Kargil Vijay Diwas 2023: पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के पास स्थित कारगिल स्मारक वीरता और सैन्य समर्पण का एक ऐसा प्रतीक है, जो भारत के वीर शहीदों के समर्पण को याद और सम्मानित करता है. साल 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता और साहस का अदम्य परिचय देते हुए विश्व को एक अद्भुत चमत्कार दिखाया था. इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में, पटना में इस कारगिल स्मारक का निर्माण हुआ था. इसका उद्घाटन वर्ष 2000 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस द्वारा किया गया था. स्मारक में एक विशाल रोटरी के अंदर निर्मित, एक केंद्रीय छतरी वाला स्मृति पार्क भी है, जो इंडिया गेट की छतरी की भी याद दिलाता है.
कारगिल स्मारक के चारों और फव्वारे लगाए गए हैं
कारगिल चौक स्थित इस कारगिल स्मारक के चारों और जंजीरों की बाड़ के साथ चारों ओर खूबसूरत रूप से डिजाइन किए गए फूल-पौधे और फव्वारे लगाए गए हैं. इस स्मारक के आसपास के क्षेत्र में कई लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन भी देखे गए हैं, जो इसके सामाजिक और राजनीतिक महत्व को दर्शाते हैं.
बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने इस युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया था
वर्ष 1999 के 26 जुलाई को, भारतीय सेना ने कारगिल की बर्फीली ऊंचाइयों पर लगभग तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता की घोषणा की थी, जिसमें टोलोलिंग और टाइगर हिल जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थान भी शामिल थे. इस जीत के साथ भारतीय सैन्य ने देश की शानदार विजय की चमक दिखाई. इस युद्ध में बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था. इसके साथ ही बिहार रेजीमेंट की प्रथम बटालियन को कारगिल युद्ध के बाद 28 वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
नायक गणेश यादव बिहार रेजीमेंट के आक्रमण दल में थे सबसे आगे
28 मई 1999, वो दिन था जब ऑपरेशन विजय शुरू हुआ था. कारगिल में 14000 फुट की ऊंचाई पर बाटलिक सब सेक्टर में पाक सेना ने कब्जा कर रखा था. उस वक्त बिहार रेजीमेंट की फर्स्ट बटालियन डल झील के पास तैनात थी. इसी दौरान ऑपरेशन विजय की घोषणा हो गई और बिहार रेजीमेंट के जवान अपने मिशन पर चल दिए थे. कठिन रास्तों को पार करते हुए आगे बढ़ रहे जवानों ने अचानक पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला बोला तो उन्हें संभालने तक का मौका नहीं मिला. इस आक्रमण दल में सबसे आगे थे बिहटा के नायक गणेश यादव, जिन्होंने बिना किसी फिक्र के दुश्मनों के बनाए किले में घुस कर उन्हें मारना शुरू कर दिया. इसी दौरान दुश्मनों की एक गोली उनको आकार लगी जिसमें वो जख्मी हो गए, उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और आगे बढ़ते गए. अंत में उन्हें वीरगति प्राप्त हुई. इसी विजय गाथा को याद दिलाता है पटना में बना कारगिल स्मारक
कारगिल युद्ध के बाद देश में बने कई स्मारक
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत के बाद देश भर के कई शहरों में देश के बहादुर सैनिकों और अधिकारियों के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए कई स्मारक बनाए गए थे. इसी क्रम में 1999 में पटना में बना था कारगिल स्मारक और इसी के बाद इस जगह का नाम भी पड़ गया कारगिल चौक. इस स्मारक पर लगायी गई शीला पट्टिका पर वीरगति को प्राप्त हुए शहीदों के नाम हैं. इसका उद्घाटन 4 जनवरी 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और राजद सुप्रीमो लालू यादव की उपस्थिति में जॉर्ज फर्नांडीस ने किया था.
कारगिल स्मारक के आस-पास हैं शहर के कई महत्वपूर्ण स्थान
शहर के ऐतिहासिक गांधी मैदान के उत्तर-पूर्वी कोने में स्थित 23 साल पुराने कारगिल स्मारक के एक तरफ प्रसिद्ध एलिफीस्टन सिनेमा तो दूसरी तरफ अशोक राजपथ है. वहीं इसके उत्तरी ओर एक पहुंच मार्ग पटना कलेक्ट्रेट की ओर जाता है, जिसका बिहार सरकार द्वारा पुनर्निर्माण कराया जा रहा है. जल्द ही स्मारक के आस-पास क्षेत्र में बड़े परिवर्तन की उम्मीद है, क्योंकि पटना का पहला डबल- डेकर फ्लाईओवर यहीं निर्मित हो रहा है जो कारगिल चौक से एनआईटी मोर तक अशोक राजपथ पर बन रहा है. इसके अलावा यहां पर पटना मेट्रो का निर्माण कार्य भी चल रहा है, जिसमें गांधी मैदान स्टेशन को इस क्षेत्र में बनाने की योजना है. यहां पर बनने वाला मेट्रो स्टेशन अंडरग्राउंड होने वाला है.