पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समक्ष 17 नवंबर 2011 को आत्मसमर्पण करनेवाले पूर्व माओवादी कमांडर राजाराम सोरेन के खिलाफ जमशेदपुर की अदालत ने हुलिया जारी करने का आदेश दिया है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति राजाराम को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर सकता है. पटमदा थाना में केस संख्या 78/2007 में आइपीसी की धारा 121/121ए/122/124ए तथा 3/4 एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट सेक्शन 17 ऑफ सीसीए एक्ट के तहत राजाराम आरोपी है.
अदालत से हुलिया जारी होने के आदेश पर अमल करते हुए जमशेदपुर पुलिस ने राजाराम के बांकुड़ा के रानीबांध थाना क्षेत्र के मीठा गांव स्थित आवास पर इश्तेहार चिपका दिया है. राजाराम फिलहाल आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीपीसी) के एनटीएस थाना में होमगार्ड के पद पर तैनात हैं. पुलिस के उच्चाधिकारी से पूछने पर उन्होंने कहा कि इस विषय में कोई जानकारी नहीं मिली.
मालूम हो कि वर्ष 2007 में पटमदा थाना क्षेत्र के कोकासाइ इलाके में नक्सलियों को प्रशिक्षण देकर लौट रहे नौ लोगों को पुलिस ने पकड़ा था. सभी एक गाड़ी में सवार थे, जो जांच से बचते हुए भाग गये. बाद में राजाराम सोरेन समेत आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया था. इन लोगों की निशानदेही पर नक्सलियों के बड़े ठिकाने का पता चला था. पुलिस के साथ वहां मुठभेड़ भी हुई थी.
घटना में बाद कई दिन जेल में रहने के बाद आरोपी राजाराम जमानत पर रिहा हुआ था. राजाराम माओवादी कमांडर था. वर्ष 2006 में माओवादी गुरिल्ला पलटन के कमांडर थे. तभी संगठन की अन्य सक्रिय कर्मी जगरी बास्की के साथ घनिष्ठता बढ़ी और दोनों ने शादी कर ली. वर्ष 2011 में पति-पत्नी दोनों ने सरेंडर कर दिया और सरकारी पैकेज के अनुसार दोनों को होमगार्ड की नौकरी मिल गयी. राजाराम के खिलाफ हुलिया जारी का आदेश जारी होने से पश्चिम बंगाल में हलचल मच गयी है.
राजाराम के साथ कोलकाता के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नियमित संपर्क में हैं. झारखंड पुलिस के अनुसार बंगाल में मिले पैकेज के आधार पर आरोपी ने सरेंडर कर दिया, पर झारखंड की अदालत में तो उसके खिलाफ मामला समाप्त नहीं हुआ है.