प्रकृति रहेगी, तो दुनिया रहेगी और दुनिया रहेगी, तभी धरती पर मानव सहित सभी जीव-जंतु रहेंगे. पृथ्वी पर जीव-जंतु लंबे समय तक जीवन-यापन कर सकें, इसके लिए प्रकृति को बचाना पहली शर्त है. हालांकि दिन-ब-दिन सुविधाभोग जीवन के कारण प्रकृति से छेड़छाड़ बढ़ती जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग, पेड़ों की कटाई, खनिज संपदा का दोहन और प्रदूषण प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है. पृथ्वी पर जीवन रहे, इसके लिए प्रकृति सहित वन्य जीवों को संरक्षित करना जरूरी है. सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता कर रहा ‘प्रभात खबर’ ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है. शुक्रवार को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस है. इस मौके पर लोगों को प्रकृति संरक्षण का संदेश देने के लिए गुरुवार को ऑनलाइन संवाद का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों के अलावा छात्र भी शामिल हुए और अपने विचार रखे. यहां उनके विचारों को रखा जा रहा है –
पर्यावरण का ख्याल हम सबको मिलके रखने की जरूरत है. आज के दौर में आधुनिकता के युग में जिस हिसाब से पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं, यह हमारी आगे आने वाली पीढ़ी के लिए काफी भयावह होगी. इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रह सके. अगर हमलोगों ने अभी से ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में अधिक संकट का सामना करना पड़ेगा.- गोपाल भरतिया, सिकंदरपुर
हमें रोज घर की छत पर या बरामदे में पक्षियों के लिए दाना-पानी एकत्रित कर रखना चाहिए, ताकि पक्षियों को इस गर्मी में थोड़ी राहत मिल सके. पौधरोपण तो अनिवार्य है ही, लेकिन पक्षी भी इसी प्रकृति के अंग हैं. जिस तरह आज पक्षी विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहे हैं, यह हम सब के लिए पर्यावरणीय संकट का विषय है. हमें पक्षियों का भी संरक्षण करना चाहिए. – विकास कुमार, सूतापट्टी
पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे पहले आज के बच्चों को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि आज के बच्चे और युवा पीढ़ी आने वाले संकट को अभी से पहचान सके. नयी पौध जब पर्यावरण की चिंता करेगी, तो उसे बचाने के लिए काम भी करेगी. आने वाले समय में उन्हें आज से भी ज्यादा विकट चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है. – निकुंज बाजोरिया, इस्लामपुर
आज से 20 साल पहले कभी यह नहीं सुनने को मिलता था कि जलस्तर घट गया. अब गर्मी में पानी की दिक्कत सभी इलाकों में हो रही है. हर तरफ पक्की सड़कें, कम होते जंगल, प्रदूषण, बढ़ती आबादी इसके कारण हैं. सरकार और हम सभी को मिल कर इस पर काम करना होगा, ताकि आने वाले समय में हमें यह संकट नहीं झेलनी पड़े. हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे. – श्याम डालमिया, बालूघाट
प्रकृति को बचाने के लिए हमें सबसे पहले पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए. वन्य जीवन को संरक्षित करना चाहिए. पर्यावरण संरक्षण करने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए. जलवायु परिवर्तन के समय में विद्युत उत्पादन में अधिक से अधिक विकल्प स्रोतों का प्रयोग करने के लिए उत्साह बढ़ाना चाहिए. हम सबको मिल कर प्रकृति को बेहतर बनाने का उपाय खोजना चाहिए. – राधिका, इंटर की छात्रा
किसी इलाके में बहुत ज्यादा बारिश, तो किसी इलाके में सुखाड़. यह सब इंसानों द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा ही तो है. आज भारत के उत्तरी भाग के राज्य पानी में डूब रहे हैं और बिहार मे बारिश नहीं है. यह सब प्राकृतिक असंतुलन का कारण है. समय रहते हम सबको मिलकर इसे ठीक करना होगा. तभी प्रकृति भी बचेगी और यहां हम सब भी बचेंगे. इसके लिए हम सबको आगे आना होगा. — सौरभ शाह, छोटी कल्याणी
पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सबको पर्यावरण संबंधी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा और जनसंचार के माध्यम से लोगों को प्रकृति के महत्व के बारे में जागरूक करना होगा. इससे आम लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ेगी. साथ ही वन्य-जीवन के संरक्षण के लिए अभयारण्य और वन्य-जीवन क्षेत्रों को संरक्षित रखना एवं उनको बढ़ावा देने के लिए पहल भी जरूरी है. – सुमित कुमार, मुक्तिधाम एरिया
हथियार बेचने की होड़ में 600 दिनों से यूक्रेन जल रहा है. जितने हथियारों का इस्तेमाल अब तक हुआ है, इससे वहां की 40 प्रतिशत आबादी के महामारी के चपेट में आने की आशंका है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षित कैसे रहेगा. पर्यावरण बचाना है, तो दुनिया के देशों को लड़ाई छोड़नी होगी और परमाणु हथियारों को इस्तेमाल कभी नहीं करना होगा. हमलोगों को सजग होकर पौधरोपण करना होगा. – हिमांशु कुमार, पुरानी बाजार
पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है, पर्यावरण को सुरक्षित करना. लेकिन हम सभी द्वारा प्राकृतिक दोहन किये जाने के कारण पर्यावरण खराब हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि से पर्यावरण हमारे लिए चिंता का कारण बन गया है. हालांकि इसकी जड़ में मानव जाति ही है. हमें अपनी जीवन-शैली में सुधार करना होगा, ताकि हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहे. – आयुष जालान, सीए छात्र