलता संयोजित की जाएगी. निर्दोष अनासक्ति होगी, तो सत्य के सापेक्ष संकल्प की दृढ़ता का भी समायोजन होगा. मुख पर स्मित हास्य होगा, तो हाथ में धनुष भी होगा. खड़ी मुद्रा में निर्मित की जा रही मूर्ति चार फीट चार इंच ऊंची है. वहीं पैडस्टल की ऊंचाई को मिला कर रामलला की ऊंचाई आठ फीट सात इंच की होगी.
इन सबके बीच अयोध्या को विश्व पटल पर अलग पहचान दिलाने के लिए रामनगरी को नए स्वरूप में लाने की कवायद भी चल रही है. इस कड़ी में मंदिर को जाने वाले सभी पथ इको फ्रेंडली बनाए जाएंगे. इसके लिए भी काम जारी है. इसके साथ ही धर्मपथ, पंचकोसी, चौदहकोसी परिक्रमा मार्गों को भी नए सिर से तैयार किया जा रहा है. यहां हरियाली का विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे यहां से गुजरते वक्त लोगों को सुखद एहसास हो.
बताया जा रहा है कि वन विभाग 566 मीटर लंबे जन्मभूमि पथ पर पीले रंग के फूलों वाले तबेबुइया अर्जेंसिया और गुलाबी रंग के फूलों वाले ताइबेबुया रोजिया के लगभग 184 पौधे लगाएगा. पथ के दोनों तरफ छह-छह मीटर के चैनेज में ये पौधे रोपित किए जाएंगे.
लगभग 13 किलोमीटर लंबे रामपथ के दोनों तरफ फुटपाथ के साथ 500-500 मीटर के चैनेज में क्रमशः पीले रंग के ताइबेबुया अर्जेंसिया, गुलाबी रंग के ताइबेबुया रोजिया, लाल रंग के गुलमोहर और गुलाबी रंग के चोरिसिया स्पेश्योसा के सजावटी पैटर्न में लगभग 4750 पौधे लगाए जाएंगे.
इसके साथ ही पथ के मीडियम में एक-एक मीटर के चैनेज में क्रमशः बोगनवेलिया, यूफोरबिया तथा हर पांच मीटर पर फाक्सटेल पाम के पौधे रोपित किये जाएंगे. पथ की मीडियम में लगभग छह हजार पौधे रोपित होंगे. धर्मपथ को भी इसी तरह सजाया जाएगा, जिसमें फुटपाथ पर लगभग 725 पौधे व मीडियम में छह हजार पौधे रोपित किये जाएंगे.
सभी पथों पर पौधों की सुरक्षा के लिए लगने वाले लोहे के ट्री-गार्ड में भी भगवान श्रीराम के नाम को भी उकेरा एवं सजाया जाएगा. इसके अलावा अयोध्या विकास प्राधिकरण लगभग 22 करोड़ की लागत से मौसम आधारित फूलों से इन सभी पथों को सजाएगा.
अहम बात है कि अयोध्या के विकास का मास्टर प्लान बनाने से पहले यरुशलम और वेटिकन सिटी जैसे तीर्थस्थलों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं का अध्ययन किया गया है. अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह के मुताबिक अयोध्या विजन-2047 के साथ हम भगवान राम की नगरी को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
राम मंदिर बन जाने के बाद यहां हर रोज करीब एक लाख श्रद्धालु व पर्यटक आएंगे. इसलिए अयोध्या के विकास का मास्टर प्लान गहन अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है. वर्तमान में अयोध्या को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने के लिए 32 हजार करोड़ की परियोजनाओं पर काम चल रहा है.
अयोध्या को दुनिया की सबसे खूबसूरत धर्मनगरी के रूप में प्रस्तुत करने के लिए यरुशलम और वेटिकन सिटी के अलावा देश के अंकोरवाट, पशुपतिनाथ, नासिक स्थित साईं मंदिर, तिरूमाला तिरुपति और सिद्धि विनायक जैसे राष्ट्रीय तीर्थ स्थलों का भी बारीकी से ऑडिट और निरीक्षण किया गया है.
उपाध्यक्ष ने बताया कि अयोध्या में वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके, इसलिए यहां से कनेक्टिविटी बढ़ाने पर फोकस है. नवंबर 2023 तक अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट संचालित हो जाएगा. इसके अलावा प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, नैमिषारण्य आदि शहरों से रेलवे कनेक्टिविटी बेहतर की जा रही है.
बताया जा रहा है कि अयोध्या के समग्र विकास का जो खाका तैयार किया गया है, उसके अनुरूप परियोजनाओं पर काम चल रहा है. रामनगरी को कई स्वरूपों के मुताबिक नए सिरे विकसित करने का काम चल रहा है.
इनमें तीर्थ अयोध्या, रामराज की परिकल्पना, सरयू अयोध्या, मोक्ष नगरी, समरस अयोध्या, हेरिटेज सिटी, नॉलेज सिटी, संभावनाओं का शहर, आध्यात्मिक राजधानी, सोलर सिटी, ग्लोबल टूरिस्ट हब, ब्रांडिंग अयोध्या, सुंदर अयोध्या और स्मार्ट अयोध्या के रूप में लोग रामनगरी को देखेंगे.
चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर के परकोटे में 90 मूर्तियां बनाई जानी हैं, जो कि कांस्य की बनेंगी. मंदिर के खंभों में देवी-देवताओं की मूर्तियां बन रही हैं. इनकी संख्या 6000 से अधिक होगी. परकोटे में भी 90 पैनल को लगाए जाने की बात सामने आई है जो कांस्य के होंगे.