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World Hepatitis Day 2023 : जानिए क्या है इस वर्ष की थीम, इसका इतिहास और महत्व

World Hepatitis Day 2023 : दुनिया भर में हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपाटाइटिस दिवस मनाया जाता है. यह एक खास मौका होता है जिस दिन पूरी दुनिया को इस बीमारी के प्रति खास तौर पर जागरूक किया जाता है. जानिए आखिर है विश्व हेपाटाइटिस दिवस का महत्व और इतिहास.

World Hepatitis Day 2023 : हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपाटाइटिस दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है. इस बीमारी का परीक्षण कराना और उन्हें इलाज मुहैया कराना है. दरअसल हेपेटाइटिस वायरल इन्फेक्शन्स का एक समूह है, जो हमारे लिवर को प्रभावित करता है. वक्त रहते इन संक्रमणों का पता लगाना बहुत जरूरी है. क्योंकि यह हर साल कई मौतों के लिए जिम्मेदार होता है. विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2023 का विषय है हम इंतजार नहीं कर रहे हैं. WHD 2023 का लक्ष्य वायरल हेपेटाइटिस के उन्मूलन प्रयासों में तेजी लाना और उन वास्तविक लोगों के लिए परीक्षण और उपचार की तत्काल आवश्यकता है जिन्हें इसकी जरूरत है.हेपेटाइटिस बी और सी

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हेपेटाइटिस वायरस के कई प्रकार हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई. ये सभी प्रकार लिवर को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकते हैं.

हेपेटाइटिस ए और इ- दूषित पेयजल और अस्वच्छ खाद्य पदार्थों को ग्रहण करना इन दोनों हेपेटाइटिस से ग्रस्त होने के प्रमुख कारण हैं. हेपेटाइटिस ए और इ, हेपेटाइटिस बी और सी की तुलना में लिवर को कम क्षति पहुंचाते हैं. खान-पान में संयम और समुचित इलाज कराने पर इन दोनों से छुटकारा मिल जाता है.

हेपेटाइटिस बी और सी- लिवर को गंभीर रूप से क्षति हेपेटाइटिस बी और सी से पहुंचती है. गलत तरीके से रक्त चढ़वाने, संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं, जैसे- टूथब्रश और रेजर आदि के इस्तेमाल से वायरस अन्य स्वस्थ लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. वहीं जो लोग नशे का इंजेक्शन लेते हैं या फिर असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करते हैं, उनमें हेपेटाइटिस बी और सी होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है.

हेपेटाइटिस डी : आमतौर पर अगर कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त है, तो उसे हेपेटाइटिस डी से संक्रमित होने का खतरा भी कहीं ज्यादा होता है. हेपेटाइटिस डी के मामले में लिवर में सूजन लंबे समय तक बनी रहती है.

हेपेटाइटिस के लक्षणों को पहचानें

World Hepatitis Day : हेपेटाइटिस के संक्रमण का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है इसकी जांच कराना.हेपेटाइटिस हमारे लिवर में समस्या पैदा कर सकता है, लिवर हमारे शरीर का एक आवश्यक अंग है और खाना पचाने और टॉक्सिक पदार्थों को फ़िल्टर करने में मदद करता है. इसलिए जरूरी है कि समय रहते हेपेटाइटिस की जांच की जाए और लिवर को डैमेज होने से बचाया जाए. हेपेटाइटिस के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में थकान महसूस होना, त्वचा का पीला पड़ना , पेट में दर्द, बीमार महसूस होना,अक्सर हाजमा खराब रहना और दस्त होना,जी मिचलाना और उल्टी होना और बुखार होना शामिल हैं. ये भी होता है कि कई लोगों में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता. गर्भवती महिलाओं के लिए हेपेटाइटिस टेस्ट करना बहुत जरूरी होता है ताकि मां और होने वाले बच्चे दोनों को इसे संक्रमण से बचाया जा सके. हेपेटाइटिस बी और सी वायरस बच्चे के जन्म के दौरान संक्रमित मां से उसके बच्चे में फैल सकता है. संक्रमण की समय रहते पहचान करने से संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए उचित कदम उठाए जा सकते हैं.

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विश्व हेपेटाइटिस दिवस का इतिहास और महत्व

डॉक्टर और आनुवंशिकीविद् डॉ. बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग, जिन्हें बैरी ब्लमबर्ग के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने 1967 में हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की और हेपेटाइटिस बी के लिए पहला टीका विकसित किया और इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 28 जुलाई को उनका जन्मदिन है और उनकी उपलब्धियों और योगदान का सम्मान करने के लिए इसे विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में चुना गया है. 2008 में, विश्व हेपेटाइटिस एलायंस ने विभिन्न रोगी समूहों के साथ समन्वय में 19 मई को पहले वैश्विक विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में घोषित किया था, लेकिन बाद में, 2010 में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान डॉ. बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग के काम की स्मृति में तारीख को बदलकर 28 जुलाई करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था.

क्यों मनाया जाता है हेपेटाइटिस दिवस?

विश्व हेपेटाइटिस दिवस वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो लिवर की सूजन का कारण बनती है. लिवर की बीमारियों और संबंधित कैंसर का कारण बनती है. हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार हैं लेकिन सबसे आम में हेपेटाइटिस बी और सी शामिल हैं जो हर साल लगभग 13 लाख लोगों की जान लेते हैं.

विश्व हेपेटाइटिस दिवस के उद्देश्यों में शामिल हैंः

  • हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण को बढ़ावा देना

  • गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और सिफलिस की जांच कराने और आवश्यकतानुसार इलाज कराने के लिए जागरूकता बढ़ाना

  • सरकारों और संगठनों को यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हर किसी को हेपेटाइटिस की रोकथाम, परीक्षण और उपचार सेवाओं तक पहुंच मिले

  • हेपेटाइटिस की रोकथाम और देखभाल सेवाएँ, जैसे शिशु टीकाकरण, नुकसान कम करने वाली सेवाएँ और क्रोनिक हेपेटाइटिस बी का उपचार जैसी सेवाएँ हर समय सुनिश्चित की जानी चाहिए.

    कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस के लिए, टीके भी उपलब्ध हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीका मौजूद है. इन संक्रमणों से खुद को बचाने के लिए टीकाकरण बेहतर उपाय है. हम टीकों और प्रभावी उपचारों की मदद से हेपेटाइटिस के प्रसार और इससे होने वाली मौतों को रोक सकते हैं

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हेपेटाइटिस ए के अधिकतर मामलों में शरीर स्वत: स्वास्थ्य लाभ (सेल्फ रिकवरी) करता है, लेकिन मरीज को डॉक्टर के परामर्श पर अमल करना चाहिए. अपवादस्वरूप कुछ मामलों में मरीज को लगातार उल्टियां और दस्त होने या फिर असामान्य शारीरिक स्थितियों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है. हेपेटाइटिस इ का इलाज भी हेपेटाइटिस ए की तरह है, लेकिन हेपेटाइटिस इ में गर्भवती महिलाओं को जोखिम ज्यादा रहता है. ऐसे में उनकी चिकित्सकीय मॉनिटरिंग करनी पड़ सकती है.

बरसात में बढ़ जाते हैं मामले 

बरसात में हेपेटाइटिस ए और इ के मामले अन्य ऋतुओं की तुलना में बढ़ जाते हैं. दरअसल, इस मौसम में वातावरण में नमी के चलते हेपेटाइटिस ए और इ के वायरस तेजी से पनपते हैं. इसके अलावा बरसात में गंदगी भी बढ़ जाती है. देश में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति का सिस्टम हर स्थान पर दुरुस्त नहीं है, जिसमें लीकेज के चलते बारिश का गंदा पानी पेयजल को भी दूषित कर देता है. यह स्थिति हेपेटाइटिस ए और इ के खतरों को बढ़ा देती है.दरअसल, दूषित पेयजल और अस्वच्छ खाद्य पदार्थों को ग्रहण करने के कारण हेपेटाइटिस ए और इ के वायरस शरीर के अंदर पहुंचते हैं. ऐसे में शुद्ध पेयजल और खाद्य पदार्थों को ही ग्रहण करें.जहां तक संभव हो घर का ताजा भोजन करें और बाहर के खाने से परहेज करें.जिन्होंने भी हेपेटाइटिस ए का टीका नहीं लगवाया है, वे बरसात का मौसम शुरू होने के 6 महीने पहले हेपेटाइटिस ए का टीका लगवाएं.

इन बातों का जरूर रखें ख्याल 

फिल्टर, प्यूरीफायर या आरओ का पानी ही पीएं. अगर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो पानी को उबालकर और फिर इसे ठंडा कर पीएं, क्योंकि हेपेटाइटिस खासकर ए और इ के वायरस अशुद्ध पेयजल और दूषित खाद्य पदार्थों के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं.

किसी भी वस्तु को खाने से पहले हाथों को हैंड सेनिटाइजर, हैंड वॉश या एंटीबैक्टीरियल साबुन से साफ करें. फलों और सब्जियों के जरिये भी हेपेटाइटिस इ के वायरस शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, इसलिए आप जो भी फल और सब्जियां बाजार से लाएं, उन्हें अच्छी तरह से धोकर और पकाकर खाएं. वहीं, हेपेटाइटिस बी मां से बच्चे में फैल सकता है और इसे टीकाकरण से रोका जा सकता है. साथ ही रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया स्वच्छ और जीवाणुमुक्त होनी चाहिए.

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